यूएस-चीन ट्रेड टेंशन के बीच सोने-चांदी की कीमत में फिर उछाल, जानें आज क्या है आपके शहर के नए रेट्स

Gold Price 11th April 2025: चौबीस कैरेट सोने की कीमत में शुक्रवार को थोड़ी बढ़ोतरी हुई और ये 93,390 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. गुड रिटर्नस वेबसाइट के मुताबिक, चांदी प्रति किलो 97100 रुपये की दर से शुरुआती कारोबार में बिक रही है.

22 कैरेट सोने का भाव 85,610 रुपये है. 24 कैरेट सोने की मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में कीमत 93 हजार 390 रुपये प्रति किलो है. दिल्ली में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 93,540 रुपये प्रति दस ग्राम है. 22 कैरेट सोना मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू, चेन्नई और हैदराबाद में 85,610 रुपये प्रति किलो है. 

अगर दिल्ली की बात करें तो 22 कैरेट सोना 85,760 रुपये की दर से बिक रहा है. जबकि, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में चांदी प्रति किलो 97,100 के भाव से बिक रही है. चेन्नई में एक किलो चांदी की कीमत 1,07,100 रुपये है. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट के अनुसार 24 कैरेट वाले गोल्ड का भाव बुधवार को पिछले बंद भाव 88,550 रुपये के मुकाबले बढ़कर 90161 रुपये प्रति 10 ग्राम हुआ था. तो वहीं चांदी कीमत पिछले बंद भाव 9,0363 रुपये की तुलना में बढ़कर 90669 रुपये किलो हुई थी.

यूनाइटेड स्टेट्स और चीन के बीच ट्रेड टेंशन के चलते निवेशकों के सुरक्षित निवेश की वजह से शुक्रवार को अमेरिका में सोने की कीमत सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई.

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Stock Market: ग्लोबल टेंशन से बेफिक्र भारतीय बाजार, सेंसेक्स में 1300 अंक की उछाल, निफ्टी भी 22800 के पार

Stock Market 11 April 2024: ग्लोबल टेंशन का शुक्रवार को भारतीय बाजार के शुरुआती कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा. मार्केट खुलते ही सेंसेक्स करीब 1300 अंक ऊपर चढ़ा. जबकि अगर बात निफ्टी की करें तो ये 22,800 के ऊपर करोबार कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से 90 दिनों के टैरिफ पर ब्रेक के बाद भारतीय बाजार में हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन की ये धमाकेदार शुरुआत है. 

स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में भी अच्छी खरीदारी दिख रही है. अगर ओवरऑल देखें तो बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप में 5.77 लाख करोड़ का इजाफा हुआ है. फार्मा के शेयर चमके हैं जबकि टीसीएस के शयरों में गिरावट देखने को मिली है. 

अगर ग्लोबल मार्केट की बात करें तो अमेरिका- चीन के बीच ट्रेड टेंशन का असर वॉल स्ट्रीट पर पड़ा है. जापान के Nikkei 5.46% फिसलकर 225 अंक गिर गया. गुरुवार को निक्केई में  9% की उछाल देखी गई थी. साउथ कोरिया के के Kospi में भी 1.55% की गिरावट दिखी. जबकि Kosdaq 0.11%  फिसल गया. हांगकांग के Hang Seng की शुरुआत भी गिरावट के साथ रही.

ग्लोबल बाजार में गिरावट

ऑस्ट्रेलियाई शेयरों में भी 2% से ज्यादा की गिरावट देखी गई. S&P/ASX 200 इंडेक्स 2.4% नीचे जाकर 7,524.50 पर आ गया. न्यूजीलैंड का के बेंचमार्क   S&P/NZX 50 इंडेक्स में भी 1.5% की नरमी देखी गई. एक दिन पहले आरबीआई की तरफ से लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती पर उसे 6 फीसदी कर दिया गया. इसका भी मार्केट सेंटिमेंट पर असर पड़ा है. इससे पहले गुरुवार को महावीर जयंती की वजह से घरेलू शेयर बाजार बंद था.

लेकिन अगर बुधवार की बात करें तो एशियाई बाजारों में गिरावट जैसा ही घरेलू शेयर बाजारों में भी शुरुआती कारोबार में गिरावट दर्ज की गई थी. BSE सेंसेक्स शुरुआती कारोबार 554.02 प्वाइंट्स की गिरावट के बाद 73,673.06 अंक पर आ पहुंच गया था. जबकि NSE निफ्टी 178.85 अंक नीचे फिसलकर 22,357 अंक पहुंच गया था.

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ट्रंप का टैरिफ टेरर- ध्वस्त हुए दुनियाभर के शेयर मार्केट, 10 ट्रिलियन डॉलर का हुआ तगड़ा नुकसान

Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर के चलते दुनिया भर के कई बड़े शेयर बाजारों में गिरावट आई है और इससे 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है. ब्लूमब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इतने बड़े पैमाने पर हुआ यह घाटा यूरोपीय यूनियन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आधे से कुछ ज्यादा था. 

ग्लोबल मार्केट में मचा हड़कंप

पिछले हफ्ते ट्रंप ने जैसे ही रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया वैसे ही ग्लोबल मार्केट में हलचल पैदा हो गई. मंदी और ट्रेड वॉर की आशंकाओं के चलते स्टॉक, बॉन्ड और कमोडिटीज में काफी उतार-चढ़ाव देखे गए. हालांकि, ट्रंप के टैरिफ के ऐलान का सबसे ज्यादा असर अमेरिकी शेयर बाजार पर देखने को मिला. S&P 500 इंडेक्स में लगातार तीन बार 4-4 परसेंट की गिरावट आई और ऐसा लगभग एक सदी में पहली बार हुआ.

