World Busiest Airports: भारत ने चीन को पछाड़ा! IGIA दुनिया के टॉप 10 बिजी एयरपोर्ट्स में हुआ शामिल

World Busiest Airports: अगर आप हाल ही में दिल्ली एयरपोर्ट से गुजरे हैं, तो आपने उसकी तेजी, तकनीक और सुंदरता को जरूर महसूस किया होगा. अब यही बात पूरी दुनिया मान रही है. दरअसल, दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGIA) अब दुनिया के टॉप 10 सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स की लिस्ट में आ गया है.

कहां से कहां पहुंच गया दिल्ली एयरपोर्ट

एयरपोर्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल (ACIE) में 2019 में दिल्ली एयरपोर्ट का रैंक था 17वां. फिर 2021 में 13वें स्थान पर पहुंचा और 2023 में 10वें नंबर पर. अब 2024 में इसने छलांग लगाई और 9वां स्थान हासिल कर लिया है. यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 में दिल्ली एयरपोर्ट से 7.7 करोड़ पैसेंजर्स ने सफर किया. दुनिया भर में 2024 में कुल 9.5 अरब यात्रियों ने हवाई सफर किया, जो 2023 के मुकाबले 9 फीसदी ज़्यादा है. मतलब लोग अब फिर से बड़े पैमाने पर उड़ान भरने लगे हैं.

दिल्ली एयरपोर्ट की इस उड़ान के पीछे क्या हैं वजहें?

दिल्ली एयरपोर्ट की इस छलांग के पीछे कई वजहें हैं, इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर का मेकओवर, ग्लोबल कनेक्टिविटी और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्धता प्रमुख है. दरअसल, दिल्ली एयरपोर्ट पर नए टर्मिनल्स, रनवे का विस्तार, फेस रिकॉग्निशन जैसी स्मार्ट तकनीकें और ऑटोमैटेड बैगेज सिस्टम इसे खास बनाता है.

इसके अलावा, दिल्ली से अब सीधे 150 से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय डेस्टिनेशन्स तक फ्लाइट्स मिल रही हैं. यानी, दिल्ली से दुनिया अब और भी नज़दीक हो रही है. वहीं, दिल्ली एयरपोर्ट ने सस्टेनेबिलिटी के मोर्चे पर भी बाज़ी मारी है. रिन्युएबल एनर्जी, कार्बन न्यूट्रल गोल्स और इंटरनेशनल सर्टिफिकेशन ने इसे और शानदार बनाया है.

दिल्ली एयरपोर्ट को एक और सम्मान

2024 की शुरुआत में दिल्ली एयरपोर्ट को 7वीं बार एशिया-पैसिफिक का बेस्ट एयरपोर्ट भी चुना गया. Airport Service Quality (ASQ) अवॉर्ड मिलना बताता है कि केवल भीड़ ही नहीं, क्वालिटी में भी दिल्ली एयरपोर्ट नंबर वन है.

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उलझी हुई प्लानिंग, गिरता विश्वास और चीन के साथ रार…ट्रंप के लिए अब शुरू हुई अग्नि परीक्षा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) का अंदाज हमेशा से अलग रहा है और अब अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर में उन्होंने फिर वही किया जो उनसे उम्मीद थी. ज़ोरदार दांव, ऊंचे टैरिफ और बहुत सारा सियासी ड्रामा. लेकिन इस बार दांव बड़ा है और खेल अब सिर्फ सियासी नहीं, बल्कि ग्लोबल इकोनॉमी को हिला देने वाला हो गया है. यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप के हर प्लान पर अब पूरी दुनिया की नजर रहती है.

उलझी हुई ट्रंप की ‘डिटेल्ड प्लानिंग’

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 145 फीसदी टैरिफ थोप दिए हैं और दावा कर रहे हैं कि ये सब उनकी ‘डिटेल्ड प्लानिंग’ का हिस्सा है. लेकिन इस फैसले के बाद दुनिया भर के बाजारों में उथल-पुथल है और अमेरिका के अंदर भी कन्फ्यूजन का माहौल है.

व्हाइट हाउस के अधिकारी कह रहे हैं कि सबकुछ ‘प्लान के मुताबिक’ चल रहा है, लेकिन कभी टैरिफ लगाना, फिर फोन और कंप्यूटर पर छूट देना और फिर कहना कि नहीं, वो भी टैरिफ में आएंगे…ये सब कदम ट्रंप प्रशासन की नीति को उलझाता नजर आ रहा है.

‘नो कॉलिंग ट्रंप’ है चीन का जवाब

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अब तक अमेरिका के किसी भी आग्रह या बातचीत की पहल पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजिंग फिलहाल बातचीत से बच रहा है. चीन का मानना है कि अमेरिका की ये नीति ‘बुलीइंग’ है यानी धौंस जमाने वाली नीति और चीन इस दबाव में नहीं झुकेगा.

चीन के लिए यह सिर्फ एक ट्रेड वॉर नहीं, बल्कि उसकी संप्रभुता और वैश्विक स्थिति से जुड़ा सवाल है. यही वजह है कि जिनपिंग किसी भी तरह की “झुकने” वाली छवि नहीं बनाना चाहते.

अमेरिका बनाम चीन, कौन ज्यादा नुकसान में?

ट्रंप सरकार का दावा है कि अमेरिका के पास ज़्यादा ताकत है. चीन अमेरिका को जितना एक्सपोर्ट करता है, अमेरिका उतना चीन को नहीं करता. लेकिन कई एक्सपर्ट मानते हैं कि चीन की सरकार अपने लोगों पर थोपा गया आर्थिक दबाव सह सकती है, जबकि अमेरिका की जनता महंगाई, शॉर्टेज और रिटायरमेंट फंड में घाटे को लेकर ज़्यादा संवेदनशील है.

ट्रंप की पॉलिटिकल जमीन भी हिल रही?

