ITR भरने वालों की संख्या में जोरदार उछाल, पर 5 सालों में 70 लाख घट गई टैक्स देने वालों की संख्या

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Income Tax Return: मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में भले ही देश में 8 करोड़ से ज्यादा लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया हो, लेकिन आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 सालों में टैक्स देने वालों की संख्या करीब 70 लाख घट गई है. यानी इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या भले ही बढ़ी हो लेकिन असल मायने में जो लोग टैक्स दे रहे हैं उनकी संख्या 2019-20 के मुकाबले 2024-25 वित्तीय वर्ष में करीब 33 फीसदी कम हुई है. हालांकि इसके बावजूद सरकार की आयकर से कमाई में लगातार बढ़ोतरी हुई है. 

लोकसभा में प्रश्नकाल में वित्त मंत्रालय से सवाल पूछा गया था कि पिछले 5 वर्षों के दौरान देश में आयकर रिटर्न भरने वालों की कितनी संख्या रही है और यह संख्या पिछले 5 साल के दौरान कितनी थी. साथ ही सवाल यह भी पूछा गया कि आयकर रिटर्न भरने वालों में से ऐसे कितने लोग हैं जो आयकर देते हैं. इन सवालों का जवाब देते हुए वित्त मंत्रालय ने जो आंकड़ा दिया है वह थोड़ा चौंका भी सकता है.

वित्त मंत्रालय ने अपने आंकड़े में बताया है कि साल 2019-20 में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या थी 6,47,88,494 थी और इनमें से 2,90,36,234 लोगों ने आयकर रिटर्न तो दाखिल किया लेकिन कोई टैक्स नहीं दिया यानी साल 2019-20 के दौरान इस दौरान 3,57,52,260 लोगों ने इनकम टैक्स दिया. वहीं  साल 2024-25 वित्तीय वर्ष के दौरान आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या तो 8 करोड़ के पास पहुंच गई.

सदन में दिए गए आंकड़े के मुताबिक मौजूदा  वित्तीय वर्ष के दौरान 8,39,73  416 लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया लेकिन इसमें आयकर देने वालों की संख्या पहले के मुकाबले कम हो गई. वित्त मंत्रालय द्वारा दी की जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 5,57,95,391 लोग ऐसे थे जिन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न तो दाखिल किया लेकिन कोई टैक्स नहीं दिया. यानी वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान कुल 2 करोड़ 81 लाख 78 हज़ार 025 लोगों ने ही टैक्स दिया है. 

यानी एक तरफ देश में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या साल दर साल जरूर बढ़ रही है लेकिन असल मायने में इनकम टैक्स देने वालों की संख्या पिछले 5 साल के दौरान कम ही हुई है. इसकी एक बड़ी वजह न्यू इऩकम टैक्स रिजीम और केंद्र सरकार द्वारा लगातार टैक्स स्लैब में किये गये बदलाव को माना जा सकता है. उदाहरण के तौर पर मौजूदा बजट में निर्मला सीतारमण ने जो 12 लख रुपए की टैक्स छूट लिमिट की घोषणा की है सिर्फ उसी से देश भर में 1 करोड़ टैक्स भरने वालों की संख्या कम हो जाएगी. यानी अगले वित्त वर्ष के दौरान देश में टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या भले ही बढ़ जाए लेकिन असल मायने में टैक्स देने वालों की संख्या पहले के मुकाबले कम हो सकती है.

इसका मतलब यह भी है कि देश की 140 करोड़ से ज्यादा की आबादी में से करीब 2 फीसदी लोग ही सही मायने में सरकार को टैक्स देते हैं. हालांकि टैक्स एक्सपर्ट गोपाल केडिया के मुताबिक  “सरकार ने भले ही टैक्स स्लैब का स्ट्रक्चर चेंज किया हो और टैक्स देने वालों की संख्या कम हुई हो लेकिन फिर भी सरकार का टैक्स रिवेन्यू पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ा है.” गोपाल केडिया के मुताबिक “मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही सरकार को करदाताओं से अब तक 20 लाख करोड़ से ज्यादा पैसा मिल चुका है और 31 मार्च तक 2 से 3 लाख करोड़ और टैक्स मिल सकता है. यानी एक तरफ सरकार आयकर भरने वालों को राहत दे रही है जिसकी वजह से टैक्स दाताओं की संख्या कम हो रही है तो दूसरी तरफ सरकार की कमाई भी लगातार बढ़ रही है.

मौजूदा बजट के अनुमान के मुताबिक भी अगले वित्तीय वर्ष तक सरकर को आयकर से होने वाली कमाई 24 लाख करोड़ के पार तक पहुंच सकती है. यानी सरकर का मकसद साफ है जिसके पास पैसा है उससे ज़्यादा टैक्स लिया जाए जबकि मध्यम वर्ग से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करवाया जाए भले ही वो सैलरी या व्यापार से हुई 12 लाख तक की कमाई पर टैक्स न दें वहीं निचले तबके को रिटर्न और टैक्स भरने से राहत दी जाए.

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