Gold Price Today: सोने का 7 दिन में 5 बार टूटा रिकॉर्ड, अक्षय तृतीया पर कीमत को लेकर अब क्या कह रहे एक्सपर्ट

Gold Price: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से 2 अप्रैल को टैरिफ के एलान के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी हलचल देखने को मिल रहा है. शेयर मार्केट में उथल-पुथल से लेकर आभूषण बाजार तक में कीमत को लेकर एक बड़ा सस्पेंस बना हुआ है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर सोने के दाम में अचानक बढ़ोतरी क्यों हो रही है और ऐसा कब तक चलेगा. इसके साथ ही, अक्षय तृतीया पर कुछ बाजार के जानकारों ने इसकी कीमत 1 लाख पार कर जाने का अनुमान लगाया है, ऐसे में इसको लेकर आपकी पहले से क्या कुछ प्लानिंग होनी चाहिए.

दरअसल, जब से टैरिफ का एलान किया गया, उसके बाद सोने का दाम आसमान छू रहा है. सात प्रतिशत से ज्यादा का गोल्ड ने रिटर्न दिया है, यानी इतना फायदा बैंक सालभार के ब्याज के तौर पर भी नहीं देता है. 2 अप्रैल को सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 93,750 रुपये थी. उस दिन इसने नया रिकॉर्ड बनाया था. बाद में सोने के भाव में गिरावट देखने को मिला और ये 8 अप्रैल को 90,600 पर चला गया. लेकिन जब 90 दिनों के लिए टैरिफ पर ब्रेक लगाया गया तो फिर इसकी कीमत में इजाफा देखने को मिला.

क्यों बढ़ रही लगातार कीमत?

आठ अप्रैल से लेकर 18 अप्रैल के बीच करीब सात दिन बाजार खुले, जबकि बाकी दिन साप्ताहिक या फिर अन्य छुट्टियां थीं. इस दौरान सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम करीब 7100 रुपये की बढ़ोतरी हुई और रिकॉर्ड 97,700 पर सोने का भाव पहुंच गया. गोल्ड ने 10 अप्रैल, 11 अप्रैल, 12 अप्रैल, 16 अप्रैल और 17 अप्रैल को अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए.

अब 30 अप्रैल को सहालग के साथ अक्षय तृतीया है और इस मौके पर धनतेरस के बाद सबसे ज्यादा जेवर की खरीदारी की जाती है. ऐसे में लगातार भारतीय बाजार में सोने की मांग बढ़ रही है.

अक्षय तृतीया से पहले क्या करें?

बाजार के जानकारों की मानें तो अगले करीब दो हफ्ते में सोने की कीमत में अभी और इजाफा हो सकता है, इसलिए लोग पहले ही सिक्के और  सोने की बिस्कुट की बुकिंग करवा रहे हैं, ताकि अक्षय तृतिया के दिन डिलीवरी ले. इसके अलावा एक अन्य फैक्टर सोने की मांग में बढ़ोतरी का ये भी है कि मई में शादियां शुरू हो जाएंगी, इसलिए लोग आगे भाव बढ़ने के अंदेशा से पहले ही खरीदारी करना चाह रहे हैं.

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टैरिफ पर IMF ने किया भारत के रुख का समर्थन, अमेरिका-चीन ट्रेड टेंशन पर दिया बड़ा बयान

IMF On US Tariffs: ट्रंप टैरिफ के चलते इंटरनेशनल मार्केट में हलचल और बढ़ते ट्रेड टेंशन के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने बड़ा बयान दिया है. आईएमएफ की डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका और चीन दोनों ही देशों की व्यापारिक चिंताएं हैं. लेकिन दुनिया की दो आर्थिक महाशक्ति को इस अनिश्चितताओं को दूर करना चाहिए. साथ ही, नियम आधारित और निष्पक्ष व्यापार पर सहमत होना चाहिए.

अगले हफ्ते आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की बैठक से ठीक पहले वाशिंगटन में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए जॉर्जीवा ने टैरिफ की बाधाओं को दूर करने के लिए भारत के कदमों का स्वागत किया. टैरिफ पर ट्रंप के साथ बातचीत पर उन्होंने कहा कि कहीं भी टैरिफ लगा हो, उसकी दरों में कमी आनी चाहिए.

हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से अपने व्यापारिक साझीदार देशों पर लगाए गए टैरिफ के उनके इस कदमों के खिलाफ आचोलना करने से जॉर्जीवा लगातार बचती रहीं और कहा कि इससे नकारात्मक असर पड़ता है.  जॉर्जीवा ने कहा, “कुछ जगहों पर अन्याय की ये भावना इस कथन से मेल खाती है कि ‘हम नियमों के अनुसार खेलते हैं जबकि अन्य बिना किसी दंड के सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं.'” उन्होंने आगे कहा कि ये “व्यापार असंतुलन व्यापार तनाव को बढ़ाता है.”

आईएमएफ डायरेक्टर ने कहा कि अमेरिका को चीन की बौद्धिक संपदा से जुड़ी चीजों और गैर-टैरिफ बाधाओं के बारे में शिकायतें हैं. दूसरी तरफ चीन, अमेरिका के साथ ऐसा सहयोग चाहता है जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाएं मजबूत स्थिति में आ सकें. 

जॉर्जीवा ने आगे कहा कि हम अनिश्चितता को खत्म देखना चाहते हैं. लेकिन जब तक विश्व की दो आर्थिक धुरियों के बीच तनाव रहेगा तब तक ये मुश्किलर है. वास्तवव में ये महत्वपूर्ण और इन सबसे ऊपर है कि निष्पक्ष और नियम आधारित व्यवस्था हो.  