हालिया CBS सर्वे के अनुसार, ट्रंप की अर्थव्यवस्था और महंगाई को संभालने की रेटिंग गिर रही है. 60 फीसदी लोग मानते हैं कि वे महंगाई को ठीक से नहीं संभाल पा रहे. यही नहीं, 75 फीसदी लोग मानते हैं कि टैरिफ की वजह से आने वाले समय में कीमतें और बढ़ेंगी. ट्रंप का ये दांव उनके लिए और जोखिम भरा इसलिए हो जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने चुनावी वादों में खाने-पीने और मकान की लागत घटाने की बात कही थी.

‘डीलमेकर’ ट्रंप की सबसे कठिन परीक्षा

ट्रंप हमेशा से खुद को एक ‘मास्टर डीलमेकर’ कहते आए हैं, लेकिन इस बार का मुकाबला अलग है. चीन के साथ रिश्ते सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं हैं, इसमें राजनीतिक प्रतिष्ठा, वैश्विक शक्ति संतुलन और आम लोगों की जेबें सब शामिल हैं.

अब देखना होगा कि क्या ट्रंप इस बार भी अपने सौदेबाजी के कौशल से अमेरिका को जीत दिला पाते हैं या फिर ये ट्रेड वॉर उनके लिए एक बड़ा राजनीतिक जोखिम साबित होगा.

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Ambedkar Jayanti Bank Holiday: क्या आज बैंक खुला है? जानें 14 अप्रैल को क्या बंद और क्या खुला है

Ambedkar Jayanti 2025: संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जन्म जयंती पर हर साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में राष्ट्रीय अवकाश होता है. पूरे भारत में इस दिन राष्ट्रीय छुट्टी रहती है, खासतौर पर- तमिलनाडु, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में इस दिन उनके सम्मान में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और जूलुस निकाले जाते हैं.

केन्द्र सरकार के मुताबिक, अंबेडकर जयंती नेशनल होली डे होने की वजह से सरकारी और प्राइवेट दोनों में कई तरह की सेवाएं और संस्थान इस दिन बंद रहेंगे.  इस दिन ज्यादातर राज्यों में पब्लिक और प्राइवेट बैंकों की छुट्टियां रहेंगी. इसके साथ ही, पोस्ट ऑफिस राज्य और केन्द्र संचालित सेवाएं, कोर्ट, पीएसयू, स्कूल और शेयर बाजारों में छुट्टी रहेगी.

पटना से अहमदाबाद बैंक बंद

आरबीआई के होली डे कैलेंडर के मुताबिक, बैंक जिन जगहों पर बंद रहेंगे वो  है- अगरतल्ला, अहमदाबाद, अइजवाल, बेलापुर, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, देहरादून, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंफाल, इटानगर, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पंजी, पटना, श्रीनगर और तिरुवनंदपुरम.

हालांकि, अंबेडकर जयंती 2025 के मौके पर मध्य प्रदेश, नगालैंड, नई दिल्ली, चंडीगढ़, मेघालय और हिमाचल प्रदेश में बैंक की शाखाएं खुली रहेंगी. हालांकि, फिजिकल तौर पर बैंक भले ही अंबेडकर जयंती के दिन बंद है लेकिन डिजिटल बैंकिंग सेवाएं जैसे- इंटरनेट बैंकिंग, एसएमएस बैंकिंग और व्हाट्सएप बैंकिंग पूरी तरह से काम करेगा. इसके अलावा, ज्यादातर हिस्सों में प्राइवेट बिजनेस, रिटेल आउटलेट्स और अन्य जरूर सामानों की सेवाएं जारी रहेंगी.

अप्रैल के महीने में दूसरे और चौथे शनिवार और रविवार के साथ सार्वजनिक अवकाश को मिलाकर कुल 15 दिन बैंकों की छुट्टी रहेगी. इसलिए कस्टमर्स को ये सलाह दी जाती है कि बैंकिंग सेवाओं में किसी तरह के परेशानियों से बचने के लिए पहले से जरूर जानकारी रख लें.

कौन हैं अंबेडकर?

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था. वे तत्कालानी प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में देश के पहले लॉ एंड जस्टिस मिनिस्टर थे. उन्होंने भारत के संविधान के मसौदे को बनाने वाली कमेटी की अध्यक्षता भी की थी.  इस साल समाज सुधारक और राजनेता डॉक्टर अंबेडकर की 134वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है. इसलिए, संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती मनाने के लिए राज्यों में छुट्टी रखी गई है.

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Gold Price Today: और चमकेगा सोना! जल्द कीमत जा सकती है 1 लाख रुपये के पार, जानिए क्या है वजह

Gold Price Today: अंतरराष्ट्रीय बाजार में टैरिफ के चलते मचे उथल-पुथल के बीच लगातार सोने की कीमतों में भारी इजाफा देखा जा रहा है. 24 कैरेट सोने के प्रति 10 ग्राम की कीमत 93,350 रुपये हो गई, जिसमें अतिरिक्त गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लगाने की बाद इसका दाम बढ़कर 96,000 रुपये हो गया. मल्टी कॉमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में शुक्रवार को गोल्ड फ्यूचर्स की कीमत ऑल टाइम हाई 93.340 रुपये हो गई. इस बीच, विश्व की दो आर्थिक धुरी अमेरिका और चीन के टकराव की वजह से लोगों का रुझान सोने की खरीदारी की तरफ और बढ़ रहा है.

इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन(आईबीजेए) की तरफ से जारी डेटा के मुताबिक, 22 कैरेट सोने के प्रति 10 ग्राम की कीमत 91,110 रुपये है, जबकि 20 कैरेट गोल्ड 83,080 रुपये, 18 कैरेट गोल्ड 75,620 रुपये और 14 कैरेट गोल्ड 60,210 रुपये है. 2025 में सोने की कीमत में करीब 20 फीसदी की उछाल के साथ प्रति 10 ग्राम 16 हजार रुपये बढ़ गई है.

