स्टॉक मार्केट क्रैश में भी इन शेयरों ने कराई कमाई, यहां देखिए टॉप गेनर्स और लूजर्स की लिस्ट

शेयर बाजार के लिए सोमवार का दिन बुरा मंडे साबित हुआ. ग्लोबल मार्केट के साथ-साथ, घरेलू बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. जहां सेंसेक्स 2,226.79 अंकों की गिरावट के साथ 73,137.90 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 742.85 अंक टूटकर 22,161.60 पर पहुंच गया. यह गिरावट अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड टेंशन के चलते आई, जिसने दुनियाभर के बाजारों को प्रभावित किया. बाजार की ओपनिंग ही भारी गिरावट के साथ हुई थी, सेंसेक्स अपने पिछले बंद स्तर 75,364.69 से गिरकर 71,449.94 पर खुला, जबकि निफ्टी ने 22,904.45 की तुलना में 21,758.40 से शुरुआत की.

NIFTY50 का क्या रहा हाल

NIFTY50 में 50 में से 48 शेयर लाल निशान में बंद हुए. सबसे बड़ी गिरावट Trent में दर्ज की गई, जो 14.70 फीसदी लुढ़ककर 4,745 पर पहुंच गया. कंपनी ने मार्च तिमाही में उम्मीद से कम बिक्री दिखाई, जिससे निवेशकों को झटका लगा. JSW Steel, Tata Steel, Hindalco और Tata Motors जैसे दिग्गज स्टॉक्स में भी 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. वहीं, Hindustan Unilever (0.24%) और Zomato (0.22%) ही ऐसे दो स्टॉक्स रहे जो मामूली बढ़त के साथ बंद हुए.

मिडकैप और स्मॉलकैप का भी हाल बुरा

NIFTY Midcap 100 भी बुरी तरह से पिटा और 3.63 फीसदी यानी 1,836 अंकों की गिरावट के साथ 48,809.45 पर बंद हुआ. Mazagon Dock Shipbuilders, NALCO, Godrej Properties और SAIL जैसे स्टॉक्स में भारी गिरावट देखने को मिली. हालांकि GMR Airports, Kalyan Jewellers और Voltas जैसे कुछ स्टॉक्स ने हल्की बढ़त दर्ज की.

वहीं, NIFTY Smallcap 100 में भी बिकवाली का दबाव रहा, जो 3.88 फीसदी यानी 608 अंकों की गिरावट के साथ 15,067.90 पर बंद हुआ. इस कैटेगरी में BLS International, Brainbees, Inox Wind, Anant Raj और Hindustan Copper जैसे स्टॉक्स सबसे ज्यादा गिरे. हालांकि Delhivery ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 4.08 फीसदी की तेजी दिखाई, जिसका कारण कंपनी का 1,407 करोड़ में Ecom Express का अधिग्रहण था.

सबसे बड़ा टॉप गेनर कौन रहा

लार्ज कैप के टॉप गेनर्स में पहले नंबर Siemens रहा. कंपनी के शेयरों में एक दिन में 14.79 फीसदी की तेजी देखी गई. इसके पीछे की वजह ये बताई जा रही कि Siemens ने हाल ही में अपने एनर्जी बिजनेस को अलग कर दिया है, यानी कंपनी ने Siemens Energy India नाम से एक नया यूनिट तैयार किया है, जिसे शेयर बाज़ार में अलग से लिस्ट किया जाएगा. इस डिमर्जर के तहत, जिनके पास Siemens Ltd के शेयर हैं, उन्हें एक-के-बदले-एक Siemens Energy India का शेयर मिलेगा.

वहीं, मिडकैप में जीएमआर एयरपोर्ट्स इकलौता ऐसा शेयर रहा, जिसमें 1.83 फीसदी की तेजी देखी गई. स्मॉलकैप की बात करें तो इसमें 4 ऐसे शेयर रहे, जिन्होंने गिरते बाजार में भी निवेशकों को मुनाफा निकालकर दिया. ये शेयर हैं Delhivery (3.69%), एजिस लॉजिस्टिक (2.15%), जुपिटर वैगन्स (0.91%) और Crompton Greaves (0.30%)

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

ये भी पढ़ें: Global Market Crash: ट्रंप के टैरिफ बम से हिला ग्लोबल बाजार! भारत समेत पूरी दुनिया के स्टॉक मार्केट में मचा हाहाकार

Continue Reading

अमेरिका ने ये क्या कर दिया! डोनाल्ड ट्रंप की वजह से संकट में फंस गया पुतिन का देश रूस