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अमेरिका से बात करने के लिए तैयार हुआ चीन, लेकिन ट्रंप की सरकार के आगे रख दी ये बड़ी शर्तें

Trump Tariff: चीन द्विपक्षीय व्यापार पर अमेरिका से बात करने के लिए तैयार हो गया है, लेकिन उसने कुछ शर्त भी रखी है. एक चीनी सरकारी अधिकारी के हवाले से ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसमें पहली शर्त यह है कि चीन के प्रति सम्मानजनक रवैया अपनाया जाए, अमेरिका अपनी नीतियों में स्थिरता बनाए रखे, रोज नियम बदल न जाए. चीन यह भी चाहता है कि अमेरिकी प्रतिबंधों और ताइवान से जुड़ी उसकी चिंताओं पर भी ध्यान दिया जाए. 

चीन की जवाबी कार्रवाई से खफा अमेरिका

चीन के अमेरिकी सामानों पर 125 परसेंट टैरिफ लगाए जाने और चीनी एयरलाइंस पर बोइंग एयरक्राफ्ट खरीदने पर रोक लगाने के फैसले से तिलमिलाई ट्रंप की सरकार ने चीन पर टैरिफ को बढ़ाकर 245 परसेंट कर दिया. इसका जवाब देते हुए चीन ने कहा था कि वह लड़ने से नहीं डरता. चीन ने यह भी कहा कि अगर अमेरिका इस मसले को सुलझाना चाहता है, तो उसे समानता, सम्मान और पारस्परिक लाभ के आधार पर बात करनी होगी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, अगर अमेरिका वाकई में इस मुद्दे को सुलझाना चाहता है, तो उसे धमकी देना बंद करना चाहिए और समानता, सम्मान और पारस्परिक लाभ के आधार पर चीन से बात करनी चाहिए. 

चीन की ये है डिमांड

  • अमेरिकी कैबिनेट सदस्यों द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियों पर रोक लगाई जाए. 
  • व्यापार मामलों पर अमेरिका एक समान रुख अपनाए. 
  • अमेरिकी प्रतिबंधों और ताइवान पर अमेरिकी नीति के बारे में चीन की चिंताओं का भी समाधान किया जाए.
  • ट्रंप से स्पष्ट समर्थन प्राप्त एक प्रमुख वार्ताकार की नियुक्ति की जाए – ऐसा व्यक्ति जो एक ऐसा समझौता तैयार करने में सक्षम हो,  जिस पर ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों ही औपचारिक रूप से हस्ताक्षर कर सकें. 

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सरपट भाग रही है देश की इकोनॉमी, 3 सालों में जर्मनी और जापान को पछाड़ते हुए आगे निकल जाएगी भारतीय अर्थव्यवस्था

India Economy: भारत की अर्थव्यवस्था अगले तीन सालों में जर्मनी और जापान को भी पछाड़ देगी और 2047 तक यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है. नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने गुरुवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ”भारत दुनिया के लिए शिक्षा का केंद्र बन सकता है क्योंकि बाकी सभी चीजों से परे इसका सबसे बड़ा फायदा इसका लोकतंत्र है.”

तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था

उन्होंने कहा, ”फिलहाल, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. अगले साल के अंत तक हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे. उसके बाद के साल में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे.”

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था का आकार वर्तमान में 4.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है. बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा, हम तीन साल में जर्मनी और जापान से भी बड़े हो जाएंगे. 2047 तक हम दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) बन सकते हैं. 

भारत की समस्याएं कम आय वाले देशों से अलग

उन्होंने कानून और अकाउंटिंग सहित सभी भारतीय कंपनियों से विश्व नेता बनने की आकांक्षा रखने का आग्रह किया. नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि मध्यम आय वाले देशों की समस्याएं कम आय वाले देशों की समस्याओं से बहुत अलग हैं. यह गरीबों को भोजन देने या उन्हें कपड़े उपलब्ध कराने के बारे में नहीं है, यह इस बारे में है कि आप ज्ञान पर आधारित अर्थव्यवस्था किस तरह से बन सकते हैं.

सुब्रह्मण्यम ने बताया कि दुनिया ने कभी ऐसी स्थिति नहीं देखी है जहां जनसंख्या घटेगी. उन्होंने कहा, ”जापान 15,000 भारतीय नर्सों और जर्मनी 20,000 स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं ले रहा है क्योंकि उनके पास पेशेवरों की कमी है और पारिवारिक व्यवस्थाएं भी ध्वस्त हो गई हैं.” उन्होंने कहा, “भारत दुनिया भर में कामकाजी आयु वर्ग के लोगों का एक स्थिर आपूर्तिकर्ता होगा और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत होगी.”

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AI के सहारे Swiggy का बड़ा कदम, Swiggy Pyng ने सब किया Cover | Paisa Live

Swiggy ने Bengaluru में अपने नए AI-Powered App Pyng को लॉन्च किया है, जो 100+ सर्विस कैटेगरीज के प्रोफेशनल्स को users से जोड़ता है। Pyng में Yoga Trainers, Tax Consultants, Wedding Planners जैसे Experts मौजूद हैं। AI Search Assistant, Personal AI Assistant, और Money-Back Guarantee जैसे फीचर्स इसे खास बनाते हैं। यह App Health & Wellness, Finance, Spirituality, Events और Education में ट्रस्टेड सर्विस प्रोवाइड करता है। Swiggy का मकसद 10,000 से ज्यादा Experts को जोड़ना है। अभी यह Bengaluru में उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही पूरे भारत में लॉन्च होगा। क्या Swiggy Urban Company को टक्कर देगा? अपना जवाब बताएं!             