द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से यह अब तक का इसकस सबसे खराब प्रदर्शन रहा. यह स्थिति काफी हद तक 1987 के ब्लैक मंडे के जैसे ही थी, जब डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 22.6 परसेंट तक की गिरावट आई थी. यह एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट थी. उस दौरान डाउ जोन्स 508 अंक गिरकर 1738.74 पर बंद हुआ था. यह अमेरिकी शेयर मार्केट की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट थी. 

इन्हें हुआ सबसे ज्यादा नुकसान

स्पेन के एक प्रमुख अखबार एल पेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के बाद शेयर मार्केट को हुआ नुकसान 2020 के कोविड महामारी, लेहमैन ब्रदर्स के दिवालियापन या 1998 के नुकसान से हुए नुकसान से भी ज्यादा था. वैसे तो इसका असर भारतीय शेयर बाजार, एशियाई शेयर बाजार में भी देखने को मिला, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान वॉल स्ट्रीट को हुआ. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा एप्पल, गूगल, एनवीडिया, मेटा, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और टेस्ला को भुगतना पड़ा, जिन्हें ‘मैग्नीफिसेंट सेवन’ के नाम से भी जाना जाता है. 

एप्पल पर गिरी टैरिफ की गाज

एल पैस की ही रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मैग्नीफिसेंट सेवन’ को पिछले गुरुवार से अब तक 1.6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान एप्पल को हुआ है. इस दौरान कंपनी को आधे ट्रिलियन डॉलर या अपनी कुल वैल्यू का 16.8 परसेंट नुकसान हुआ है. चूंकि, एप्पल के डिवाइस पूरी तरह से एशिया में बनते हैं इसलिए इस पर टैरिफ का सीधा असर पड़ा.

रिपोर्ट के मुताबिक, नुकसान के मामले में दूसरे नंबर पर एनवीडिया है, जिसे 385 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. तीसरे नंबर पर 262 बिलियन डॉलर के आंकड़े के साथ अमेजन तीसरे नंबर है. इनके अलावा, जेपी मॉर्गन, एली लिली, बर्कशायर हैथवे, वीजा, एक्सॉन मोबिल, वॉलमार्ट और बैंक ऑफ अमेरिका को भी तीन दिनों में 54 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ. 

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भारत से भर-भरकर ये फसल ले जा रहा है चीन, तीन हफ्ते में खरीद डाले 52,000 टन; इस चीज में आता है काम

China-India: कनाडा के कृषि और खाद्य उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने के बाद चीन ने पिछले तीन हफ्ते में भारत से 52,000 टन रेपसीड मील खरीदा है. कनाडा की जगह अब भारत से रेपसीड मील के आयात से चीन को मदद मिलेगी. बता दें कि रेपसीड एक तरह की फसल है, जिसके बीजों की पिसाई से तेल निकलता और बाकी जो बचता है उसका इस्तेमाल मवेशियों के लिए चारे के रूप में किया जाता है. इसके अलावा, इसका इस्तेमाल बायोडीजल बनाने में किया जाता है. केमिकल और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में भी किया जाता है. 

भारत रेपसीड का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक

चीन और कनाडा के बाद भारत ही दुनिया में रेपसीड का सबसे बड़ा उत्पादक है. रेपसीड मील के एक बड़े एक्सपोर्टर के अधिकारी ने कहा, कनाडा से इसकी सप्लाई पर टैरिफ लगाने के बाद चीन ने अब भारत में रूचि दिखानी शुरू कर दी है.

बता दें कि पिछले साल कनाडा ने चीनी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर 100 परसेंट और एल्युमीनियम और स्टील उत्पादों पर 25 परसेंट टैरिफ लगाया था. इसी के जवाब में चीन ने कनाडा के रेपसीड मील, पोर्क और जलीय उत्पादों पर 100 परसेंट टैरिफ लगा दिया है, जो 20 मार्च से लागू हो चुके हैं. 

चीन ने भारत से इतने में खरीदा रेपसीड

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, 220 से 235 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की दर से भारत से रेपसीड मील की खरीदारी की है. सीमा शुल्क की डेटा के मुताबिक, 2024 में चीन ने कनाडा से 2.02 मिलियन मीट्रिक टन, संयुक्त अरब अमीरात से 504,000 टन रूस से 135,000 टन रेपसीड मील खरीदा था. सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन से रेपसीड मील की डिमांड बहुत ज्यादा है. अगले कुछ महीनों तक चीन की यह खरीद जारी रहेगी. चीन के अलावा भारत से रेपसीड मील का निर्यात दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, थाईलैंड और वियतनाम में भी किया जाता है. 

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Gold Price 10 April: बढ़ गई सोने की कीमत, जानें दिल्ली से मुंबई तक आपके शहर के नए रेट्स

Gold Price 10 April: सोने के भाव में गुरुवार 10 अप्रैल को तेजी दिख रही है. पांच दिनों की गिरावट के बाद से लगातार पिछले दो दिनों से इसमें तेजी आयी है. बुधवार की तुलना में सोना सिर्फ 10 रुपये मंहगा हुआ और ज्यादातर हिस्सों में ये 90 हजार 400 के ऊपर के भाव से बिक रहा है. जबकि चांदी 92 हजार 900 रुपये प्रति किलो के दर से बिक रही, जो एक दिन पहले की तुलना में कीमत में 100 रुपये की गिरावट है.

आइये अब जानते हैं कि आपके शहर में सोने के क्या लेटेस्ट रेट्स हैं. दिल्ली में 22 कैरेट गोल्ड की नई कीमत 83,060, चेन्नई में 82,910, मुंबई में 82,910, कोलकाता में 83,060 और बेंगलुरू में 82,910 रुपये प्रति 10 ग्राम है. जबकि 24 कैरेट गोल्ड की गुरवार को नई कीमत दिल्ली में 90,600, चेन्नई में 90,450, मुंबई में 90,450, कोलकाता में 90,450 और बेंगलुरू में 90,450 रुपये प्रति 10 ग्राम है.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से लगाए गए टैरिफ और चीन से साथ अमेरिका की बढ़ी ट्रेड टेंशन के चलते पिछले कुछ दिनों से सोने की कीमत में लगातार गिरावट देखने को मिली थी. हालांकि, एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत बढ़ने लगी है. इसका सीधा असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ता हुआ दिख रहा है.