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी (US President Donald Trump Tariff Policy) की वजह से पुरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. ग्लोबल स्टॉक मार्केट में हर तरफ सिर्फ लाल ही लाल नजर आ रहा है. ट्रंप की इस टैरिफ पॉलिसी ने सिर्फ चीन, भारत या अन्य देशों को ही मुसीबत में नहीं डाला है, बल्कि उसने रूस के ऊपर भी एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है. दरअसल, रूस की अर्थव्यवस्था, जो मुख्य रूप से तेल, गैस और मिनरल एक्सपोर्ट पर निर्भर है, एक गंभीर संकट की ओर बढ़ रही है.

क्या है पूरा मामला?

सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई, जहां रूस का Urals क्रूड ऑयल 50 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया. यह गिरावट तब हुई जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी. ट्रंप की नई टैरिफ नीति के तहत चीन से आने वाले सामान पर 34 फीसदी, भारत पर 26 फीसदी और यूरोपीय यूनियन से आयात पर 20 फीसदी शुल्क लगाया गया है. इसके अलावा, पूरी दुनिया पर एक अतिरिक्त 10 फीसदी टैरिफ भी लगा दिया गया है.

तेल के दामों में गिरावट का सीधा असर रूस की आमदनी पर पड़ा है. मार्च में ही देश की तेल और गैस से होने वाली कमाई में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी और अप्रैल की शुरुआत में ही हालात और भी खराब हो गए हैं.

रूस ने क्या कहा?

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि सरकार इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है और इसके प्रभाव को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाएगी. इस पूरे घटनाक्रम का असर केवल रूस पर ही नहीं पड़ा, बल्कि पूरी दुनिया के वित्तीय बाज़ारों में भी उथल-पुथल मच गई है. केवल 72 घंटों में वैश्विक बाज़ारों से ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की संपत्ति मिट गई. अमेरिकी बेंचमार्क WTI क्रूड की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई, जबकि अंतरराष्ट्रीय ब्रेंट क्रूड 64 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.

ट्रंप ने कहा सब ठीक

हालांकि, इन सबके बीच डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर दावा किया कि सब कुछ ठीक है. उन्होंने लिखा, “तेल के दाम नीचे हैं, ब्याज दरें भी कम हैं, महंगाई नहीं है और अमेरिका अब टैरिफ के जरिए हर हफ्ते अरबों डॉलर कमा रहा है.” उन्होंने चीन पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि दशकों से चीन अमेरिका का शोषण करता आ रहा है और अब वह 34 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाकर बदला ले रहा है, जो कि गलत है.

संकट में रूस की अर्थव्यवस्था

इस पूरी स्थिति ने रूस की अर्थव्यवस्था को गंभीर चुनौती दी है, क्योंकि उसकी सबसे बड़ी कमाई का स्रोत तेल अब खतरे में है. दुनिया के अन्य देशों में भी मंदी की आहट सुनाई दे रही है और निवेशक दुविधा में हैं. आगे देखना होगा कि रूस इस संकट से कैसे उबरता है और क्या ट्रंप की नीतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था को और गहराई तक प्रभावित करेंगी.

ये भी पढ़ें: Global Market Crash: ट्रंप के टैरिफ बम से हिला ग्लोबल बाजार! भारत समेत पूरी दुनिया के स्टॉक मार्केट में मचा हाहाकार

Continue Reading

10 सेकेंड में 19 लाख करोड़ स्वाहा, 3300 अंक नीचे गया सेंसेक्स, निफ्टी भी फिसला, ब्लैक मंडे का अंदेशा सही साबित हुआ!

ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के बाद से लगातार दुनियाभर के शेयर बाजार में कोहराम मचा हुआ है. एक्सपर्ट्स की तरफ से ब्लैक मंडे के अंदेशा के बीच सोमवार की सुबह बाजार खुलते ही सेंसेक्स में करीब 3300 अंक से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली. यानी करीब 4.70 फीसदी की नीचे चला गया. जबकि निफ्टी भी करीब 1000 अंक टूटा. बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों की मार्केट कैप 19.39 लाख करोड़ रुपये तक घट गया. यानी निवेशकों की संपत्ति बाजार खुलते ही 19.39 लाख करोड़ रुपये कम हो गई.