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल के बीच रुपये में आयी जान, डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की बढ़त

Indian Currency Rises: घरेलू स्टॉक मार्केट में विदेशी पूंजी के प्रवाह तथा अमेरिकी मुद्रा के कमजोर रुख के बीच रुपया लगातार चौथे कारोबारी सत्र में मजबूत हुआ. गुरुवार को शुरुआती कारोबार में 10 पैसे की बढ़त के साथ ही 85.54 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. हालांकि, विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि शेयर बाजार में सुस्त धारणा और कच्चे तेल की कीमतों में मामूली सुधार से स्थानीय मुद्रा की बढ़त सीमित रही.

इधर, अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.48 प्रति डॉलर पर खुला और शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले 85.54 पर लुढ़क गया जो पिछले बंद भाव से 10 पैसे की बढ़त दर्शाता है. रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले  बुधवार को 85.64 पर बंद हुआ था.

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.14 प्रतिशत की बढ़त के साथ 99.28 पर रहा. अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.96 प्रतिशत चढ़कर 66.48 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा.

घरेलू शेयर बाजार में BSE सेंसेक्स 333.47 अंक की गिरावट के साथ 76,710.82 अंक पर जबकि निफ्टी 127.55 अंक फिसलकर 23,309.65 अंक पर रहा.  शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बुधवार को लिवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 3,936.42 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे.

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लगातार तीसरे दिन गुलजार रहा शेयर बाजार, 309 अंक उछला सेंसेक्स; निफ्टी भी 23000 के पार

Share Market Today: भारतीय शेयर बाजार में आज बुधवार 16 अप्रैल को लगातार तीसरे दिन तेजी देखने को मिली. दोनों इंडेक्स हरे निशान पर बंद हुए. बेंचमार्क इंडेक्स तेज खरीदारी के चलते मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ. बीएसई सेंसेक्स 309.40 अंक या 0.40 परसेंट की उछाल के साथ 77,044.29 के लेवल पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी भी 108.65 अंक या 0.47 परसेंट चढ़कर 23,437.20 पर बंद हुआ.

मंगलवार को भी शेयर बाजार में दिखी तेजी   

भारतीय शेयर बाजार ने इस कारोबारी हफ्ते की शुरुआत मजबूती के साथ की. सोमवार को अंबेडकर जयंती के चलते मार्केट बंद था. मंगलवार को बेंचमार्क इंडेक्स में तेज उछाल आया. सेंसेक्स 1,600 अंकों से अधिक की बढ़त के साथ 76,734.02 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 23,328.50 के रिकॉर्ड के हाई लेवल पर पहुंच गया. निवेशकों के मन में यह उम्मीद है कि अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर का मामला ठंडा पड़ सकता है. सेमीकंडक्टर पर टैरिफ भी अस्थायी रूप से कम हो सकती है. इन मजबूत वैश्विक संकेतों के चलते घरेलू निवेशकों की शेयर मार्केट में वापसी हो रही है. 

फिर डॉलर के मुकाबले रुपया हुआ मजबूत

बुधवार को रुपया लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में भी अपनी तेजी को बरकरार रखते हुए अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे की बढ़त के साथ 85.68 पर बंद हुआ. इस दौरान घरेलू निवेशकों ने भारतीय शेयरों पर खूब पैसे लगाए, जिससे विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की निकासी की भरपाई हो गई. आज के कारोबार के दौरान टॉप गेनर में बैंकिंग, टेलीकॉम और ऑयल एंड गैस कंपनियों के शेयर रहे.

बीएसई स्मॉलकैप और मिडकैप में भी लगभग 1 परसेंट का उछाल देखने को मिला. इनमें इंडसइंड बैंक के शेयरों में 7.12 परसेंट की तेजी आई. इसके बाद एक्सिस बैंक, भारती एयरटेल, अडानी पोर्ट्स, एशियन पेंट्स के शेयरों की क्लोजिंग भी 1.35 परसेंट से लेकर 4.26 परसेंट की बढ़त के साथ हुई. वहीं, सेंसेक्स के बाकी के 12 शेयर आज गिरावट के साथ बंद हुए.  टॉप लूजर्स की लिस्ट में सुजुकी, हिंडाल्को, बजाज फाइनेंस, एनटीपीसी, टाटा मोटर्स के शेयर रहे. 

निवेशकों की हुई इतनी कमाई

बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप कल के मुकाबले आज करीब 2.76 लाख करोड़ बढ़कर 415 लाख करोड़ पहुंच गया है. यानी कि निवेशकों की संपत्ति में  2.76 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है. मंगलवार को बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 412.24 लाख करोड़ रुपये थी. 

 

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सोने की कीमत ने बनाया नया रिकॉर्ड, एक ही दिन में 1650 रुपये बढ़ी कीमत; 10 ग्राम का भाव 98000 के पार

Gold-Silver Prices: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को सोने की कीमत एक ही दिन में 1,650 रुपये बढ़कर 98,100 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर का ही असर है कि सोने की कीमतों में इतना उछाल आया है. अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, मंगलवार को 99.9 परसेंट शुद्धता वाले सोने का भाव 96,450 रुपये पर बंद हुआ था. इस बीच, 99.5 परसेंट शुद्धता वाला सोना भी पिछले दिन के 96,000 रुपये से बढ़कर 97,650 रुपये के नए शिखर पर पहुंच गया है. 

चांदी की भी कीमतें बढ़ी

इस दौरान चांदी की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है, जो मंगलवार को 97,500 रुपये के मुकाबले 1,900 रुपये बढ़कर 99,400 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में, हाजिर सोना 3,318 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड हाई लेवल को छू लिया. एशियाई बाजारों में भी ट्रेडिंग सेशन के दौरान हाजिर चांदी लगभग 2 परसेंट की बढ़त के साथ 32.86 डॉलर प्रति औंस हो गया। न्यूयॉर्क में सोने का वायदा 3,289.07 डॉलर प्रति औंस के ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया. 

