Arbuda Devi: 51 शक्तिपीठों में एक है माउंट का अधर देवी मंदिर, यहां गिरा था मां का होंठ

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Chaitra Navratri 2025: एक ऐसी माता का मंदिर जहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यह मंदिर करीब 5500 वर्ष पुराना है, जहां मां के दर्शन के लिए गुफा के अंदर होकर जाना पड़ता है. यह प्राचीन मंदिर सिरोही जिले में स्थित राजस्थान के एक मात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू स्थित अरावली की पर्वत श्रंखलाओं में है, जिसे अधर देवी के मंदिर के नाम से जाता है.

राजस्थान के एक मात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू स्थित अर्बुदा देवी मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जो इस शक्ति पीठ को अलग बनाती है वह यह है कि यहां मां कात्यानी की गुप्त रूप में पूजा होती है.

इन नाम सें भी जाना जाता है यह मंदिर

माउंट में अधर देवी मंदिर स्थित है, जिसे अर्बुदा देवी, अधर देवी एवं अंबिका देवी के नाम से जाना जाता है. यह देश के 51 शक्तिपीठ में से एक है. यहां पर मां के होंठ गिरे थे, इसलिए इसे अधर देवी कहते हैं. यहां तक कि स्कंद पुराण में भी माता के इस गुफा में छठे स्वरूप कात्यानी के रूप में विराजने का जिक्र है.

अन्य शक्ति से इसलिए अलग

अधर देवी मंदिर यह अन्य शक्ति पीठ से इसलिए अलग है क्योंकि यहां पर मां की गुप्त स्वरूप में पूजा होती है. करीब साढ़े पांच हजार साल पहले इसकी स्थापना की गई थी. दूसरी सबसे खास बात यह भी है कि आबूरोड से सटे गुजरात सीमा में मौजूद अंबाजी से भी इसका नाता है. वहां मां के आठवें स्वरूप की पूजा होती है, अकार वह भी शक्तिपीठ है और नाता यह है कि यह दोनों बहनें हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर मां पार्वती के होंठ गिरे थे। तभी से यह स्थान अधर देवी के नाम से पहचाना जाता है.

नवरात्रि में भक्तों का उमड़ा है जन सैलाब

नवरात्रि में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु मां कात्यायनी के दर्शन करने आते हैं. अष्टमी की रात मंदिर परिसर में महायज्ञ होता है जिसकी नवमी की सुबह पूर्णाहुति होती है. इसके साथ ही नवरात्रि में दिन-रात अखंड पाठ होता है.

मां पार्वती का अधर

नवरात्रि के अवसर पर श्रद्वालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. इन दिनो यहां मां के दरबार में रोजना लाखों श्रद्वालु दर्शन करने आते हैं. इस तीर्थ स्थल की एक और खासियत है कि यह देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है. साथ हीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहा मां पार्वती का अधर यानि होठ गिरा था. उसके बाद इस पवित्र स्थल को अधर देवी व अर्बुदा देवी के नाम से जाना जाता है.

करीब 350 सीढ़िया

अधर देवी के दर्शन के लिए श्रद्वालुओं को करीब 350 सीढ़िया ऊपर चढ़नी पडती है लेकिन अर्बुदा माता की महिमा ही कुछ ऐसी है कि यहां आकर 350 सीढ़िया को चढ़ना मानों कुछ ही सीढ़िया के चढ़ने के बराबर ही माना जाता है और यहां आकर मां के दर्शन सहज हो जाते हैं.

कात्यायनी शक्तिपीठ

कात्यायनी शक्तिपीठ का मन्दिर 5500 वर्ष पुराना है, जो विशाल प्राकृतिक गुफा में स्थित है. इसमें एक समय में करीब 100 व्यक्ति बैठ सकते है. मन्दिर न सिर्फ पौराणिक मान्यताओं और मां की महिमा के लिए जाना जाता है बल्कि मन्दिर प्रकृति के बीच स्थित होना और मनोहरी वातावरण श्रद्वालुओं के मन को अविभूत कर देता है.

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