इंटरनेशनल मार्केट में सोना 3163 डॉलर प्रति 10 ग्राम से कम होकर 3100 डॉलर प्रति ग्राम पर आ गया. भारत में रोजाना सोना की कीमत में बदलती कीमत का बड़ा फैक्टर टैक्स, इंपोर्ट ड्यूटी, ग्लोबलर रेट और अन्य चीजों पर निर्भर करती है.

एक दिन पहले यानी बुधवार को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने के प्राइस ऊपर की तरफ खुलते हुए प्रति 10 ग्राम 87 हजार 998 रुपये तक पहुंच गई. ओपनिंग बेल के कुछ ही मिनटों के भीतर 88 हजार 396 रुपये के इंट्राडे हाई लेवल को छू गई. इंटरनेशनल मार्केट में भी बुधवार को सोने के वायदा भाव की शुरुआत तेजी के साथ हुई. कॉमेक्स पर गोल्ड की कीमत बढ़त दर्ज करते हुए करीब 3 हजार 021 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार किया.

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टैरिफ पर ब्रेक लगा ट्रंप ने दोस्त को पहुंचाया बड़ा फायदा, जानें मस्क से जुकरबर्ग तक कितनी बढ़ी एक दिन में संपत्ति

Musk To Zuckerberg Wealth: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से टैरिफ पर 90 दिनों के ब्रेक के एलान के साथ ही यूएस स्टॉक मार्केट झूम उठा. इसके साथ ही, दुनिया के अमीरों की संपत्ति में बुधवार को करीब 304 बिलियन डॉलर का भारी इजाफा हो गया, जो ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स हिस्ट्री में एक दिन में रिकॉर्ड इजाफा है. ऐसा हफ्ते भर के भारी नुकसान के बाद मेटा और टेस्ला के शेयर में करीब 10% की उछाल के चलते संभव हो हुआ है. 

बुधवार को S&P में 9.52% की उछाल के बाद ये 5,456.90 पर पहुंच गया, जो 2008 के बाद एक दिन की रिकॉर्ड बढ़त है. डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 7.87% के साथ 2.962.86 प्वाइंट चढ़ा, जबकि   Nasdaq Composite का शेयर 12.16% ऊपर चढ़ा.

पिछले हफ्ते डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से टैरिफ के एलान के बाद शेयर मार्केट में गिरावट के बाद ये उछाल देखने को मिला. हालांकि, ये नुकसान की भरपाई वाला दिन रहा, जिसने मार्च 2022 में अरबपतियों की संपत्ति में 233 बिलियन डॉलर के इजाफा एक दिन के उस रिकॉर्ड को तोड़ा है.

मस्क की संपत्ति में 36 बिलियन डॉलर का इजाफा

ट्रंप के टैरिफ ब्रेक से सबसे ज्यादा फायदा एलन मस्क की कंपनी टेस्ला इंक को मिली है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक ईवी मेकर के स्टॉक में 23% की उछाल के बाद दुनिया के सबसे अमीर एलन मस्क की संपत्ति में 36 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है. जबकि, मार्क जुकरबर्ग को 26 बिलियन डॉलर का फायदा हुआ है.

इसके बाद तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाला है Nvidia Corp. के जेनसेन हुआंग, जिनकी संपत्ति में 15.5 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है. चिप निर्माता के शेयर में करीब 19% की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, अगर प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा फायदा Carvana Co. के सीईओ Ernest Garcia III को हुआ है, जिनकी संपत्ति में 25% का उछाल आया है. 

एप्पल के स्टॉक में 15% और वॉलमार्ट के शेयर में 9.6% ऊपर गया. जैसे ही ट्रंप ने अमेरिकी समय के मुताबिक दोपहर 1 बजकर 18 मिनट पर टैरिफ पर ब्रेक लगाने का एलान किया, डॉऊ 350 प्वाइंट ऊपर चला गया, जो दिन की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी थी.  

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iPhone लवर्स के लिए बुरी खबर! 1 लाख नहीं अब 3 लाख का होने वाला है आपका पसंदीदा फोन

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी (Donald Trump Tariff Policy) के चलते पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची है. खासतौर से चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर ने कई चीजों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. कहा जा रहा है कि अब इसका असर iPhone की कीमतों पर भी देखने को मिल सकता है. चलिए, जानते हैं कि आखिर टेक एक्सपर्ट ऐसा क्यों कह रहे हैं कि आने वाले समय में iPhone अपनी मौजूदा कीमत से तीन गुना महंगा बिकने वाले हैं.

क्या है पूरा मामला?

डोनाल्ड ट्रंप ने जब रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी लागू किया तो उन्होंने दावा किया था कि उनकी इस नई टैरिफ नीति से अमेरिका में नौकरियां और फैक्ट्रियां वापस आएंगी. लेकिन टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे स्मार्टफोन्स की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो सकती है. सीएनएन पर छपी एक खबर के अनुसार, वेडबश सिक्योरिटीज के ग्लोबल टेक्नोलॉजी रिसर्च हेड डैन आइव्स ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि अगर iPhone का उत्पादन अमेरिका में शुरू होता है तो इसकी कीमत करीब 3,500 डॉलर (लगभग 3.5 लाख रुपये) तक पहुंच सकती है, जो मौजूदा कीमत से तीन गुना ज्यादा है.

क्यों महंगा हो जाएगा iPhone?

iPhone के महंगा होने के पीछे मुख्य वजह अमेरिका में उत्पादन लागत का बढ़ना है. आइव्स के मुताबिक, एशिया में मौजूदा सप्लाई चेन को अमेरिका में दोहराने में एप्पल को करीब 30 अरब डॉलर का खर्च आएगा और सिर्फ 10 प्रतिशत उत्पादन को शिफ्ट करने में ही तीन साल का समय लग जाएगा.