MCX पर भी सोने की कीमतों में उछाल

घरेलू बाजार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर जून डिलीवरी के लिए सोने का वायदा भाव तेजी के साथ 94,781 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. इस बंद भाव 94,768 रुपये पर रहा. इसमें 21,211 लॉट के ओपन इंटरेस्ट के साथ 1,317 रुपये की तेजी आई. इस बढ़त का श्रेय अमेरिका के चीनी सामानों के आयात पर टैरिफ को बढ़ाकर 245 परसेंट कर दिए जाने को जाता है.

कोटक सिक्योरिटीज में कमोडिटी रिसर्च की एवीपी कायनात चैनवाला ने इस पर TOI से बात करते हुए कहा, अमेरिकी सरकार द्वारा चीन के निर्यात के नियमों पर सख्ती लाने के बाद कीमतों में उछाल आया है. अबांस फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ चिंतन मेहता ने इस तेजी का श्रेय कमजोर होते अमेरिकी डॉलर को दिया. 

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Share Market Today: क्या आज शेयर बाजार में रहेगी बहार? इंट्राडे कारोबार में ये ये स्टॉक्स मचा सकते हैं धमाल

Share Market: भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को जबरदस्त तेजी देखने को मिली. एक तरफ जहां बीएसई सेंसेक्स 1577.63 प्वॉइट्स या 2.10 परसेंट उछलकर 76734.89 पर बंद हुआ, तो वहीं निफ्टी 2.19 परसेंट या 500.00 अंकों की बढ़त के साथ 23328.55 पर बंद हुआ. रही आज की बात तो, आज बाजार में मिलेजुले संकेत देखने को मिल सकते हैं. आज रिटेल महंगाई के आंकड़ों पर बाजार की नजर रहेगी. इसके अलावा, वारी रिन्यूऐबल टेक्नोलॉजी, विप्रो, स्वराज इंजन, एंजल वन, रिलायंस इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर, जीटीपीएल हैथवे के मार्च 2025 के तिमाही के नतीजे जारी होंगे. 

आज फोकस में बने रहेंगे ये शेयर

Swiggy

ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी ने मंगलवार को राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS) के तहत श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के साथ एक MOU पर हस्ताक्षर किए. इसका मकसद गिग वर्कर्स और लॉजिस्टिक्स के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है. इसके तहत, स्विगी अगले 2, -3 साल में लाखों लोगों को नौकरियां देगा. 

Lemon Tree Hotels

लेमन ट्री होटल्स ने राजस्थान के मोरी बेरा में लेमन ट्री रिसॉर्ट के लिए एक लाइसेंस एग्रीमेंट किया है. इसके मैनेजमेंट की जिम्मेदारी लेमन ट्री की सब्सिडियरी कंपनी कार्नेशन होटल्स करेगी. इस प्रॉपर्टी के खुलने की उम्मीद वित्त वर्ष 2027 में है. 

Adani Total Gas

गेल इंडिया ने 16 अप्रैल से अडानी टोटल गैस को एपीएम प्राइस्ड घरेलू गैस के आवंटन में 15 परसेंट की कटौती कर दी थी. यानी कि गेल अब पहले के मुकाबले 15 परसेंट कम अपनी तय कीमत वाली गैस देग और इसकी जगह गेल अडानी टोटल गैस को ज्यादा कीमत वाली न्यू वेल गैस या NWG देगा. इससे अडानी टोटल गैस के मुनाफे पर असर पड़ सकता है. 

Dabur

FMCG सेक्टर की भारत की दिग्गज कंपनी डाबर इंडिया लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी कंपनी डाबर इंटरनेशनल एफजेडई ने ब्रिटेन में अपनी एक यूनिट लगाने का फैसला किया है. इसके तहत एफजेडई यहां एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की ब्रिकी और डिस्ट्रीब्यूशन का काम संभालेगी. 

Poonawalla Fincorp

साइरस पूनावाला समूह द्वारा प्रवर्तित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) पूनावाला फिनकॉर्प ने मंगलवार को गोल्ड लोन के कारोबार में एंट्री ली है और इसी के साथ सिक्योर लोन प्रोडक्ट के अपने पोर्टफोलियो का विस्तार किया है. 

PB Fintech 

पॉलिसीबाजार की मूल इकाई पीबी फिनटेक ने मंगलवार को कहा कि उसकी सब्सिडियरी कंपनी को आरबीआई से पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस मिल गया है. इसके चलते आज पीबी फिनटेक के स्टॉक फोकस में रहेंगे. 

BC Jindal Group

बीसी जिंदल ग्रुप ने मंगलवार को रिन्यूऐबल एनर्जी कॉम्पोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग में प्रवेश की घोषणा की, जिसमें 2030 तक 15,000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना है.

 

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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सरपट भाग रही है सोने की कीमत, MCX पर 10 ग्राम गोल्ड 1000 रुपये की बढ़त के साथ 94 हजार के पार

Gold Prices Today: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी और कमजोर हो रहे डॉलर के चलते बुधवार सुबह घरेलू वायदा बाजार में सोने का भाव 94,573 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गया. बुधवार, 16 अप्रैल को शुरुआती कारोबार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने की कीमतें 1,000 रुपये या 1 परसेंट से अधिक बढ़कर रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गईं. 

निवेशकों के बीच बढ़ी सोने की डिमांड

94,573 के रिकॉर्ड हाई लेवल को छूने के बाद  MCX पर सोने की कीमतों में थोड़ी गिरावट आई और सुबह 9:40 बजे के आसपास यह 1.13 परसेंट की बढ़त के साथ 94,475 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई. बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सोने की कीमतों में गजब उछाल देखने को मिला. दरअसल, ग्लोबल मार्केट में डॉलर में लगातार हो रही गिरावट और ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ पर ट्रेड वॉर के असर को लेकर निवेशक चिंतित हैं. कॉमेक्स पर भी गोल्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. यह 2 परसेंट की तेजी के साथ 3,294.60 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर कारोबार कर रहा है. आर्थिक अनिश्चितता के बीच निवेशकों के बीच सोने की डिमांड बढ़ गई है इसलिए इसकी कीमत में बढ़ोतरी हुई है. 