 बीएसई सेंसेक्स 3379.19 अंक यानी 4.48 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 72,623 और निफ्टी-50, 1056.05 प्वाइंट्स यानी 4.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 21,848.40 पर है. दूसरी तरफ, एशियाई शेयर बाजारों में भी टैरिफ के चलते भूकंप देखने को मिला, जहां हांगकांग के बाजार 10 प्रतिशत टूटे. वहीं चीन से लेकर जापान के बाजारों में 6 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली. अमेरिका में भी भारी गिरावट का दौर जारी है, जहां एसएंडपी और नैस्डैक के शेयरों में 3 प्रतिशत की गिरावट दिखी, जबकि डाओ फ्यूचर्स 900 प्वाइंट्स नीचे आया. जबकि, जापान के निक्केई में मार्केट ओपन होते ही 225 प्वाइंट्स की गिरावट हुई. 

शेयर मार्केट में कोहराम

जबकि, ऑस्ट्रेलिया के एस एंड पी 200 में 6.5 प्रतिशत की गिरावट के सात 7184.70, दक्षिण कोरिया के कोस्पी में 5.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2328.52 पर रहा. इससे पहले, अमेरिकी नैस्डैक में शुक्रवार को करीब 7 फीसदी की गिरावट पर बाजार बंद हुआ था. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये गिरावट तो कुछ भी नहीं है, अगर स्थिति नहीं संभली तो अमेरिकी मार्केट का हाल ऐसा हो सकता है, जैसा 1987 में हुआ था.

इससे पहले, अमेरिकी शेयर बाजार में शुक्रवार को लगभग 6 प्रतिशत की गिरावट आई थी, जो 2020 के बाद से वहां के बाजार के लिए सबसे खराब सप्ताह रहा.मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के निदेशक पुनीत सिंघानिया ने कहा, ‘‘यह सप्ताह वैश्विक और भारतीय बाजारों के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहने वाला है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया के विभिन्न देशों पर  शुल्क लगाया है, जिससे व्यापक व्यापार युद्ध और वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाएं बढ़ गई हैं.   सिंघानिया ने बताया कि मार्च के लिए चीन का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) का आंकड़ा गुरुवार को और ब्रिटेन का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आंकड़ा शुक्रवार को जारी होगा.

टैरिफ इफैक्ट्स से पस्त बाजार

पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 2,050.23 अंक या 2.64 प्रतिशत नीचे आया. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 614.8 अंक या 2.61 प्रतिशत के नुकसान में रहा.  मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख-शोध, संपदा प्रबंधन सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘इस सप्ताह अमेरिकी जवाबी शुल्क की चिंता और क्षेत्र आधारित विशेष शुल्क की घोषणा की संभावना के बीच भारतीय बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रहने की आशंका है.’’  

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, नौ अप्रैल को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजों की घोषणा होगी. बाजार रेपो दर में चौथाई प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहा है. 10 अप्रैल को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के साथ कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजों के सत्र की शुरुआत होगी.’’  उन्होंने कहा कि इसके अलावा निवेशक इस सप्ताह जारी होने वाले अमेरिका और भारत के मार्च के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर भी नजर रखेंगे.   विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार भागीदारों की निगाह विदेशी निवेशकों की गतिविधियों, डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों पर भी रहेगी.

इधर, अमेरिकी टीवी पर्सनालिटी और मार्केट एक्सपर्ट जिम क्रेमर ने स्टॉक मार्केट को लेकर काफी डरावना अंदेशा जताया है. उन्होंने कहा कि सोमवार, 7 अप्रैल, 1987 की तरह शेयर बाजार के लिए सबसे बुरा दिन साबित हो सकता है! सीएनबीसी पर अपने शो Mad Money में क्रेमर ने साफ चेतावनी दी कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन देशों से संपर्क नहीं किया जिन्होंने जवाबी टैरिफ नहीं लगाए हैं, तो यह 1987 जैसा क्रैश हो सकता है.

ये भी पढ़ें: ट्रंप के टैरिफ से वॉल स्ट्रीट में ‘भूकंप’, कोरियन 5% तो जापानी शेयर 8% गिरावट, इंडियन मार्केट पर ब्लैक मंडे का खौफ

Continue Reading

झटका! CNG की कीमत में 1 रुपये से लेकर 3 रुपये का इजाफा, 9 महीने में बाद दिल्ली में बढ़ी कीमत

इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड यानी आईजीएल की तरफ से सीएनजी की कीमतों में एक रुपये से लेकर तीन रुपये तक का इजाफा किया गया है. दिल्ली में सीएनजी की  में एक रुपये की बढ़ोतरी हुई जबकि अन्य जगहों पर इसमें 3 रुपये तक बढ़ाया गया है.