फिलहाल, iPhone के कॉम्पोनेंट्स ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन में बनते हैं जबकि 90 प्रतिशत iPhone की असेंबलिंग चीन में होती है. ऐसे में इन देशों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ और ट्रेड वॉर के चलते आईफोन की कीमतें प्रभावित होंगी. आपको बता दें, ट्रंप की टैरिफ नीति के चलते एप्पल के शेयर्स में पहले ही 25 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है.

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US-EU Trade War: यूरोपीय यूनियन ने किया डोनाल्ड ट्रंप पर पलटवार! 20 बिलियन यूरो के अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर किया टैरिफ का ऐलान

US-EU Trade War: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बम पर अब यूरोप ने भी पलटवार कर दिया है. बुधवार को यूरोपीय यूनियन (EU) ने अमेरिका के 20 बिलियन यूरो (लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये) के प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाने की मंजूरी दे दी. यूरोपीय संघ के टारगेट में हैं, सोयाबीन, मोटरसाइकिल, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और भी बहुत कुछ.

क्या है पूरा मामला?

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यूरोप से आने वाले स्टील और एल्युमिनियम पर भारी टैरिफ ठोक दिए थे. जवाब में EU ने भी मोर्चा संभाल लिया है और साफ कह दिया है कि अब और नहीं सहेंगे!

15 अप्रैल से ये टैक्स लगने शुरू हो जाएंगे

EU का कहना है कि अमेरिका का यह रवैया ना सिर्फ अनुचित है, बल्कि इससे दोनों तरफ की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान हो रहा है. साथ ही ग्लोबल इकॉनमी भी प्रभावित हो रही है.

क्या EU बातचीत के लिए तैयार है?

EU ने कहा है कि अगर अमेरिका “न्यायपूर्ण और संतुलित डील” के लिए तैयार हो जाए, तो ये टैरिफ रोके भी जा सकते हैं. लेकिन फिलहाल तो यूरोप अपने तेवर में है.

EU के जवाबी वार में क्या-क्या शामिल है?

इस बार EU ने दो स्तरों पर पलटवार किया है-

पहला कदम- ट्रंप के पहले कार्यकाल में लगाए गए लेकिन फिलहाल सस्पेंड टैक्सेस को फिर से एक्टिवेट किया जा रहा है.

दूसरा कदम- एक नई लिस्ट तैयार की गई है जिन पर अगले महीने से टैक्स लगेंगे. कुछ आइटम्स पर दिसंबर से ड्यूटी शुरू होगी.

किन प्रोडक्ट्स पर पड़ेगी टैरिफ की मार

मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार खास बात ये है कि EU ने जिन प्रोडक्ट्स को भारी टैरिफ के लिए चुना है, उनमें ज्यादातर उन राज्यों से हैं, जहां ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा है. यानी सियासी निशाना भी साधा गया है. ये प्रोडक्ट्स हैं- मोटरसाइकिल, चिकन, मक्का, मेवे, लकड़ी, पेंटिंग्स, टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक सामान. इन सब पर टैरिफ की मार पड़ेगी.

ट्रंप ने क्या किया है?

ट्रंप ने यूरोप से आने वाली कारों पर 25 फीसदी ड्यूटी और बाकी सामानों पर 20 फीसदी तक टैक्स का ऐलान किया. EU ने कहा है कि इन पर भी पलटवार जल्द किया जाएगा. अमेरिका और यूरोप के बीच ये टैरिफ टकराव अब सीधा ट्रेड वॉर का रूप ले रहा है.

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Repo Rate: आरबीआई ने EMI पर दी राहत, रेपो रेट में लगातार दूसरी बार 0.25% की कटौती का फैसला

Repo Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से रेपो रेट में 0.25% कटौती का फैसला किया गया है. आरबीआई की तरफ से ये फैसला एमपीसी की 7 से 9 अप्रैल तक चली बैठक के बाद बुधवार की सुबह लिया गया. इसके बाद लोगों के होम और कार लोन की ईएमआई में कमी आ जाएगी. ये लगातार दूसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती का फैसला किया है. हालांकि, आरबीआई के इस कदम के बारे में एक्सपर्ट्स पहले से अंदाजा लगा रहे थे.

बीते फरवरी में आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कौती का एलान किया गया था, जिसके बाद रेपो रेट 6.50% से घटकर 6.25% हो गया था. आरबीआई की तरफ से 2023 के जून में रेपो रेट बढ़ाकर 6.50% किया गया था. यानी 5 साल में ये बदलाव किया गया था.   

हालांकि, बैंक में जमा के रेट में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद काफी कम है. यानी, बैंक की तरफ से होम लोन लेनेवालों को फायदा तो दिया जा सकता है, लेकिन जमाकर्ताओं को इसका फायदा नहीं मिलने वाला है.

टीओई के मुताबिक, इस बारे में आईसीआरस के सीनियर वाइस प्रसिडेंट अनिल गुप्ता का कहना है, इस वक्त बाजार में हलचल है, ऐसे में खुदरा निवेशक में किस तरह का व्यवहारिक परिवर्तन आ रहा है, ये लंबे समय में पता चल पाएगा, फौरन नहीं. लेकिन इस वक्त फिक्स्ड डिपॉजिट रेट और सेविंग्स एकाउंट के डिपॉजिट में काफी ज्यादा अंतर है.

RBI का महंगाई कंट्रोल का टारगेट 2% से 6% के बीच होता है और फिलहाल भारत इस बैंड में बना हुआ है. इसका मतलब ये हुआ कि अब आबीआई का फोकस ग्रोथ को बूस्ट करने पर रहेगा. छोटे बिज़नेस, स्टार्टअप्स और आम जनता के लिए ये राहत की खबर होगी.