इसलिए भी बढ़ रही सोने की कीमत

भारत और अमेरिका में महंगाई में आई गिरावट के बाद ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं, जिससे सोने की कीमतें बढ़ने की संभावना है. बता दें कि भारत में रिटेल महंगाई मार्च 2025 में अगस्त 2019 के बाद सबसे कम हो गई. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारितरिटेल महंगाई मार्च में सालाना आधार पर 3.34 परसेंट बढ़ी.  यह फरवरी में दर्ज 3.61 परसेंट और एक साल पहले की अवधि में दर्ज 4.85 परसेंट से कम है. 

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Retail Inflation: महंगाई से मिली जनता को राहत! 67 महीने के निचले स्तर पर आई खुदरा महंगाई दर

Retail Inflation: भारतीय आम जनता के लिए एक राहत की खबर है. देश में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) मार्च 2025 में घटकर सिर्फ 3.34 फीसदी रह गई है और ये आंकड़ा सितंबर 2019 के बाद सबसे कम है. मंगलवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, ये गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के चलते आई है.

फरवरी में भी महंगाई दर 3.61 फीसदी थी और अब इसमें और गिरावट देखने को मिली है. ये गिरावट उस समय आई है जब वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है, फिर भी भारतीय बाजार में राहत का माहौल दिख रहा है.

अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव सिग्नल

खास बात ये है कि ये आंकड़े भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 2-6 फीसदी की सीमा में ही नहीं, बल्कि इसके लक्ष्य 4 फीसदी से भी नीचे हैं, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक पॉजिटिव सिग्नल है. अब अगर बात करें खाने-पीने की चीज़ों की तो फूड इंफ्लेशन मार्च में 2.69 फीसदी पर आ गया, जो फरवरी में 3.75 फीसदी था. सब्जियों की महंगाई में तो बड़ी गिरावट आई, फरवरी में जहां -1.07 फीसदी की गिरावट थी, वहीं मार्च में ये गिरकर -7.04 फीसदी हो गई.

आम आदमी को मिली राहत

अनाज की महंगाई 5.93 फीसदी रही जबकि दालों की कीमतों में 2.73 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. ये उन लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत है जिनका बजट दाल-रोटी और सब्जी पर ही टिका होता है. ईंधन और बिजली (Fuel & Light) की महंगाई भी घटकर 1.48 फीसदी रह गई है, जबकि ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में महंगाई दर में कमी आई है. ग्रामीण महंगाई फरवरी के 3.79 फीसदी से घटकर 3.25 फीसदी हो गई है और शहरी महंगाई भी अब 2.48 फीसदी पर आ गई है.

आगे क्या होगा?

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा कि महंगाई में गिरावट का ट्रेंड जारी रहेगा और FY26 (वित्त वर्ष 2025-26) में और राहत मिल सकती है. उन्होंने बताया कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता बनी रही तो घरों पर खर्च का दबाव कम होगा. हालांकि RBI ने ये भी कहा कि वैश्विक अनिश्चितता, जैसे अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ, अब भी एक बड़ा खतरा हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर 26 फीसदी आयात शुल्क लगाया था, हालांकि चीन को छोड़कर बाकी देशों को 90 दिनों की राहत भी दी गई है.

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US-China Trade War: चीन का एक कड़ा फैसला और चित हो गए डोनाल्ड ट्रंप! इस अमेरिकी कंपनी को हुआ सबसे बड़ा नुकसान

US-China Trade War: अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर हर बीतते दिन में गहराता जा रहा है. शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप की दुश्मनी का खामियाजा दोनों देशों की बड़ी कंपनियों को भुगतना पड़ रहा है. हाल ही में चीन के एक कड़े फैसले ने अमेरिका की प्लेन निर्माता कंपनी Boeing एक बार फिर मुश्किलों में डाल दिया है.

दरअसल, चीन ने अपने एयरलाइंस को बोइंग से नए विमान ना लेने का निर्देश दिया है, जिससे कंपनी के शेयरों में मंगलवार को भारी गिरावट देखी गई. माना जा रहा है कि ये फैसला अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के चलते लिया गया है.

क्या है पूरा मामला?

एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने अपने एयरलाइंस को बोइंग के किसी भी नए विमान की डिलीवरी लेने से रोक दिया है. चीन की ओर से कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया, लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट ने इस खबर को हवा दे दी है.

बोइंग को क्यों लग रहा है झटका?

बोइंग अमेरिका की सबसे बड़ी निर्यातक कंपनी है और लगभग 150,000 अमेरिकी कर्मचारियों को रोजगार देती है. लेकिन पिछले 6 सालों से कंपनी संघर्ष कर रही है और कंपनी 2018 से अब तक 51 बिलियन डॉलर का घाटा झेल चुकी है. खास बात ये है कि कंपनी के दो-तिहाई विमान अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को बेचे जाते हैं, जिनमें से सबसे बड़ा बाजार चीन है.

बोइंग का आकलन है कि अगले 20 वर्षों में चीन को लगभग 8,830 नए विमानों की जरूरत होगी, लेकिन इस फैसले के बाद बोइंग को इस मार्केट से काफी नुकसान हो सकता है.

क्या सिर्फ ट्रेड वॉर है वजह?