एक लाख को पार करेगा सोना

जानकारों का मानना है कि इस साल 30 अप्रैल को पड़ने वाले अक्षय तृतिया के मौके पर सोने की संभावित कीमत 1 लाख के पार कर जाएगी. एलकेपी सिक्योरिटीज में कॉमोडिटी एंड करेंसी के वीपी रिसर्च एनालिस्ट जतीन त्रिवेदी के हवाला देते हुए इकॉनोमिक टाइम्स ने कहा- सपोर्ट लेवल 92,000 पर इस वक्त सोने की कीमत 94,500 से लेकर 95000 के बीच बनी हुई है. हालांकि, उन्होंने ये नहीं कहा कि सोने की कीमत अक्षय तृतिया पर एक लाख के पार करेगी ही.

उन्होंने कहा कि इस वक्त घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनुमान से ज्यादा खरीदादीर की जा रही है. कॉमेक्स पर सोने की कीमत 3,240 डॉलर से लेकर 3,260 डॉलर पर बनी हुई है. जबकि भारत में प्रति 10 ग्राम 94,000 से 92,000 के बीच बनी है.

बाजार में अस्थिरता से बढ़ी मांग

एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कॉमोडिटी एंड करेंसी हेड, एनालिस्ट अनुज गुप्ता का हवाला देते हुए इकॉनोमिक टाइम्स ने भी सोने की कमीतें आगे बढ़ने की उम्मीद जताई. हालांकि उन्होंने  कहा कि सोने की कीमत अप्रैल के आखिर तक 1 लाख के पार कर जाएगी, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी.

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India US Trade Deal: भारत के लिए ठीक नहीं ‘जीरो-फॉर-जीरो’ टैरिफ मॉडल…सूत्रों ने बताया कैसे होगी डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत

India US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) में ‘जीरो-फॉर-जीरो’ टैरिफ मॉडल शामिल नहीं किया जाएगा. सरकारी सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के आर्थिक विकास के स्तर में बड़ा अंतर होने के कारण ऐसी रणनीति व्यावहारिक नहीं है.

बड़े पैकेज डील पर काम हो रहा

‘ज़ीरो-फॉर-ज़ीरो’ मॉडल के तहत दोनों देश एक-दूसरे के समान उत्पादों पर टैरिफ पूरी तरह खत्म करते हैं. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के समझौते विकसित देशों जैसे अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच संभव हैं, भारत जैसे विकासशील देश के साथ नहीं.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि ट्रेड डील इस आधार पर नहीं होती कि “अगर अमेरिका इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ हटाएगा, तो हम भी हटा देंगे.” उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका एक व्यापक पैकेज डील की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसमें वस्तुएं, सेवाएं और गैर-टैरिफ बैरियर्स (non-tariff barriers) जैसे मुद्दों को शामिल किया जाएगा.

इस डील की बातचीत मार्च 2025 में शुरू हुई थी और इसका पहला चरण सितंबर–अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस समय भारत और अमेरिका के बीच करीब 191 अरब डॉलर का व्यापार होता है, जिसे 2030 तक 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है.

भारत बेहतर स्थिति में

फिलहाल दोनों देशों के बीच सेक्टरोल चर्चाएं होनी बाकी हैं. भारत सरकार का मानना है कि वह अन्य देशों की तुलना में व्यापार समझौतों के लिए बेहतर तैयारी की स्थिति में है. वहीं ‘ज़ीरो-फॉर-ज़ीरो’ की अवधारणा दिल्ली स्थित थिंक टैंक ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (GTRI) द्वारा पेश की गई थी, लेकिन भारत सरकार अब एक संतुलित और व्यापक बातचीत की पक्षधर दिख रही है.

इस बातचीत में अमेरिका की प्रमुख मांगों में औद्योगिक उत्पाद, इलेक्ट्रिक गाड़ियां, वाइन, पेट्रोकेमिकल्स, डेयरी और कृषि उत्पाद जैसे सेब, नट्स और अल्फाल्फा शामिल हैं. वहीं भारत की ओर से टेक्सटाइल, गारमेंट, जेम्स एंड ज्वेलरी, लेदर, प्लास्टिक, केमिकल्स, ऑयल सीड्स, झींगे और हॉर्टिकल्चर जैसे लेबर इंटेंसिव सेक्टर्स पर टैरिफ में रियायत की मांग की जा रही है.

अमेरिक से 35 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस 

आपको बता दें कि अमेरिका पिछले तीन सालों से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ है. 2023-24 में भारत ने अमेरिका के साथ 35.3 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस दर्ज किया. भारत के टॉप एक्सपोर्ट्स में दवाइयां (8.1 बिलियन डॉलर), टेलीकॉम उपकरण (6.5 बिलियन डॉलर), कीमती रत्न (5.3 बिलियन डॉलर) और पेट्रोलियम उत्पाद (4.1 बिलियन डॉलर) शामिल रहे. वहीं, भारत ने अमेरिका से कच्चा तेल (4.5 बिलियन डॉलर), पेट्रोलियम (3.6 बिलियन डॉलर), कोयला (3.4 बिलियन डॉलर) और एयरोस्पेस पार्ट्स (1.3 बिलियन डॉलर) जैसे उत्पाद इंपोर्ट किए.

कुल मिलाकर, भारत-अमेरिका व्यापार समझौता किसी एकतरफा रियायतों पर आधारित नहीं होगा, बल्कि एक लॉन्गटर्म और रणनीतिक दृष्टिकोण से बनाया जा रहा है, जो दोनों देशों की घरेलू प्राथमिकताओं और वैश्विक व्यापार संतुलन को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा.