उन्होंने कहा, हम फौरन बैंक पर लिक्विडिटी कवरेज रेशियो के दबाव के चलते फिक्स्ड डिपॉजिट में कटौती की फौरन उम्मीद नहीं कर रहे हैं. दरअसल, आरबीआई जिस ब्याज दर पर दूसरे बैंकों को धन देता है, उसे रेपो रेट कहते है. ऐसे में जब आरबीआई की तरफ से ब्याज दर सस्ती होती है तो बैंक भी अने ग्राहकों को लोन ब्याज दर घटाकर उसका फायदा देते हैं.

बाजार की स्थिति को देखते हुए समय-समय पर आरबीआई की तरफ से इस पर फैसले लिए जाते रहे हैं. यानी महंगाई कम या ज्यादा बाजार में लिक्विडिटी के फ्लो पर निर्भर करता है. ऐसे में कई बार महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई की तरफ से कदम उठाए जाते हैं, लेकिन जब बाजार में चीजें सामान्य रहती है या मंद रफ्तार से चल रही होती है तो लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए रेपो रेट कम करने का एलान किया जाता है.

बीते फरवरी में आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कौती का एलान किया गया था, जिसके बाद रेपो रेट 6.50% से घटकर 6.25% हो गया था. आरबीआई की तरफ से 2023 के जून में रेपो रेट बढ़ाकर 6.50% किया गया था. यानी 5 साल में ये बदलाव किया गया था.

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लोन लेने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी! RBI ने रेपो रेट में की 25 बेसिस प्वॉइंट की कटौती, जानें क्या होगा फायदा

Reserve Bank of India: भारतीय रिजर्व बैंक ने 25 बेसिस प्वॉइंट्स की कटौती का ऐलान कर दिया है. इसी के साथ अब रेपो रेट घटकर 6 फीसदी पर आ गया है. साल 2025 में यह दूसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है. इससे पहले फरवरी में हुई केंद्रीय बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में 25 बेसिस प्वॉइंट्स या यूं कहें कि 0.25 परसेंट की कमी की थी. इसके चलते रेपो रेट 6.50 से घटकर 66.25 परसेंट पर आ गया था. आज 9 अप्रैल को हुई कटौती के बाद यह 6 परसेंट पर आ गया है. 

रेपो रेट क्या होता है?

जब हमारे पास किसी काम के लिए पैसे नहीं होते हैं तो हम बैंक से लोन लेते हैं. इसके बदलते हम ब्याज का भुगतान करते हैं. इसी तरह से बैंक को कई जरूरी कामकाज निपटाने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है और ऐसे में बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं इस लोन पर बैंक जिस दर से रिजर्व बैंक को ब्याज का भुगतान करते हैं उसे रेपो रेट कहा जाता है. आसान भाषा में कहें तो जिस रेट पर RBI बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं. 

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8th Pay Commission Salary Hike: 8वें वेतन आयोग में 2014 के बाद से ज्वाइन करने वाले सरकारी कर्मचारियों की सैलरी कितनी बढ़ेगी, यहां जानिए जवाब

8th Pay Commission Salary Hike: भारत सरकार ने हाल ही में 8वें वेतन आयोग की घोषणा की है, जिसके 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है. इस आयोग के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की संभावना है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.

अब ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल है कि जिन सरकारी कर्मचारियों की ज्वाइनिंग हाल फिलहाल के वर्षों में हुई है, उनकी सैलरी कितनी बढ़ सकती है. चलिए इस खबर में इसका जवाब तलाशते हैं.

पहले समझिए सैलरी बढ़ती कैसे है?

8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. फिटमेंट फैक्टर एक मल्टीप्लायर है जिसका इस्तेमाल कर्मचारियों की बेसिक सैलरी को संशोधित करने के लिए किया जाता है. 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, लेकिन 8वें वेतन आयोग में इसे 2.28 से 2.86 के बीच रखे जाने की संभावना है. अगर 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 होता है, तो मौजूदा बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये हो जाएगी.

नए कर्मचारियों की सैलरी कितनी बढ़ेगी?

इसे ऐसे समझिए कि जब तक 8वां वेतन आयोग लागू नहीं हो जाता, तब तक केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली जितनी भी नौकरियां हैं, सभी में जो भी ज्वॉइनिंग होती है वह 7वें वेतन आयोग के आधार पर होती है. अब ऐसे में जब 8वां वेतन आयोग लागू होगा तो वह सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर समान रूप से लागू होगा, चाहे उनकी ज्वॉइनिंग 1 साल पहले हुई हो या 10 साल पहले.

महंगाई भत्ता (DA) का मर्जर

8वें वेतन आयोग में एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह होगा कि मौजूदा महंगाई भत्ता (DA) को बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाएगा. यह निर्णय कर्मचारियों की सैलरी में और वृद्धि करेगा, क्योंकि DA का प्रतिशत बेसिक सैलरी के साथ जुड़ जाएगा. मौजूदा समय में, कर्मचारियों को 55 फीसदी DA मिलता है, जो उनकी बेसिक सैलरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अगर इसे बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाता है, तो उनकी कुल सैलरी में और वृद्धि होगी.

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अमेरिका-चीन का एक फैसला…और आसमान पर पहुंच जाएगी सोने की कीमत! रिपोर्ट में हुआ खुलासा

सोने (Gold) की कीमत में लगातार 4 दिनों से गिरावट थी. लेकिन अब सोने के दाम गिरेंगे नहीं, बल्कि आसमान पर पहुंचने को तैयार हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके पीछे अमेरिका और चीन का एक फैसला है. आज की बात करें तो यूएस में सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला.