बोइंग की परेशानी सिर्फ व्यापारिक तनावों की वजह से नहीं है. कंपनी को 2018 और 2019 में दो घातक हादसों के बाद अपने सबसे ज्यादा बिकने वाले विमान 737 MAX को ग्राउंड करना पड़ा था. इसके चलते चीन ने काफी लंबे समय तक इन विमानों को सेवा में लौटने की अनुमति नहीं दी थी, जबकि अन्य देश 2020 में इन्हें वापिस उड़ान में ले आए थे.

डिलीवरी क्यों है बोइंग के लिए जरूरी?

बोइंग को विमान की डिलीवरी के बाद ही बड़ा हिस्सा भुगतान में मिलता है. यानी जब तक डिलीवरी नहीं होगी, तब तक कमाई भी नहीं होगी. कंपनी के अनुसार, 2024 के अंत तक उसके पास 55 विमान स्टॉक में पड़े हैं, जिनमें से ज़्यादातर चीन और भारत के ग्राहकों के लिए थे, लेकिन डिलीवरी रोक दिए जाने से अब ये स्टॉक कंपनी पर बोझ बन गया है.

ट्रेड वॉर की नई लड़ाई

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी उत्पादों पर 145 फीसदी तक टैरिफ लगाने के बाद चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर 125 फीसदी तक टैक्स लगा दिया. बोइंग के महंगे विमानों पर इतना टैक्स लगने से चीन में उनकी बिक्री लगभग नामुमकिन हो गई है. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 और 2018 में बोइंग ने चीन से 122 विमानों के ऑर्डर लिए थे, जबकि पिछले 6 सालों में उसे केवल 28 ऑर्डर ही मिले हैं, वो भी ज़्यादातर मालवाहक विमानों के.

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Gold Price Today: 15 अप्रैल को कम हो गया सोने का दाम, जानें आपके शहर में कितनी घट गई गोल्ड की कीमत

Gold Price Today: सोने की कीमत में 15 अप्रैल यानी मंगलवार को कमी आयी है. इसके नया रेट करीब 250 तक तक कम हो गया है. जबकि, चांदी करीब 99,800 रुपये प्रति किलो के दर से बिक रही है. यानी, करीब 100 रुपये की कमी आयी है. अलग-अलग शहरों में अगर सोने की कीमतों की बात करें तो दिल्ली में 22 कैरेट सोने की कीमत 87, 690 रुपये है.   

24 कैरेट सोना प्रति 10 ग्रामल 95650 रुपये के दर से बिक रहा है जबकि मुंबई में 22 कैरेट सोना 87540 रुपये और चौबीस कैरेट सोना प्रति दस ग्राम 95,500 रुपये पर कारोबार कर रहा है. कोलकाता की बात करें तो 22 कैरेट सोने की कीमत 85,540 रुपये, जबकि 24 कैरेट प्रति 10 ग्राम की कीमत 95,500 रुपये है.

सोने के घटे दाम

चेन्नई में 22 कैरेट सोना 87540 रुपये जबकि 24 कैरेट सोना 95,500 रुपये पर कारोबार कर रहा है. पटना में 22 कैरेट सोना 87540 रुपये जबकि 24 कैरेट सोना 95500 रुपये पर कारोबार कर रहा है. जयपुर में 22 कैरेट सोना 87690 रुपये जबकि 24 कैरेट सोना 95650 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव से बिक रहा है.  

इससे पहले, अंतरराष्ट्रीय बाजार में टैरिफ से हलचल के बीच सोने की कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है. प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत 93,300 के पार पहुंच गई थी. 24 कैरेट वाले सोने का भाव शुक्रवार को प्रति 10 ग्राम 93,353 हो गया था, जबकि उससे एक दिन पहले 90,161 की दर से बिका था.  एमसीएक्स में शुक्रवार को गोल्ड फ्यूचर्स की कीमत सर्वोच्च स्तर 93,340 पर पहुंच गई. दुनिया की दो आर्थिक महाशक्ति अमेरिका और चीन के टकराव की वजह से लगातार लोगों का रुझान गोल्ड की खरीदारी की तरफ और बढ़ रहा है. 

निवेश के लिए सुरक्षित

आईबीजेए की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 22 कैरेट गोल्ड के प्रति 10 ग्राम की कीमत 91,110 रुपये है, जबकि 20 कैरेट सोना 83,080 रुपये, 18 कैरेट सोना 75,620 रुपये, 14 कैरेट गोल्ड 60,210 रुपये है. जबकि 2025 में गोल्ड की कीमत में करीब 20 % की उछाल के साथ प्रति 10 ग्राम 16 हजार रुपये तक बढी है.

बाजार के एक्सपर्ट्स का तो यहां तक मानना है कि इस साल 30 अप्रैल को पड़ने वाले अक्षय तृतिया को देखते हुए इसकी कीमत एक लाख रुपये के भी पार जा सकती है. इकॉनोमिक टाइम्स ने एलकेपी सिक्योरिटीज में कॉमोडिटी एंड करेंसी के VP रिसर्च एनालिस्ट जतीन त्रिवेदी का हवाला देते बताया कि सपोर्ट लेव 92 हजार पर इस वक्त सोने की कीमत 94,500 से लेकर 95000 के बीच बनी है. हालांकि, त्रिवेदी ये नहीं बताया कि कि गोल्ड का भाव अक्षय तृतिया पर एक लाख के पार ही जाएगा.

भारत में सोना सांस्कृतिक और वित्तीय तौर पर बहुत अहमियत रखता है. हालांकि, इसकी कीमत कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसे- आयात शुल्क, अंतरराष्ट्रीय ब्याज दरें और टैक्स व विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव. एक तरफ जहां बाजार में अनिश्चितताओं के चलते निवेशकों के लिए सुरक्षित इन्वेस्ट है तो वहीं दूसरी तरफ शादी और दूसरे आयोजनों में इसकी खास अहमियत रहती है.