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ट्रंप सरकार का एक और पैंतरा, ट्रेड वॉर में अमेरिका का नया हथियार बनेगा ‘सेमीकंडक्टर टैरिफ’

अमेरिका की सरकार ने भले ही अभी कुछ इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स को टैरिफ यानी आयात शुल्क से छूट दी हो, लेकिन ये राहत ज्यादा दिन टिकने वाली नहीं है. अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लटनिक ने साफ कहा है कि ये छूट सिर्फ अस्थायी है और जल्द ही इन प्रोडक्ट्स पर भी खास तरह का “सेमीकंडक्टर टैरिफ” लगाया जाएगा.

क्या बोले कॉमर्स सेक्रेटरी?

रविवार को ABC चैनल के शो ‘This Week’ में बातचीत करते हुए अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी लटनिक ने कहा, “स्मार्टफोन, कंप्यूटर, सोलर सेल, फ्लैट-पैनल टीवी जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स को अभी टैरिफ से बाहर रखा गया है, लेकिन ये सारे प्रोडक्ट्स अगले 1-2 महीने में सेमीकंडक्टर टैक्स के दायरे में आ जाएंगे.” उनका कहना था कि अमेरिका अब इन जरूरी चीजों जैसे चिप्स, फ्लैट पैनल्स और सेमीकंडक्टर्स का निर्माण अपने देश में ही करना चाहता है. लटनिक ने ज़ोर देते हुए कहा कि हम साउथ ईस्ट एशिया पर पूरी तरह निर्भर नहीं रह सकते.

नेशनल सिक्योरिटी का मामला है

लटनिक ने ये भी साफ किया कि यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे दूसरे देशों के साथ बातचीत कर हल किया जा सके. उन्होंने इस पर कहा कि ये प्रोडक्ट्स अब ‘नेशनल सिक्योरिटी’ के तहत आते हैं. मतलब, ये अब अमेरिका में ही बनने चाहिए. इन्हें टैरिफ से हमेशा के लिए छूट नहीं दी जा सकती.

ट्रंप प्रशासन की सोच क्या है?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम चाहती है कि अमेरिका में ही फिर से फैक्ट्रियां लगें, खासकर दवाइयों और टेक्नोलॉजी से जुड़े सामानों की. इसके लिए आयात पर टैक्स लगाकर कंपनियों को मजबूर किया जा रहा है कि वे मैन्युफैक्चरिंग वापस अमेरिका ले आएं.

अभी मिली छूट किन प्रोडक्ट्स पर है?

शुक्रवार रात अमेरिका की कस्टम्स एजेंसी ने नोटिस जारी कर बताया कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर, सोलर सेल, टीवी डिस्प्ले, और स्टोरेज डिवाइसेस जैसी चीजों को फिलहाल टैरिफ से छूट दी गई है. लेकिन अब यह साफ हो गया है कि यह छूट अस्थायी है और आने वाले महीनों में फिर से टैक्स लागू हो सकता है.

भारत के लिए संदेश

अमेरिका में टैरिफ पॉलिसी अब सीधे तौर पर नेशनल सिक्योरिटी से जुड़ गई है. भारत जैसे देशों के लिए यह संकेत है कि ग्लोबल ट्रेड में अब ‘फ्री ट्रेड’ से ज्यादा ‘सेफ ट्रेड’ का दौर आने वाला है.

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एक हफ्ते में 10 ग्राम सोना 5,010 रुपये हुआ महंगा, चांदी की कीमत में भी उछाल; जानें आपके शहर में क्या है लेटेस्ट प्राइस

Gold-Silver Price: सोने की कीमत में पिछले कुछ हफ्तों से उछाल देखने को मिल रही है. एक हफ्ते में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 5,010 रुपये तक बढ़ी है. वहीं, अगर 22 कैरेट सोने की बात करें तो इसकी कीमत एक हफ्ते में 4600 रुपये तक बढ़ी है.

देश में 10 ग्राम सोने का भाव 95000 से ऊपर चला गया है. राजधानी दिल्ली में ही 10 ग्राम सोने की कीमत 95,820 रुपये है. सोना जितना महंगा होता जा रहा है उतना ही आम आदमी की पहुंच से दूर होता जा रहा है. आइए देश के कुछ बड़े शहरों में 22 कैरेट और 24 कैरेट सोने की कीमत पर एक नजर डालते हैं-

  • दिल्ली में जहां एक तरफ 24 कैरेट 10 ग्राम सोने का भाव 95,820 रुपये है. वहीं, इतने ही ग्राम का 22 कैरेट सोना 87,850 रुपये में बिक रहा है. 
  • कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 87,700 रुपये है. वहीं, 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का भाव इन तीन बड़े शहरों में 95,670 रुपये है. 
  • भोपाल और अहमदाबाद में 22 कैरेट सोने की कीमत 87,750 है. वहीं, 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 95,720 रुपये है. हैदराबाद में भी 22 कैरेट सोने का भाव इस वक्त 87,700 रुपये है और 24 कैरेट सोने की कीमत 95,670 रुपये प्रति 10 ग्राम चल रही है. 
  • जयपुर, लखनऊ और चंडीगढ़ इन तीनों ही शहरों में 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 87,850 रुपये है और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का भाव 95,820 रुपये है.

सोने की कीमत में आ सकती है गिरावट

सोने की इस बढ़ती कीमत को देखते हुए भले ही इस बात की आशंका जताई जा रही है कि शायद आने वाले कुछ समय में 10 ग्राम सोने का भाव 1 लाख रुपये तक पहुंच सकता है, लेकिन एक्सपर्ट्स सोने में निवेश करने वालों को थोड़ा सब्र रखने के लिए कह रहे हैं.

मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले 6-10 महीनों के लिए सोने की कीमत 75,000 के लेवल पर होगी. ऐसा बताया जा रहा है कि आने वाले समय में सोने की सप्लाई बढ़ेगी और इसकी डिमांड कम हो जाएगी. नतीजतन, सोने की चमक कुछ फीकी पड़ जाएगी.

चांदी की कीमत

सोने के साथ-साथ चांदी का भी भाव इन दिनों बढ़ा है. पिछले एक हफ्ते में इसकी कीमत में 6,000 रुपये तक का उछाल आया है. मौजूदा समय में 1 किलो चांदी की कीमत एक लाख रुपये है. 

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अब चीन नहीं भारत बन रहा Apple का हब! 12 महीनों में बना डाले 22 अरब डॉलर के आईफोन

Apple iPhone: एप्पल इंक ने बीते 12 महीनों में भारत में 22 बिलियन डॉलर वैल्यू के आईफोन का निर्माण किया है, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 60 परसेंट ज्यादा है. इस मामले से परिचित लोगों का कहना है कि आज के समय में 20 परसेंट आईफोन या पांच में से एक आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग अब इस दक्षिण एशियाई देश में होती है. 

चीन से भारत का रूख कर रही है कंपनी

इससे पता चलता है कि एप्पल और उसके सप्लायर्स अब चीन से बाहर भारत का रूख कर रहे हैं. ट्रेड वॉर के इस बढ़ते खतरे के बीच एप्पल चीन के बाहर अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने पर जोर दे रहा है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि भारत के 26 परसेंट टैरिफ के मुकाबले चीन पर अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ 145 परसेंट है. बताया जा रहा है कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के चलते ही भारत से अमेरिका को आईफोन की शिपमेंट में तेजी आई है.इस प्रक्रिया की शुरुआत कोरोना महामारी के समय में हुई थी, जब ‘जीरो कोविड नीति’ के चलते कुछ फैक्ट्रियों का कामकाज प्रभावित होने के बाद एप्पल ने चीन से भारत का रूख किया. 

इतने अरब डॉलर के आईफोन का हुआ एक्सपोर्ट 

भारत में बने अधिकतर iPhones को दक्षिण भारत में स्थित फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप की फैक्ट्री में असेंबल किया जाता है. भारत में एप्पल के प्रमुख सप्लायर्स Foxconn, Wistron, Pegatron और Tata Electronics हैं. देश के प्रौद्योगिकी मंत्री ने 8 अप्रैल को कहा, भारत के कुल उत्पादन में से Apple ने मार्च 2025 तक के वित्तीय वर्ष में इस क्षेत्र से 1.5 ट्रिलियन रुपये (17.4 बिलियन डॉलर) के iPhone निर्यात किए.    

Apple अब अपने iPhone की पूरी रेंज भारत में ही असेंबल करता है, जिसमें टाइटेनियम प्रो मॉडल भी शामिल हैं.भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार की PLI (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम के तहत भारत में Apple iPhone बनाने वाली फॉक्सकॉन और डिक्सन टेक्नोलॉजीज को सब्सिडी मिली है. 

 

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Gold Price : डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग की लड़ाई सोने को कर रही मजबूत…10 ग्राम के लिए देने पड़ सकते हैं 1 लाख

Gold Price: पिछले कुछ दिनों में दुनिया भर में सोने के दामों में ऐसी छलांग लगी है कि निवेशकों की नजरें अब सीधे 1 लाख के आंकड़े पर टिक गई हैं. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती व्यापारिक तनातनी और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी ने सोने को एक बार फिर “सेफ हेवन” बना दिया है.

घरेलू बाजार में नया रिकॉर्ड

MCX पर सोने के दाम शुक्रवार को 93,940 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गए और आखिर में 93,887 पर बंद हुए. ये एक हफ्ते में 5,757 यानी करीब 6.53 फीसदी की तेजी है. इससे पहले ये रेट 88,130 रुपये प्रति 10 ग्राम था.

इंटरनेशनल मार्केट का भी यही हाल

वैश्विक बाजार में स्पॉट गोल्ड 3,245 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई छू चुका है और 3,236.21 डॉलर पर बंद हुआ. यानी 6.41 फीसदी की साप्ताहिक बढ़त. डॉलर इंडेक्स पहली बार दो साल में 100 से नीचे गिरकर 99.89 पर आ गया.

क्यों बढ़ रहे हैं सोने के दाम?

अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर

ट्रंप सरकार ने चीन पर भारी टैक्स लगाए हैं, जबकि बाकी देशों को अस्थायी राहत दी गई है. इसका सीधा असर ट्रेड रिलेशंस पर पड़ा है. अमेरिका ने कुछ चीनी सामानों पर 145 फीसदी तक टैक्स लगाया है और चीन ने भी पलटवार करते हुए 84 फीसदी से 125 फीसदी तक की दरें लागू कर दी हैं.

डॉलर में कमजोरी

डॉलर इंडेक्स 99 के नीचे फिसला, जिससे गोल्ड को सपोर्ट मिला. जब डॉलर कमजोर होता है, तब निवेशक सोने की ओर भागते हैं.

फेड रेट कट की उम्मीद

अमेरिका में महंगाई के आंकड़े उम्मीद से कमजोर आए हैं, जिससे माना जा रहा है कि US Federal Reserve इस साल ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. इससे गोल्ड की चमक और बढ़ी है.

आगे क्या होगा?

द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब सोने के दाम 95,000 से 95,500 के स्तर को छू सकते हैं. लॉन्ग टर्म में ये 1 लाख प्रति 10 ग्राम का आंकड़ा भी छू सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड 3,280 डॉलर से 3,320 डॉर के रेंज में जा सकता है.