अमेरिका में सोना 3,007.79 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया. भारतीय रुपये में ये करीब 2,51087.37 लाख रुपये होता है. सिर्फ 24 घंटों में इसमें 40.58 डॉलर की तेजी देखने को मिली. ऐसे में कई रिपोर्ट्स में ये बात निकलकर सामने आ रही है कि आने वाले समय में सोने की कीमत रॉकेट की रफ्तार से बढ़ सकती है.

चीन-अमेरिका कैसे बढ़ा रहे सोने के दाम

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को लेकर चीन और अमेरिका में तनाव बढ़ रहा है. दरअसल, रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा करते हुए ट्रंप ने चीन पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाया था. इसके जवाब में चीन ने अमेरिका पर 34 फीसदी का टैरिफ लगा दिया. चीन की इस कार्रवाई से नाराज ट्रंप ने चीनी आयात पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दे दी.

ट्रंप की धमकी से चीन और नाराज हो गया और उसने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो आने वाले समय में ये लड़ाई ट्रेड वॉर में बदल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो सोना निवेश का सबसे सेफ ऑप्शन बन जाएगा और लोग जमकर सोने में निवेश करेंगे. इससे होगा ये कि सोने की मांग बढ़ जाएगी और उसके दाम आसमान पर पहुंच जाएंगे. इसके अलावा ईस्टर्न यूरोप और मिडिल ईस्ट में टेंशन, बढ़ती महंगाई (Inflation) और US में ब्याज दरें घटने की उम्मीद भी सोने की कीमतों को गोली की रफ्तार से बढ़ा सकती हैं.

भारत में भी बढ़े सोने के दाम

भारत के मल्टी कमॉडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने के वायदा भाव में ज़बरदस्त उछाल देखने को मिला. जून 2025 डिलीवरी वाले गोल्ड फ्यूचर्स 1.21 फीसदी या 1,051 रुपयेकी तेजी के साथ 87,979 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे, जो कि सोमवार के 86,928 के क्लोजिंग प्राइस से काफी ऊपर है.

बड़े-बड़े बैंकों का क्या कहना है?

सोने की कीमत आसमान पर पहुंचने वाली हैं, ये सिर्फ आम लोग ही नहीं, दुनियाभर के टॉप बैंक और एनालिस्ट भी मान रहे हैं. HSBC ने 2025 के लिए अपने गोल्ड प्राइस का अनुमान बढ़ाकर 3,015 डॉलर प्रति औंस कर दिया है. जबकि Bank of America और भी बुलिश है, उसका मानना है कि सोना 3,063 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है. Standard Chartered की रिपोर्ट में तो कहा गया है कि दूसरी तिमाही में सोना 3,300 डॉलर का आंकड़ा भी छू सकता है.

Central Banks भी कर रहे हैं सोने की जमाखोरी

आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ इन्वेस्टर्स ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के सेंट्रल बैंक्स भी सोना खरीदने में जुटे हैं. चीन, भारत और रूस जैसे देश, डॉलर पर डिपेंडेंसी घटाने के लिए अपने गोल्ड रिज़र्व को बढ़ा रहे हैं. इससे मार्केट में डिमांड और ज्यादा बढ़ गई है और कीमतें चढ़ रही हैं. World Gold Council की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में भी सेंट्रल बैंक सोने की खरीद 2023 और 2024 जैसे रिकॉर्ड लेवल पर कर सकते हैं.

ब्याज दरें घटेंगी तो सोने की कीमत और बढ़ेगी

अमेरिका का केंद्रीय बैंक इस साल कम से कम दो बार ब्याज दरें घटा सकता है. इसका सीधा फायदा सोने को मिलेगा. क्योंकि जब ब्याज दरें गिरती हैं, तो फिक्स्ड इनकम वाले इन्वेस्टमेंट्स (जैसे बॉन्ड्स) कम आकर्षक लगते हैं और गोल्ड की मांग बढ़ जाती है. यानी इससे भी सोने की कीमतें आसमान पर पहुंचने की उम्मीद है.

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ब्लैक मंडे की भविष्यवाणी करने वाले ने अब जताई मंदी की आशंका, स्टॉक मार्केट में ‘भूकंप’ के बीच निवेशकों को दी ये बड़ी सलाह

Trump Tariff: फाइनेंशियल कॉमेंटेटर और CNBC के शो मैड मनी के होस्ट जिम क्रैमर ने शनिवार को ‘ब्लैड मंडे’ की भविष्यवाणी की थी. अब उन्होंने मंदी की आशंका जताई है. हालांकि, उन्होंने निवेशकों से हड़बड़ाहट में शेयर बेचने का बचने का आग्रह किया है. बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के जवाब में सोमवार को एशियाई बाजारों में आई भारी गिरावट के बाद उन्होंने यह टिप्पणी की. 

मंदी पर क्रैमर ने क्या कहा? 

क्रैमर का कहना है कि टैरिफ की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आने वाले समय में महामंदी जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी क्योंकि संस्थाएं अब भी मजबूत हैं.  

सीएनबीसी ने क्रैमर के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा, ”मुझे नहीं लगता है कि पूरी आर्थिक व्यवस्था खतरे में है. मुझे यह भी नहीं लगता कि बड़े-बड़े बैंक विफल हो जाएंगे. मुझे निश्चित रूप से चीजें रास नहीं आ रही हैं. राष्ट्रपति की गलत योजनाओं के चलते हमारे मंदी की ओर बढ़ने की भी संभावना है, लेकिन हम किसी न किसी तरह से इससे बाहर निकल आएंगे.”

शेयर बाजार को शांत कर सकते हैं ट्रंप

क्रैमर ने कहा कि ट्रंप चाहे तो शेयर बाजार को शांत कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें तीन काम करने होंगे- महंगाई को काबू में रखना होगा, नए व्यापार सौदे जल्दी करने होंगे, नौकरियों को स्थिर बनाए रखना होगा. क्रैमर ने कहा कि अगर ट्रंप व्यापार संबंधों को मजबूत बनाने की जगह चीन को मजा चखाने या मैन्युफैक्चरिंग को अमेरिका में वापस लाने पर ज्यादा फोकस करते हैं, तो निवेशकों की परेशानी बढ़ सकती है. 