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शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल, 1750 अंक ऊपर चढ़ा सेंसेक्स.., Tata Motors समेत इन स्टॉक्स में सबसे ज्यादा तेजी

Stock Market Today: आरबीआई रेपो रेट में कटौती से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स पर ट्रंप के टैरिफ में राहत देने के फैसले ने एशियाई बाजार से भारतीय बाजार तक बूस्टर डोज का काम किया है. एक तरफ जहां वॉल स्ट्रीट से लेकर जापान तक एशियाई बाजार में रौनक दिखी तो दूसरी ओर भारतीय शेयर बाजार भी मंगलवार को ऊंची उड़ान भर रहा है. 10 सेकेंड में ही करीब 6 लाख करोड़ रुपये की बारिश हुई है.

शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स करीब 1500 अंक यानी 2 प्रतिशत ऊपर चढ़ा. सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर सेंसेक्स 1576.45 प्वाइंट यानी 2.10 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 76,733.71 पर पहुंच गया. जबकि निफ्टी 470 प्वाइंट यानी 2.06 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 23,298.75 पर आ गया. बैंक निफ्टी में 1100 प्वाइंट से ज्यादा का उछाल आया है. जिन शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी देखी गई वो है- टाटा मोटर्स, HDFC, भारतीय एयरटेल, L&T, M&M ये सभी निफ्टी के टॉप गेनर है. 

शुरुआती कारोबार के दौरान बजाज ग्रुप की कंपनी बजाज फाइनेंस के शेयर करीब 3.5% तक उछल गए. टाटा मोटर्स 5 प्रतिशत चढ़कर निफ्टी का टॉप गेनर बना. जबकि आईटी, मेटल और रियल्टी के शेयरों में भी जोरदार तेजी देखी गई.  

एशियाई मार्केट में रौनक

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से स्मार्ट फोन और कंप्यूटर को टैरिफ के दायरे से बाहर रखने के फैसले के बाद टेक्नोलॉजी स्टॉक ने उड़ान भरी और वॉल स्ट्रीट में मंगलवार को रौनक दिखी. ट्रंप की तरफ से कुछ ऑटोमेकर्स को मदद करने के उनके बयान के बाद ऑटो सेक्टर के शेयरों में भी बढ़त दिखी और निवेशकों के सेंटिमेंट को पॉजिटिव किया.  

अमेरिकी सरकार ने चीन से बड़ी मात्रा में आयात होने वाले स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रोनिक्स को टैरिफ के दायरेसे बाहर रखा है. जापान के निक्केई 225 प्वाइंट यानि 1.15% ऊपर चढ़ा जबकि टॉपिक इंडेक्स में 1.16 प्रतिशत की बढ़त देखी गई. ऑटो स्टॉक सबसे ज्यादा फायदा में रहने वाला रहा. सुजुकी मोटर के शेयर में 5.28 प्रतिशत की उछाल दिखी जबकि माजदा मोटर 5.08 प्रतिशत, होंडा मोटर 5.50 प्रतिशत और टोयोटा मोटर के शेयरों में 4.483 प्रतिशत की बढ़त दिखी.

टैरिफ पर राहत से मिला बूस्टर डोज

ऑटो स्टॉक में मजबूती के बाद दक्षिण कोरिया के Kospi में 0.39 प्रतिशत की बढ़त दिखी, हालांकि, टेक हैवी Kosdaq 0.32 प्रतिशत नीछे फिसल गया, किया कॉर्प के शेयरों में 2.89 प्रतिशत और हुंडई मोटर के शेयर 2.57 प्रतिशत ऊपर चढ़ा. जबकि, हांगकांड का हेंग सेंग इंडेक्स फ्यूचर्स मजबूती के साथ खुला. 

ट्रंप की तरफ से इलेक्टॉनिक्स को टैरिफ से राहत देने के बाद  अमेरिकी स्टॉक मार्केट वॉल स्ट्रीट में टेक स्टॉक में तेजी देखी गई.  डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 312.08 अंक यानी 0.78 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 40,524.97 पर पहुंच गया. वहीं S&P 500 में 42.61 अंक यानी 0.79 प्रतिशत चढ़कर 5,405.97 पर कारोबार किया. जबकि नैस्डेक कंपोजिच 107.03 अंक यानी 064 प्रतिशत चढ़कर 16,831.48 पर पहुंच गया.

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World Busiest Airports: भारत ने चीन को पछाड़ा! IGIA दुनिया के टॉप 10 बिजी एयरपोर्ट्स में हुआ शामिल

World Busiest Airports: अगर आप हाल ही में दिल्ली एयरपोर्ट से गुजरे हैं, तो आपने उसकी तेजी, तकनीक और सुंदरता को जरूर महसूस किया होगा. अब यही बात पूरी दुनिया मान रही है. दरअसल, दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGIA) अब दुनिया के टॉप 10 सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स की लिस्ट में आ गया है.

कहां से कहां पहुंच गया दिल्ली एयरपोर्ट

एयरपोर्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल (ACIE) में 2019 में दिल्ली एयरपोर्ट का रैंक था 17वां. फिर 2021 में 13वें स्थान पर पहुंचा और 2023 में 10वें नंबर पर. अब 2024 में इसने छलांग लगाई और 9वां स्थान हासिल कर लिया है. यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 में दिल्ली एयरपोर्ट से 7.7 करोड़ पैसेंजर्स ने सफर किया. दुनिया भर में 2024 में कुल 9.5 अरब यात्रियों ने हवाई सफर किया, जो 2023 के मुकाबले 9 फीसदी ज़्यादा है. मतलब लोग अब फिर से बड़े पैमाने पर उड़ान भरने लगे हैं.

दिल्ली एयरपोर्ट की इस उड़ान के पीछे क्या हैं वजहें?

