World Asthma Day : हर साल 6 मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद अस्थमा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को सही सूचना देना है. जो लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं, उनके लिए जीवन जीना काफी मुश्किल हो जाता है. अगर सही समय पर इलाज न मिले, तो यह जानलेवा भी होने लगता है. इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि, अस्थमा का अटैक आने पर क्या करें और खुद के साथ बाकी लोगों की जान कैसे बचाएं, इसके बारे में पूरी जानकारी आप तक पहुंचाएंगे.
अस्थमा का अटैक कैसे पहचानें?
सांस लेने में तकलीफ
छाती में जकड़न या दर्द
तेज या सीटी जैसी आवाज के साथ सांस आना
बार-बार खांसी आना या फिर सुबह और शाम के वक्त तेज खांसी आना
बोलते समय रुक-रुक कर बोलना या शब्द पूरे न निकाल पाना
अस्थमा अटैक आने के वक्त क्या करें?
शांत रहें और घबराएं नहीं: घबराने से सांस और तेज फूल सकती है, जिससे हालत और बिगड़ सकते हैं.
इन्हेलर का इस्तेमाल करें: अगर मरीज़ के पास इन्हेलर है, तो तुरंत 1-2 बार इसका इस्तेमाल जरूर करें.
सीधी बैठने की कोशिश करें: मरीज़ को कुर्सी पर या जमीन पर टिकाकर सीधा बैठाएं. लेटने से सांस लेना और मुश्किल हो सकती है.
टाइट कपड़े न रखें: अगर गले या छाती पर कसाव वाला कपड़ा है, तो उसे ढीला कर दें.
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अस्थमा अटैक आने पर क्या न करें?
मरीज को पानी पीने या कुछ खाने के लिए मजबूर न करें.
लेटने या झुकने को न कहें.
घरेलू नुस्खों पर भरोसा न करें.
डॉक्टर के बताए अनुसार दवाइयां लें और इन्हेलर का सही इस्तेमाल करना सीखें.
धूल, धुआं, पालतू जानवरों के बाल से बिलकुल दूर रहें.
सर्दी-जुकाम में खास ध्यान रखें.
नियमित रूप से चेकअप कराएं और डॉक्टर को हर एक चीज बताएं, जिसे आप महसूस कर रहे हैं.
अस्थमा का मतलब मौत नहीं, लेकिन लापरवाही खतरनाक हो सकती है!
अस्थमा को सही दवाओं और लाइफस्टाइल से काबू में रखा जा सकता है. लेकिन जब अटैक आता है, तब कुछ देर ही मायने रखता है. अगर हम और आप सही समय पर सही कदम उठाएंगे, तो कुछ जिंदगियां बचाई जा सकती है. तो इस World Asthma Day पर खुद जागरूक बनें और दूसरों को भी जागरूक करें.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.