यानी जून 2024 के बाद पहली बार सीएनजी की कीमत बढ़ाई गई है. आईजीएल की दिल्ली में करीब 70 फीसदी गैस बिकती है, जबकि बाकी 30 फीसदी दूसरी कंपनियों की होती है. 

सीएनजी की इस बढ़ी कीमत के बाद अब दिल्ली में सीएनजी का दाम बढ़कर 76.09 रुपये और नोएड-गाजियाबाद में सीएनजी 84.70 रुपये प्रति किलो हो गई है. नवंबर 2024 में आईजीएल ने दिल्ली में सीएनजी की कीमतों को बढ़ाने का फैसला किया था.     

ब्रोकरेफ फर्म जेफरिज ने फरवरी में आईजीएल पर अपने नोट में कहा था कि उसके वर्तमान मुनाफे को बरकरार रखने के लिए कीमत में 2 रुपये का इजाफा पर्याप्त होगा.

सरकार की तरफ से एपीएम (Administered Price Mechanism) के तहत गैस में 4% के इजाफे के बाद उसकी कीमतों में ये संशोधन किया गया है. अब ये देखना है कि आईजीएल और एमजीएल से शेयर का इस बढ़ी हुई कीमत के बाद क्या रिएक्शन रहता है. शुक्रवार को बंद हुए बाजार में आईजीएल में 30 प्रतिशत जबकि एमजीएल में 33 प्रतिश की गिरावट दिखी थी.

इस साल अप्रैल से सितंबर की अवधि के लिए एपीएम गैस की कीमतें 6.75 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू पर स्थिर कहीं. 2023 के अप्रैल के बाद से सीएनजी की गैस कीमत में ये पहली वृद्धि है.  ये किरीट पारीख पैनल द्वारा किए गए सिफारिशों के ही अनुरूप है.

ये भी पढ़ें: 10 सेकेंड में 19 लाख करोड़ स्वाहा, 3300 अंक नीचे गया सेंसेक्स, निफ्टी भी फिसला, ब्लैक मंडे का अंदेशा सही साबित हुआ!

Continue Reading

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से कांपा शेयर बाजार, एक्सपर्ट बोले ‘ब्लैक मंडे’ जैसा हाल हो सकता है!

Stock Market Crash: डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की टैरिफ पॉलिसी (Tariff Policy) की घोषणा के बाद से ही पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है. एक तरफ जहां लोग ट्रेड वॉर से डरे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर शेयर मार्केट में निवेश करने वाले गिरते बाजार की वजह से परेशान हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये गिरावट तो कुछ भी नहीं है, अगर स्थिति नहीं संभली तो अमेरिकी मार्केट का हाल ऐसा हो सकता है, जैसा 1987 में हुआ था.

एक्सपर्ट ने क्या कहा?

अमेरिकी टीवी पर्सनालिटी और मार्केट एक्सपर्ट जिम क्रेमर ने शेयर मार्केट को लेकर डरावना अंदेशा जताया है. उन्होंने कहा कि सोमवार, 7 अप्रैल, 1987 की तरह शेयर बाजार के लिए सबसे बुरा दिन साबित हो सकता है! CNBC पर अपने शो Mad Money में क्रेमर ने साफ चेतावनी दी कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन देशों से संपर्क नहीं किया जिन्होंने जवाबी टैरिफ नहीं लगाए हैं, तो यह 1987 जैसा क्रैश हो सकता है.

उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रपति ऐसे देशों और कंपनियों को प्रोत्साहित नहीं करते जो नियमों का पालन कर रहे हैं, तो हमें 1987 जैसा नज़ारा देखने को मिल सकता है. आपको बता दें, 2 अप्रैल को ट्रंप ने सभी देशों पर 10 फीसदी बेसलाइन टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. इसके बाद अमेरिका का बाजार बुरी तरह लुढ़क गया. Dow Jones, NASDAQ और S&P 500. तीनों इंडेक्सों में भारी गिरावट देखने को मिली. Dow Jones जहां, 2200 से ज़्यादा पॉइंट्स लुढ़का और 5.50 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ. वहीं, Nasdaq 900 पॉइंट्स गिरा और 5.82 फीसदी नीचे बंद हुआ. जबकि S&P 500 ने 5.97 फीसदी की बड़ी गिरावट झेली.