दिल्ली एयरपोर्ट की इस छलांग के पीछे कई वजहें हैं, इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर का मेकओवर, ग्लोबल कनेक्टिविटी और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्धता प्रमुख है. दरअसल, दिल्ली एयरपोर्ट पर नए टर्मिनल्स, रनवे का विस्तार, फेस रिकॉग्निशन जैसी स्मार्ट तकनीकें और ऑटोमैटेड बैगेज सिस्टम इसे खास बनाता है.

इसके अलावा, दिल्ली से अब सीधे 150 से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय डेस्टिनेशन्स तक फ्लाइट्स मिल रही हैं. यानी, दिल्ली से दुनिया अब और भी नज़दीक हो रही है. वहीं, दिल्ली एयरपोर्ट ने सस्टेनेबिलिटी के मोर्चे पर भी बाज़ी मारी है. रिन्युएबल एनर्जी, कार्बन न्यूट्रल गोल्स और इंटरनेशनल सर्टिफिकेशन ने इसे और शानदार बनाया है.

दिल्ली एयरपोर्ट को एक और सम्मान

2024 की शुरुआत में दिल्ली एयरपोर्ट को 7वीं बार एशिया-पैसिफिक का बेस्ट एयरपोर्ट भी चुना गया. Airport Service Quality (ASQ) अवॉर्ड मिलना बताता है कि केवल भीड़ ही नहीं, क्वालिटी में भी दिल्ली एयरपोर्ट नंबर वन है.

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उलझी हुई प्लानिंग, गिरता विश्वास और चीन के साथ रार…ट्रंप के लिए अब शुरू हुई अग्नि परीक्षा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) का अंदाज हमेशा से अलग रहा है और अब अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर में उन्होंने फिर वही किया जो उनसे उम्मीद थी. ज़ोरदार दांव, ऊंचे टैरिफ और बहुत सारा सियासी ड्रामा. लेकिन इस बार दांव बड़ा है और खेल अब सिर्फ सियासी नहीं, बल्कि ग्लोबल इकोनॉमी को हिला देने वाला हो गया है. यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप के हर प्लान पर अब पूरी दुनिया की नजर रहती है.

उलझी हुई ट्रंप की ‘डिटेल्ड प्लानिंग’

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 145 फीसदी टैरिफ थोप दिए हैं और दावा कर रहे हैं कि ये सब उनकी ‘डिटेल्ड प्लानिंग’ का हिस्सा है. लेकिन इस फैसले के बाद दुनिया भर के बाजारों में उथल-पुथल है और अमेरिका के अंदर भी कन्फ्यूजन का माहौल है.

व्हाइट हाउस के अधिकारी कह रहे हैं कि सबकुछ ‘प्लान के मुताबिक’ चल रहा है, लेकिन कभी टैरिफ लगाना, फिर फोन और कंप्यूटर पर छूट देना और फिर कहना कि नहीं, वो भी टैरिफ में आएंगे…ये सब कदम ट्रंप प्रशासन की नीति को उलझाता नजर आ रहा है.

‘नो कॉलिंग ट्रंप’ है चीन का जवाब

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अब तक अमेरिका के किसी भी आग्रह या बातचीत की पहल पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजिंग फिलहाल बातचीत से बच रहा है. चीन का मानना है कि अमेरिका की ये नीति ‘बुलीइंग’ है यानी धौंस जमाने वाली नीति और चीन इस दबाव में नहीं झुकेगा.

चीन के लिए यह सिर्फ एक ट्रेड वॉर नहीं, बल्कि उसकी संप्रभुता और वैश्विक स्थिति से जुड़ा सवाल है. यही वजह है कि जिनपिंग किसी भी तरह की “झुकने” वाली छवि नहीं बनाना चाहते.

अमेरिका बनाम चीन, कौन ज्यादा नुकसान में?

ट्रंप सरकार का दावा है कि अमेरिका के पास ज़्यादा ताकत है. चीन अमेरिका को जितना एक्सपोर्ट करता है, अमेरिका उतना चीन को नहीं करता. लेकिन कई एक्सपर्ट मानते हैं कि चीन की सरकार अपने लोगों पर थोपा गया आर्थिक दबाव सह सकती है, जबकि अमेरिका की जनता महंगाई, शॉर्टेज और रिटायरमेंट फंड में घाटे को लेकर ज़्यादा संवेदनशील है.

ट्रंप की पॉलिटिकल जमीन भी हिल रही?

हालिया CBS सर्वे के अनुसार, ट्रंप की अर्थव्यवस्था और महंगाई को संभालने की रेटिंग गिर रही है. 60 फीसदी लोग मानते हैं कि वे महंगाई को ठीक से नहीं संभाल पा रहे. यही नहीं, 75 फीसदी लोग मानते हैं कि टैरिफ की वजह से आने वाले समय में कीमतें और बढ़ेंगी. ट्रंप का ये दांव उनके लिए और जोखिम भरा इसलिए हो जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने चुनावी वादों में खाने-पीने और मकान की लागत घटाने की बात कही थी.

‘डीलमेकर’ ट्रंप की सबसे कठिन परीक्षा

ट्रंप हमेशा से खुद को एक ‘मास्टर डीलमेकर’ कहते आए हैं, लेकिन इस बार का मुकाबला अलग है. चीन के साथ रिश्ते सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं हैं, इसमें राजनीतिक प्रतिष्ठा, वैश्विक शक्ति संतुलन और आम लोगों की जेबें सब शामिल हैं.

अब देखना होगा कि क्या ट्रंप इस बार भी अपने सौदेबाजी के कौशल से अमेरिका को जीत दिला पाते हैं या फिर ये ट्रेड वॉर उनके लिए एक बड़ा राजनीतिक जोखिम साबित होगा.

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