अमेरिकी शेयर बाजार का हाल 

सोमवार को अमेरिकी शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. एक तरफ  S&P 500 इंडेक्स में 0.2 परसेंट तक लुढ़का. वहीं, डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 349 अंक या 0.9 परसेंट तक की गिरावट आई और नैस्डैक कंपोजिट में 0.1 परसेंट की बढ़त दर्ज की गई.

इन तीनों इंडेक्स ने कारोबार की शुरुआत गिरावट के साथ की. बाद में ग्लोबल मार्केट में और भी ज्यादा गिरावट के साथ डॉव जोंस 1,700 अंक तक लुढ़क गया. हालांकि, देर सुबह अचानक इसमें 900 अंकों का उछाल भी आया. इस बीच, S&P 500 4.7 परसेंट की गिरावट के साथ 3.4 परसेंट तक पहुंच गया, जो हाल के सालों में इसमें आई सबसे बड़ी उछाल है.  

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भूचाल के बाद 1200 अंक उछला सेंसेक्स, निफ्टी 22500 के पार, 10 सेकेंड में 8.47 लाख करोड़ की कमाई

Stock Market Today: भारतीय इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 ने सोमवार को शेयर बाजार में आई भारी गिरावट के बीच मंगलवार को शुरुआती कारोबार में जबरदस्त उछाल दर्ज किया. एक तरफ बीएसई सेंसेक्स 74,300 के पार चला गया गया, तो दूसरी ओर निफ्टी-50 22,500 के ऊपर पहुंच गया. सुबह 9:16 बजे, बीएसई सेंसेक्स 1,189 अंक या 1.63 परसेंट की बढ़त के साथ 74,327.37 पर कारोबार कर रहा था. जबकि निफ्टी-50 371 अंक या 1.67 परसेंट की उछाल के साथ 22,532.30 पर था.

शुरुआती कारोबार में ही जबरदस्त मुनाफा

चौतरफा खरीदारी के बीच हर सेक्टोरल इंडेक्स ग्रीन जोन पर है, सिर्फ टीसीएस के शेयर रेड जोन पर है. वहीं, टाटा स्टील, अडानी पोर्ट्स और टाइटन के शेयरों में गजब का उछाल देखने को मिल रहा है. मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी तेजी देखने को मिल रही है.

सोमवार को 13 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने के बाद आज BSE पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप में 8.47 लाख करोड़ का उछाल आया. सोमवार को बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 3,89,25,660.75 करोड़ रुपये था, जबकि मंगलवार को शुरुआती कारोबार में आई तेजी से यह  3,97,73,006.86 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यानी कि निवेशकों को कुल 847,346.11 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ. 

टैरिफ की चोट किस पर सबसे ज्यादा?

बीते दिन भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट आई, जिसके पीछे जिम्मेदार ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ को ठहराया जा रहा है. इससे ग्लोबल मार्केट में उथल-पुथल मची हुई है. बाजार विशेषज्ञों ने इस भारी गिरावट के बीच निवेशकों को फूंक-फूंककर कदम रखने की सलाह दी है.

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वी के विजयकुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया से हुई बातचीत में कहा, ”ग्लोबल मार्केट में बढ़ी अनिश्चितता और अस्थिरता कुछ और समय के लिए बनी रहेगी. मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि यह ट्रेड वॉर सिर्फ चीन और अमेरिका तक ही सीमित रहने वाला है. यूरोपीय यूनियन और जापान जैसे कई देशों ने बातचीत का विकल्प चुना है. भारत ने पहले ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत शुरू कर दी है.”

उन्होंने यह भी कहा, ”दूसरी तरफ, अमेरिका में महंगाई का खतरा बढ़ गया है. चीन की अर्थव्यवस्था के भी सबसे बुरी तरह से प्रभावित होने की संभावना है. अगर चीन पर 50 परसेंट टैरिफ लगाने की ट्रंप की धमकी लागू हो जाती है, तो अमेरिका में चीनी निर्यात लगभग रुक जाएगा. चौथा, चीन मेटल जैसे अपने प्रोडक्ट्स को दूसरे देशों में डंप करने की कोशिश करेगा. इससे इंटरनेशनल मेटल की कीमतें कम रहेंगी.” 

 

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स्टॉक मार्केट क्रैश में भी इन शेयरों ने कराई कमाई, यहां देखिए टॉप गेनर्स और लूजर्स की लिस्ट

शेयर बाजार के लिए सोमवार का दिन बुरा मंडे साबित हुआ. ग्लोबल मार्केट के साथ-साथ, घरेलू बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. जहां सेंसेक्स 2,226.79 अंकों की गिरावट के साथ 73,137.90 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 742.85 अंक टूटकर 22,161.60 पर पहुंच गया. यह गिरावट अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड टेंशन के चलते आई, जिसने दुनियाभर के बाजारों को प्रभावित किया. बाजार की ओपनिंग ही भारी गिरावट के साथ हुई थी, सेंसेक्स अपने पिछले बंद स्तर 75,364.69 से गिरकर 71,449.94 पर खुला, जबकि निफ्टी ने 22,904.45 की तुलना में 21,758.40 से शुरुआत की.

NIFTY50 का क्या रहा हाल

NIFTY50 में 50 में से 48 शेयर लाल निशान में बंद हुए. सबसे बड़ी गिरावट Trent में दर्ज की गई, जो 14.70 फीसदी लुढ़ककर 4,745 पर पहुंच गया. कंपनी ने मार्च तिमाही में उम्मीद से कम बिक्री दिखाई, जिससे निवेशकों को झटका लगा. JSW Steel, Tata Steel, Hindalco और Tata Motors जैसे दिग्गज स्टॉक्स में भी 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. वहीं, Hindustan Unilever (0.24%) और Zomato (0.22%) ही ऐसे दो स्टॉक्स रहे जो मामूली बढ़त के साथ बंद हुए.