पूरी दुनिया ये तबाही झेलेगी

यह संकट सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहा. यूरोप, एशिया और भारत के बाजार भी इस गिरावट की चपेट में आ गए. निवेशकों के अरबों डॉलर मिट्टी में मिल गए. Jim Cramer ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी कहा कि वो 1987 की तरह हालात नहीं चाहते, लेकिन वो उस दौर से गुज़रे हैं और उन्हें याद है कैसे ‘ब्लैक मंडे’ से पहले भी बाजार में गिरावट के ऐसे ही संकेत थे. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इस बार एक पॉजिटिव फैक्टर ये है कि अमेरिका का जॉब डेटा मजबूत है, जिससे यह जरूरी नहीं कि गिरावट सीधे मंदी में तब्दील हो.

ब्लैक मंडे क्या था?

1987 में, 19 अक्टूबर के दिन Dow Jones में एक ही दिन में 22.6 फीसदी की गिरावट आई थी, जो अब तक का सबसे बड़ा वन-डे क्रैश माना जाता है. उस वक्त इस घटना ने अमेरिका को झकझोर कर रख दिया था और बाद में कई आर्थिक नीतियों में बदलाव लाया गया.

ये भी पढ़ें: Anant Ambani Padyatra: अनंत अंबानी की पत्नी का वीडियो हो रहा वायरल! 140 किलोमीटर की पदयात्रा को लेकर कह दी ये बड़ी बात

Continue Reading

इस कंपनी को क्यों खरीदना चाहते हैं देश के बड़े-बड़े अरबपति! सिर्फ 3.40 रुपये का है एक शेयर

देश की जानी-मानी इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह कुछ खास है. कर्ज में डूबी इस कंपनी के अधिग्रहण के लिए गौतम अडानी, अनिल अग्रवाल की वेदांता और योगगुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद जैसी बड़ी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है. यही नहीं, टॉरेंट पावर, जिंदल पावर, ओबेरॉय रियल्टी और कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स जैसी 26 नामी कंपनियां भी इस रेस में शामिल हैं.

57,185 करोड़ रुपये का कर्ज

जेपी एसोसिएट्स ने खुद शेयर बाजारों को जानकारी दी है कि उन्होंने भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन बोर्ड (IBBI) के तहत उन संभावित निवेशकों की अस्थायी सूची जारी की है जो कंपनी को खरीदने में रुचि रखते हैं. बता दें कि NCLT की इलाहाबाद पीठ ने 3 जून 2024 को कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था, क्योंकि जेएएल अपने 57,185 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने में असमर्थ रही थी.

इस भारी-भरकम कर्ज का बड़ा हिस्सा भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई वाले कर्जदाताओं के समूह का है, जिसे अब राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी लिमिटेड (NARCL) के तहत लाया गया है.

आखिर क्यों है कंपनियों की इतनी दिलचस्पी?

दरअसल, जेपी एसोसिएट्स के पास सिर्फ कर्ज ही नहीं, कीमती रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्तियां भी हैं. इसके अलावा, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जेपी ग्रीन्स, विशटाउन और इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी जैसे प्रोजेक्ट हैं. वहीं, दिल्ली-एनसीआर, मसूरी और आगरा में पांच शानदार होटल हैं. जबकि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चार सीमेंट प्लांट्स हैं. हालांकि ये फिलहाल बंद हैं. इसके अलाव, कंपनी के पास चूना पत्थर की खदानें, जयप्रकाश पावर वेंचर्स, यमुना एक्सप्रेसवे टोलिंग और जेपी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी सब्सिडियरी कंपनियों में निवेश भी है.

इन संसाधनों और रियल एस्टेट संपत्तियों को देखते हुए यह अधिग्रहण उन कंपनियों के लिए रणनीतिक विस्तार का बड़ा मौका बन सकता है जो रियल एस्टेट, सीमेंट, हॉस्पिटैलिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं. दिलचस्प बात यह है कि जेपी समूह की एक अन्य कंपनी जेपी इन्फ्राटेक पहले ही दिवाला प्रक्रिया के तहत मुंबई स्थित सुरक्षा ग्रुप द्वारा खरीदी जा चुकी है. अब देखना होगा कि जेपी एसोसिएट्स को कौन सा कॉर्पोरेट दिग्गज अपने पाले में करता है और इस डूबती कंपनी को कैसे उबारता है.