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Reliance Power के शेयर करा सकते हैं कमाई! जानिए एक्सपर्ट क्या दे रहे हैं टार्गेट

अनिल अंबानी की कंपनी Reliance Power के शेयरों ने पिछले एक महीने में लगभग 20 फीसदी की शानदार तेजी दिखाई है. यह प्रदर्शन प्रमुख सूचकांकों निफ्टी 50 (1.60 फीसदी), सेंसेक्स (1.52 फीसदी) और बैंक निफ्टी (6.13 फीसदी) से काफी बेहतर है. कंपनी का शेयर मार्च 2020 में 1 रुपये के ऐतिहासिक निचले स्तर से उठकर मौजूदा समय में 40 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा है.

कंपनी की फाइनेंशियल कंडीशन

द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, Reliance Power ने हाल के समय में अपने कर्ज को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. कंपनी का डेट-टू-इक्विटी अनुपात 1.61 से घटकर 0.86 पर पहुंच गया है. यह सुधार मुख्य रूप से Reliance Capital की इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स को बेचने के बाद हुआ है. हालांकि, कंपनी अभी भी 250 करोड़ रुपये के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) से बंधी हुई है.

तिमाही नतीजों में सुधार

सितंबर 2024 की तिमाही में कंपनी ने 2,878 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जिसमें 3,000 करोड़ रुपये का एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी आय भी शामिल था. यह आय विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड (VIPL) के डीकंसोलिडेशन से प्राप्त हुई थी. दिसंबर 2024 तिमाही में कंपनी ने 42 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया.

भविष्य के प्रोजेक्ट्स

कंपनी ने ग्रीन एनर्जी परियोजनाओं में निवेश की योजना बनाई है. इसके तहत आंध्र प्रदेश में ग्रीन एनर्जी परियोजनाएं शुरू की जाएंगी. कंपनी की सहायक कंपनी ने एशिया के सबसे बड़े सोलर और बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट को हासिल किया है.

कहां तक जा सकती है कीमत

द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, Hensex Securities के एवीपी रिसर्च महेश एम ओझा का कहना है कि Reliance Power का शेयर 36 रुपये के स्तर पर मजबूत आधार बना चुका है. उनके अनुसार, अगर शेयर 44 रुपये के स्तर को पार करता है तो यह 48 और 52 रुपये के स्तर तक पहुंच सकता है. हालांकि निवेशकों को 36 रुपये पर स्टॉप लॉस के साथ इस शेयर में पोजीशन बनानी चाहिए.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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अमेरिकी स्टॉक मार्केट में मचा हाहाकार! आखिर क्यों 2 सालों में 100 से नीचे फिसला अमेरिकी डॉलर इंडेक्स, ये है बड़ी वजह

US Dollar Slips: अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में शुक्रवार को 11 अप्रैल को लगातार चौथे सत्र में गिरावट दर्ज की गई, जो जुलाई 2023 के बाद पहली बार 100 अंक से नीचे फिसलकर 99.02 पर पहुंच गया. इसी के साथ अप्रैल में अमेरिकी डॉलर के वैल्यू में 4.21 परसेंट की गिरावट आई. जनवरी के महीने में डॉलर इंडेक्स 110 के लेवल पर आ गया था. तब से अब तक इसमें 9.31 परसेंट की गिरावट आई है. डॉलर में आई यह गिरावट अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों के कम होते भरोसे का संकेत है, जो अब सुरक्षित ठिकाने या सेफ हेवेन माने जाने वाले स्विस फ्रैंक, जापानी येन, यूरो और सोने का रूख कर रहे हैं. 

अमेरिकी डॉलर पर बढ़ रहा दबाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर में अपने तमाम ट्रेडिंग पार्टनर्स पर भारी-भरकम टैरिफ लगाया है. इससे अमेरिका को गंभीर आर्थिक परिणाम भुगतने और मंदी की आशंका बढ़ गई है. इस चिंता के कारण ही निवेशक अमेरिकी एसेट्स से लगातार पैसा निकाल रहे हैं. इससे शेयर बाजारों में गिरावट आ रही है. अमेरिकी डॉलर पर दबाव बढ़ रहा है.

गुरुवार को अमेरिका ने चीनी वस्तुओं के आयात पर टैरिफ को 125 से बढ़ाकर 145 परसेंट कर दिया. इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने भी अमेरिकी आयात पर टैरिफ को 84 परसेंट से बढ़ाकर 125 परसेंट कर दिया. दोनों देशों के उठाए गए इस कदम के चलते ट्रेड वॉर का खतरा और भी कहीं ज्यादा बढ़ गया है.

डॉलर में आई 10 साल की बड़ी गिरावट

अमेरिका में मंदी को लेकर बढ़ती आशंकाओं के बीच निवेशक जापानी येन और स्विस फ्रैंक जैसी सुरक्षित मुद्राओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं. शुक्रवार को डॉलर स्विस फ्रैंक के मुकाबले 10 साल के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया और येन के मुकाबले छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया. वहीं, 1.7 परसेंट की बढ़त के साथ यूरो 1.13855 डॉलर पर पहुंच गया, जो आखिरी बार फरवरी 2022 में इस लेवल पर पहुंचा था. इस दौरान सोना भी रिकॉर्ड हाई लेवल को छू लिया. 

5 नवंबर को ट्रंप की जीत के बाद डॉलर इंडेक्स में जबरदस्त उछाल आया था और अगले दो महीने तक भी यह सिलसिला जारी रहा. जनवरी में कुछ समय के लिए यह 110 के लेवल से ऊपर जा चुका था. बाद में ट्रंप की व्यापार नीतियों के अपेक्षा से ज्यादा आक्रामक होने के चलते इसमें लगातार गिरावट जारी है. 