मिडकैप और स्मॉलकैप का भी हाल बुरा

NIFTY Midcap 100 भी बुरी तरह से पिटा और 3.63 फीसदी यानी 1,836 अंकों की गिरावट के साथ 48,809.45 पर बंद हुआ. Mazagon Dock Shipbuilders, NALCO, Godrej Properties और SAIL जैसे स्टॉक्स में भारी गिरावट देखने को मिली. हालांकि GMR Airports, Kalyan Jewellers और Voltas जैसे कुछ स्टॉक्स ने हल्की बढ़त दर्ज की.

वहीं, NIFTY Smallcap 100 में भी बिकवाली का दबाव रहा, जो 3.88 फीसदी यानी 608 अंकों की गिरावट के साथ 15,067.90 पर बंद हुआ. इस कैटेगरी में BLS International, Brainbees, Inox Wind, Anant Raj और Hindustan Copper जैसे स्टॉक्स सबसे ज्यादा गिरे. हालांकि Delhivery ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 4.08 फीसदी की तेजी दिखाई, जिसका कारण कंपनी का 1,407 करोड़ में Ecom Express का अधिग्रहण था.

सबसे बड़ा टॉप गेनर कौन रहा

लार्ज कैप के टॉप गेनर्स में पहले नंबर Siemens रहा. कंपनी के शेयरों में एक दिन में 14.79 फीसदी की तेजी देखी गई. इसके पीछे की वजह ये बताई जा रही कि Siemens ने हाल ही में अपने एनर्जी बिजनेस को अलग कर दिया है, यानी कंपनी ने Siemens Energy India नाम से एक नया यूनिट तैयार किया है, जिसे शेयर बाज़ार में अलग से लिस्ट किया जाएगा. इस डिमर्जर के तहत, जिनके पास Siemens Ltd के शेयर हैं, उन्हें एक-के-बदले-एक Siemens Energy India का शेयर मिलेगा.

वहीं, मिडकैप में जीएमआर एयरपोर्ट्स इकलौता ऐसा शेयर रहा, जिसमें 1.83 फीसदी की तेजी देखी गई. स्मॉलकैप की बात करें तो इसमें 4 ऐसे शेयर रहे, जिन्होंने गिरते बाजार में भी निवेशकों को मुनाफा निकालकर दिया. ये शेयर हैं Delhivery (3.69%), एजिस लॉजिस्टिक (2.15%), जुपिटर वैगन्स (0.91%) और Crompton Greaves (0.30%)

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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अमेरिका ने ये क्या कर दिया! डोनाल्ड ट्रंप की वजह से संकट में फंस गया पुतिन का देश रूस

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी (US President Donald Trump Tariff Policy) की वजह से पुरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. ग्लोबल स्टॉक मार्केट में हर तरफ सिर्फ लाल ही लाल नजर आ रहा है. ट्रंप की इस टैरिफ पॉलिसी ने सिर्फ चीन, भारत या अन्य देशों को ही मुसीबत में नहीं डाला है, बल्कि उसने रूस के ऊपर भी एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है. दरअसल, रूस की अर्थव्यवस्था, जो मुख्य रूप से तेल, गैस और मिनरल एक्सपोर्ट पर निर्भर है, एक गंभीर संकट की ओर बढ़ रही है.

क्या है पूरा मामला?

सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई, जहां रूस का Urals क्रूड ऑयल 50 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया. यह गिरावट तब हुई जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी. ट्रंप की नई टैरिफ नीति के तहत चीन से आने वाले सामान पर 34 फीसदी, भारत पर 26 फीसदी और यूरोपीय यूनियन से आयात पर 20 फीसदी शुल्क लगाया गया है. इसके अलावा, पूरी दुनिया पर एक अतिरिक्त 10 फीसदी टैरिफ भी लगा दिया गया है.

तेल के दामों में गिरावट का सीधा असर रूस की आमदनी पर पड़ा है. मार्च में ही देश की तेल और गैस से होने वाली कमाई में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी और अप्रैल की शुरुआत में ही हालात और भी खराब हो गए हैं.

रूस ने क्या कहा?

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि सरकार इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है और इसके प्रभाव को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाएगी. इस पूरे घटनाक्रम का असर केवल रूस पर ही नहीं पड़ा, बल्कि पूरी दुनिया के वित्तीय बाज़ारों में भी उथल-पुथल मच गई है. केवल 72 घंटों में वैश्विक बाज़ारों से ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की संपत्ति मिट गई. अमेरिकी बेंचमार्क WTI क्रूड की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई, जबकि अंतरराष्ट्रीय ब्रेंट क्रूड 64 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.

ट्रंप ने कहा सब ठीक

हालांकि, इन सबके बीच डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर दावा किया कि सब कुछ ठीक है. उन्होंने लिखा, “तेल के दाम नीचे हैं, ब्याज दरें भी कम हैं, महंगाई नहीं है और अमेरिका अब टैरिफ के जरिए हर हफ्ते अरबों डॉलर कमा रहा है.” उन्होंने चीन पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि दशकों से चीन अमेरिका का शोषण करता आ रहा है और अब वह 34 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाकर बदला ले रहा है, जो कि गलत है.

संकट में रूस की अर्थव्यवस्था

इस पूरी स्थिति ने रूस की अर्थव्यवस्था को गंभीर चुनौती दी है, क्योंकि उसकी सबसे बड़ी कमाई का स्रोत तेल अब खतरे में है. दुनिया के अन्य देशों में भी मंदी की आहट सुनाई दे रही है और निवेशक दुविधा में हैं. आगे देखना होगा कि रूस इस संकट से कैसे उबरता है और क्या ट्रंप की नीतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था को और गहराई तक प्रभावित करेंगी.

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