क्या है कंपनी के शयरों के हाल

शुक्रवार को जेपी एसोसिएट्स के शेयरों में तेजी देखने को मिली थी. बाजार बंद होते-होते कंपनी के शेयर 4.62 फीसदी तक चढ़े थे. हालांकि, बीते 1 महीने की बात करें तो कंपनी के शेयरों में 24 फीसदी की गिरावट देखने को मिलती है.

ये भी पढ़ें: डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से कांपा शेयर बाजार, एक्सपर्ट बोले ‘ब्लैक मंडे’ जैसा हाल हो सकता है!

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

Continue Reading

ट्रंप के टैरिफ का था खौफ, एप्पल ने चीन और भारत से भर-भरकर अमेरिका भेजे अपने सामान

India Export to America: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से बचने के लिए कंपनियों में आखिरी समय में एक्सपोर्ट करने की होड़ सी मच गई. इसके चलते भारत को पिछले साल के 437 बिलियन डॉलर एक्सपोर्ट लेवल तक पहुंचने में मदद मिली. आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल भी इस मामले में काफी आगे रहा. ऐसा कहा जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने से पहले अपने गोदामों में स्टॉक भरने के लिए कंपनी ने सिर्फ तीन दिनों में आईफोन और अपने अन्य प्रोडक्ट्स से भरे पांच विमान अमेरिका भेजे. 

चीन और भारत से एप्पल ने भेजे अपने सामान

बीते शनिवार को टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एप्पल ने भारत और चीन दोनों देशों से भारी संख्या में शिपमेंट भेजे हैं, जबकि यह एक कम खरीदारी वाला सीजन है. एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि कई अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट के मामले में भी यही रूझान देखा गया. जेम्स और ज्वैलरी का निर्यात भी इस दौरान खूब बढ़ा.

1 से 4 अप्रैल के बीच मुंबई में कस्टम के लिए कीमती कार्गो क्लीयरेंस सिस्टम के जरिए अमेरिका को रत्न और आभूषण निर्यात लगभग छह गुना बढ़कर 344 मिलियन डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह सिर्फ 61 मिलियन डॉलर था. ऐसा शायद शनिवार आधी रात से लागू हुए 10 परसेंट बेसलाइन टैरिफ से बचने के लिए किया गया. इसी तरह से कपड़ों के शिपमेंट में भी इसी तरह की तेजी आई है. 

800 बिलियन डॉलर पार पहुंच सकता है एक्सपोर्ट 

मार्च में खत्म हुए वित्तीय वर्ष के दौरान भारत का गुड्स और सर्विस एक्सपोर्ट के 800 बिलियन डॉलर पार पहुंचने की संभावना है. 2023-24 में भारत के गुड्स एक्सपोर्ट में 3 परसेंट की गिरावट आने के बाद टोटल एक्सपोर्ट 778 बिलियन डॉलर तक पहुंचा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के चेयरमैन किरीट भंसाली ने बताया, ”मार्च के आखिरी हफ्ते में एक्सपोर्ट में जबरदस्त उछाल आया है.”

फियो के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने कहा, ”ऐसे सेक्टर्स से एक्सपोर्ट ज्यादा हुआ, जिनमें हवाई मार्ग से अमेरिका में सामान पहुंचाना संभव था. मुझे मार्च 2025 में 40 बिलियन डॉलर से अधिक के एक्सपोर्ट की उम्मीद है.” व्यापार डेटा 15 अप्रैल को जारी होने वाला है. 

ये भी पढ़ें:

‘ट्रंप जो कर रहे हैं वह बेहद खतरनाक…’, सोशल मीडिया पर ट्रंप की आलोचनाओं का समर्थकों ने दिया जवाब- ‘मार्केट की हो रही रिकवरी’

Continue Reading

अमेरिका ने उड़ाई ग्लोबल ट्रेड के नियमों की धज्जियां, शुरू हुई 10 परसेंट बेसलाइन टैरिफ की वसूली

US Baseline Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के सभी देशों पर 10 परसेंट का बेसलाइन टैरिफ लगाया है, जो शनिवार आधी रात से लागू हो गया. इसके चलते अमेरिकी कस्टम अधिकारियों ने 5 अप्रैल से इसकी वसूली शुरू कर दी. इसी के साथ भारत, चीन, वियतनाम जैसे 57 देशों पर इससे भी ज्यादा टैरिफ लगाया गया है, जो 9 अप्रैल से लागू हो जाएगा. 