 

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टैरिफ को लेकर पहली बार अमेरिका के साथ ताइवान ने की बात, वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दोनों देशों के अधिकारी आए आमने-सामने

Trump Tariff: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को लेकर ताइवान के अधिकारियों ने अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ पहली बार शुक्रवार को बातचीत की. दोनों ही पक्ष इस पर आगे की चर्चाओं के लिए  तैयार हैं. सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री का किंग माने जाने वाले ताइवान पर 32 परसेंट टैरिफ लगाया है. इसे अनुचित मानते हुए ताइवान ने अमेरिकी उत्पादों पर जीरो टैरिफ और अमेरिका से अधिक खरीद और निवेश की पेशकश की. 

इन चीजों पर हुई दो देशों की बातचीत

ताइवान के ट्रेड नेगोशिएशंस ऑफिस ने एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर रॉयटर्स को दिए अपने एक बयान में कहा कि उनके अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस पर बात की. यह बातचीत ताइवान और अमेरिका के बीच रेसिप्रोकल टैरिफ सहित कई अन्य व्यापार और आर्थिक मुद्दों पर बात की. बताया गया, दोनों पक्ष आगे आने वाले समय में इस पर आगे बातचीत जारी रखने और ताइवान और अमेरिका के बीच एक मजबूत और स्थिर आर्थिक और व्यापार संबंध बनाने के लिए तत्पर हैं. 

अमेरिका से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की ताइवान की मांग

बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने भारत सहित 75 देशों को टैरिफ से 90 दिनों की राहत देते हुए चीन पर भारी-भरकम 125 परसेंट का टैरिफ ठोक दिया. ताइवान और अमेरिका के बीच भले ही कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है, लेकिन बावजूद इसके दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट चिपमेकर कंपनी TSMC का घर ताइवान लंबे समय से अमेरिका के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते की मांग कर रहा है.

बता दें कि चीन से संभावित खतरे का सामना करने के लिए ताइवान अमेरिका से बड़ी मात्रा में हथियार मंगाए हैं. ताइवान को चीन से सैन्य और राजनीतिक दबाव का लगातार सामना करना पड़ता है क्योंकि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान का कहना है कि उनका भविष्य केवल यहां के लोग तय करेंगे.  

 

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धोनी और अभिषेक का क्या है SBI कनेक्शन, क्यों बैंक इन्हें देता है लाखों-करोड़ों रुपये?

State Bank of India: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए ICC मेन्स चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का मैच देखते नजर आए. 43 साल के धोनी छह साल पहले ही इंटरनेशनल क्रिक्रेट से सन्यास ले चुके हैं, लेकिन आज ही उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के कप्तान के रूप में अपनी वापसी की. धोनी ने जून 2019 में अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला था. कैप्टन कूल ने भारत को 2011 (वनडे) और 2007 (टी20 विश्व कप) और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी में जीत दिलाई. 

धोनी को मिलती है 6 करोड़ की मोटी फीस

इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर होने के बाद भी कई बिजनेस इंवेस्टमेंट, कई ब्रांड एन्डोर्समेंट में सक्रिय रहे. क्रिकेट के अलावा, ये भी उनकी कमाई का बहुत बड़ा जरिया है. धोनी अक्टूबर 2023 में देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के ब्रांड एंबेसडर के रूप चुने गए.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, SBI के ब्रांड एंबेसडर होने के नाते धोनी को इसके विज्ञापन के लिए 6 करोड़ रुपये की मोटी फीस भी मिलती है. इसके बदले वह बैंक की मार्केटिंग और प्रोमोश्नल एक्टिविटीज में भाग लेते हैं.

SBI के चेयरमैन दिनेश खारा ने अक्टूबर 2023 में एसबीआई की एक पोस्ट में कहा था, ”हमें SBI के ब्रांड एंबेसडर के रूप में महेंद्र सिंह धोनी को चुने जाने की खुशी है. इस पार्टनरशिप के साथ हमारा लक्ष्य राष्ट्र और अपने ग्राहकों को विश्वास, निष्ठा और अटूट समर्पण के साथ सेवा देने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करना है.”

SBI से अभिषेक बच्चन की भी होती है कमाई 

अब बात करते हैं बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन की. अभिषेक को हर महीने एसबीआई से 18.9 लाख रुपये किराया मिलता है. Zapkey.com की रिपोर्ट के मुताबिक, अभिषेक ने अपने घर जलसा के पास 3,150 स्क्वॉयर फीट की एक जगह लीज पर ली है. यह लीज एग्रीमेंट 15 साल का है, जिसमें किराया बढ़ना भी शामिल है, जो पांच साल बाद 23.6 लाख रुपये और दस साल बाद 29.5 लाख रुपये हो जाएगी. 

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अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ वॉर का दिख रहा असर, अब तक के हाई लेवल पर पहुंचा सोना; 10 ग्राम की कीमत 96 हजार के पार

Gold-Silver Price Today: अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर बढ़ते तनाव का असर सोने पर देखने को मिल रहा है. अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, शुक्रवार को भारत में सोने की कीमत 6,250 रुपये का उछाल आया. इसी के साथ, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10 ग्राम सोने की कीमत 96,450 रुपये के अपने अब तक के हाई लेवल पर पहुंच गई है. 

चार दिन की गिरावट के बाद हाई लेवल पर पहुंचा गोल्ड

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, चार दिन की गिरावट के बाद 99.5 परसेंट शुद्धता वाले सोने की कीमत 96,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है, जबकि बुधवार को इसकी क्लोजिंग 89,750 रुपये पर हुई थी. यह अब तक का सबसे हाई लेवल है. वहीं, अगर 99.9 परसेंट शुद्धता वाले सोने की बात करें, तो इसकी कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है. आज इसका भाव पिछले दिन के 90,200 रुपये के मुकाबले 96,450 रुपये पर बंद हुआ है. 