10 परसेंट बेसलाइन टैरिफ की वसूली शुरू

ट्रंप का 10 परसेंट बेसलाइन टैरिफ अमेरिकी बंदरगाहों, एयरपोर्ट्स और कस्टम वेयरहाउसों पर कल सुबह 12 बजे ईटी (भारतीय समयानुसार सुबह 09:31) से लागू हो गया. इसके साथ ही ट्रंप ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आपसी सहमति से तय हुए टैरिफ रेट्स के सिस्टम को पूरी तरह से नकार दिया.

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, होगन लवेल्स में ट्रेड लॉयर और ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस की पूर्व व्यापार सलाहकार केली एन शॉ ने कहा, यह हमारे अब तक के जीवनकाल में हुआ सबसे बड़ा ट्रेड एक्शन है. 

टैरिफ में बदलाव लाने की भी उम्मीद

शॉ ने गुरुवार को ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन के एक इवेंट में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वक्त के साथ टैरिफ में भी बदलाव आएगा क्योंकि कई देश टैरिफ दरों को कम करने के लिए अमेरिका संग बातचीत करने की तैयारी में है. उन्होंने कहा, यह धरती पर हर देश के साथ व्यापार करने के हमारे तरीके में एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव है.

ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने मचाई हलचल

ट्रंप ने बुधवार 2 अप्रैल को जैसे ही रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया वैसे ही दुनियाभर के शेयर मार्केट्स में हलचल मच गई. नतीजतन शुक्रवार को S&P 500 की कंपनियों का टोटल मार्केट वैल्यूएशन 5 ट्रिलियन डॉलर तक घट गया, जो कि दो दिनों में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. इधर, क्रूड ऑयल और दूसरे कमोडिटीज की कीमतों में भी गिरावट आई. निवेशक भी सुरक्षित निवेश के लिए गोल्ड और बॉन्ड्स की तरफ  भागते नजर आए. 

बेसलाइन टैरिफ का सबसे पहले इन पर असर

बता दें कि ट्रंप के बेसलाइन टैरिफ की गाज सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ब्राजील, कोलंबिया, अर्जेंटीना और सऊदी अरब जैसों देशों पर पड़ेगा. पिछले साल अमेरिका के साथ इनका व्यापार घाटा बहुत ज्यादा था. व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना है कि अगर टैरिफ पॉलिसी निष्पक्ष होती तो अमेरिका के साथ कई दूसरे देशों को भी घाटा होता. 

ये भी पढ़ें:

ट्रंप के टैरिफ का था खौफ, एप्पल ने चीन और भारत से भर-भरकर अमेरिका भेजे अपने सामान

Continue Reading

डोनाल्ड ट्रंप की वजह से जाने वाली है इन कंपनियों में काम करने वालों की नौकरी! लिस्ट में ये नाम सबसे ऊपर

अमेरिका में सत्ता बदलते ही सरकारी खर्चों की दिशा भी बदल गई है. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने टेक अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) को ‘Department of Government Efficiency (DOGE)’ की कमान सौंप दी.

मस्क के हाथ में आते ही ये डिपार्टमेंट सरकारी खर्चों में कटौती और सिस्टम को lean & efficient बनाने में जुट गया है. इस मुहिम के चलते अब तक हजारों सरकारी कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं और अब इसकी आंच प्राइवेट सेक्टर तक भी पहुंच चुकी है.

प्राइवेट कंसल्टिंग कंपनियों पर छाये संकट के बादल

मार्च में सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका की तमाम सरकारी एजेंसियों को यह निर्देश दिए गए कि वे अपनी प्राइवेट कंसल्टिंग कंपनियों से किए गए कॉन्ट्रैक्ट्स की समीक्षा करें और यह साबित करें कि वे जरूरी हैं भी या नहीं. General Services Administration (GSA) ने सभी एजेंसियों से कहा कि वे उन टॉप 10 फर्म्स के कॉन्ट्रैक्ट्स पर रिपोर्ट दें जिनके साथ उनके सबसे बड़े समझौते हैं. मकसद था, जो फिजूल है, उसे काट दो.

Deloitte, Accenture, IBM जैसी कई कंपनियां निशाने पर 

माना जा रहा है कि इस फैसले का सबसे बड़ा असर पड़ा है Deloitte पर पड़ेगा, जो अमेरिका की एक प्रमुख कंसल्टिंग कंपनी है. Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, Deloitte ने अपने सरकारी कंसल्टिंग डिवीजन में छंटनी की शुरुआत कर दी है. कंपनी का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में ग्रोथ धीमी हो रही है, सरकारी क्लाइंट्स की जरूरतें बदल रही हैं और वॉलंटरी एट्रिशन यानी जो खुद से नौकरी छोड़ते हैं, उनकी संख्या भी कम हो गई है. इन वजहों से स्टाफ कम करना पड़ रहा है.