सोने के साथ चांदी की भी कीमत बढ़ी

सोने के साथ चांदी की कीमत भी बढ़ी है. 2,300 रुपये की उछाल के साथ यह 95,500 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है, जबकि इससे पहले इसकी क्लोजिंग 93,200 रुपये पर हुई थी. यह ग्लोबल मार्केट में आई सोने की डिमांड में तेजी को दर्शाता है. बता दें कि महावीर जयंती के अवसर पर गुरुवार को घरेलू सर्राफा बाजार बंद रहे.

एमसीएक्स पर वायदा कारोबार में जून डिलीवरी वाले सोने के अनुबंध की कीमत 1,703 रुपये की तेजी के साथ 93,736 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए हाई लेवल पर पहुंच गया. एलकेपी सिक्योरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्ट जतीन त्रिवेदी ने इस बारे में TOI से कहा, भू-राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ने और अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर बढ़ने से रुपये में मजबूती के बावजूद सोने की कीमत बढ़ती जा रही है. 

इंटरनेशनल मार्केट में भी सोने की कीमत में इजाफा

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर,  हाजिर सोना 3,237.39 डॉलर प्रति औंस के लेवल को छू गया. एशियाई बाजारों में भी सोने की कीमत में तेजी देखने को मिली. एशियाई बाजार में कॉमेक्स सोना वायदा बढ़कर 3,249.16 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया. यह सुरक्षित निवेश की तलाश में सोने की बढ़ती मांग का संकेत है. 

 

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यूएस-चीन ट्रेड टेंशन के बीच सोने-चांदी की कीमत में फिर उछाल, जानें आज क्या है आपके शहर के नए रेट्स

Gold Price 11th April 2025: चौबीस कैरेट सोने की कीमत में शुक्रवार को थोड़ी बढ़ोतरी हुई और ये 93,390 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. गुड रिटर्नस वेबसाइट के मुताबिक, चांदी प्रति किलो 97100 रुपये की दर से शुरुआती कारोबार में बिक रही है.

22 कैरेट सोने का भाव 85,610 रुपये है. 24 कैरेट सोने की मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में कीमत 93 हजार 390 रुपये प्रति किलो है. दिल्ली में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 93,540 रुपये प्रति दस ग्राम है. 22 कैरेट सोना मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू, चेन्नई और हैदराबाद में 85,610 रुपये प्रति किलो है. 

अगर दिल्ली की बात करें तो 22 कैरेट सोना 85,760 रुपये की दर से बिक रहा है. जबकि, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में चांदी प्रति किलो 97,100 के भाव से बिक रही है. चेन्नई में एक किलो चांदी की कीमत 1,07,100 रुपये है. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट के अनुसार 24 कैरेट वाले गोल्ड का भाव बुधवार को पिछले बंद भाव 88,550 रुपये के मुकाबले बढ़कर 90161 रुपये प्रति 10 ग्राम हुआ था. तो वहीं चांदी कीमत पिछले बंद भाव 9,0363 रुपये की तुलना में बढ़कर 90669 रुपये किलो हुई थी.

यूनाइटेड स्टेट्स और चीन के बीच ट्रेड टेंशन के चलते निवेशकों के सुरक्षित निवेश की वजह से शुक्रवार को अमेरिका में सोने की कीमत सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई.

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Stock Market: ग्लोबल टेंशन से बेफिक्र भारतीय बाजार, सेंसेक्स में 1300 अंक की उछाल, निफ्टी भी 22800 के पार

Stock Market 11 April 2024: ग्लोबल टेंशन का शुक्रवार को भारतीय बाजार के शुरुआती कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा. मार्केट खुलते ही सेंसेक्स करीब 1300 अंक ऊपर चढ़ा. जबकि अगर बात निफ्टी की करें तो ये 22,800 के ऊपर करोबार कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से 90 दिनों के टैरिफ पर ब्रेक के बाद भारतीय बाजार में हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन की ये धमाकेदार शुरुआत है. 

स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में भी अच्छी खरीदारी दिख रही है. अगर ओवरऑल देखें तो बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप में 5.77 लाख करोड़ का इजाफा हुआ है. फार्मा के शेयर चमके हैं जबकि टीसीएस के शयरों में गिरावट देखने को मिली है. 

अगर ग्लोबल मार्केट की बात करें तो अमेरिका- चीन के बीच ट्रेड टेंशन का असर वॉल स्ट्रीट पर पड़ा है. जापान के Nikkei 5.46% फिसलकर 225 अंक गिर गया. गुरुवार को निक्केई में  9% की उछाल देखी गई थी. साउथ कोरिया के के Kospi में भी 1.55% की गिरावट दिखी. जबकि Kosdaq 0.11%  फिसल गया. हांगकांग के Hang Seng की शुरुआत भी गिरावट के साथ रही.

ग्लोबल बाजार में गिरावट

ऑस्ट्रेलियाई शेयरों में भी 2% से ज्यादा की गिरावट देखी गई. S&P/ASX 200 इंडेक्स 2.4% नीचे जाकर 7,524.50 पर आ गया. न्यूजीलैंड का के बेंचमार्क   S&P/NZX 50 इंडेक्स में भी 1.5% की नरमी देखी गई. एक दिन पहले आरबीआई की तरफ से लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती पर उसे 6 फीसदी कर दिया गया. इसका भी मार्केट सेंटिमेंट पर असर पड़ा है. इससे पहले गुरुवार को महावीर जयंती की वजह से घरेलू शेयर बाजार बंद था.

लेकिन अगर बुधवार की बात करें तो एशियाई बाजारों में गिरावट जैसा ही घरेलू शेयर बाजारों में भी शुरुआती कारोबार में गिरावट दर्ज की गई थी. BSE सेंसेक्स शुरुआती कारोबार 554.02 प्वाइंट्स की गिरावट के बाद 73,673.06 अंक पर आ पहुंच गया था. जबकि NSE निफ्टी 178.85 अंक नीचे फिसलकर 22,357 अंक पहुंच गया था.

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