वहीं, Fortune की एक रिपोर्ट के अनुसार, DOGE के आदेशों के बाद Deloitte के 124 से ज़्यादा सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स में कटौती या बदलाव किया गया है, जिनकी कुल कीमत 1.16 बिलियन डॉलर यानी करीब 9,700 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है. सिर्फ एक अकेले कॉन्ट्रैक्ट की बात करें, जो US Department of Health & Human Services के लिए था और जिसकी कीमत 51 मिलियन डॉलर थी तो वो सीधा कैंसिल कर दिया गया.

Deloitte अकेली कंपनी नहीं है जो इस ‘efficiency drive’ की शिकार हुई है. Booz Allen Hamilton, Accenture Federal Services, और IBM जैसी दिग्गज कंपनियों के भी दर्जनों कॉन्ट्रैक्ट्स कट कर दिए गए या तो खत्म कर दिए गए हैं. Fortune की रिपोर्ट कहती है कि Booz Allen Hamilton के 61 कॉन्ट्रैक्ट्स जिनकी कुल कीमत 207.1 मिलियन डॉलर है और Accenture के 30 कॉन्ट्रैक्ट्स जिनकी कुल कीमत 240.2 मिलियन डॉलर है, पर कैंची चल चुकी है. वहीं IBM के 10 कॉन्ट्रैक्ट्स, जिनकी कीमत 34.3 मिलियन डॉलर थी, वो भी खत्म कर दिए गए हैं.

Inc.com की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 10 बड़ी कंसल्टिंग फर्म्स के कॉन्ट्रैक्ट्स रिव्यू पर हैं, उनकी कुल वैल्यू 65 बिलियन डॉलर से ज़्यादा है और सरकार अब किसी भी “महंगे या बेकार डील” को सीधा खत्म करने के मूड में है. Wall Street Journal ने भी चेतावनी दी है कि इस नीति से कंपनियों के अरबों डॉलर का रेवेन्यू खतरे में पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें: Goldman Sachs Report: चीन-अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर…तेल की गिरती कीमत, सावधान! मंदी का दौर नजदीक है

Continue Reading

डोनाल्ड ट्रंप की वजह से अमेरिका को लगा बड़ा झटका, बंद हो गई लग्जरी गाड़ियों की सप्लाई!

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई 25 फीसदी इम्पोर्ट टैरिफ नीति की वजह से अमेरिका को एक बड़ा झटका लगा है. दरअसल, भारत की सबसे बड़ी ऑटो कंपनियों में से एक, Tata Motors की लग्ज़री कार सब्सिडियरी Jaguar Land Rover (JLR) ने ब्रिटेन में बनने वाली Jaguar और Land Rover कारों की अमेरिका को सप्लाई फिलहाल रोक दी है.

क्या है पूरा मामला?

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार से JLR अमेरिका को कारों की शिपमेंट अस्थायी रूप से रोक रही है, ताकि वो नए इम्पोर्ट टैक्स से निपटने का रास्ता खोज सके. ट्रंप प्रशासन की नई नीति के तहत अब अमेरिका में इम्पोर्ट की गई गाड़ियों पर सीधा 25 फीसदी टैक्स लगेगा, जो गुरुवार से लागू हो चुका है.

Jaguar Land Rover के पास अमेरिका में पहले से कुछ महीनों के लिए गाड़ियों का स्टॉक मौजूद है, जिन्हें ये नया टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन नई शिपमेंट पर टैक्स लागू होने के कारण कंपनी फिलहाल स्टॉप-बटन दबा चुकी है.

कंपनी ने क्या कहा?

द टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, JLR का कहना है कि वो इस बदले हुए ट्रेड एनवायरनमेंट में अपनी रणनीति को फिर से तैयार कर रही है. कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा, “हमारे लग्ज़री ब्रांड्स की ग्लोबल अपील है और हम बदलते बाज़ारों के अनुसार खुद को ढालने में सक्षम हैं. इस समय हमारी प्राथमिकता है अपने ग्लोबल क्लाइंट्स को बेहतर सर्विस देना और अमेरिका की नई ट्रेडिंग शर्तों के अनुसार खुद को तैयार करना.”

Jaguar Land Rover ने मार्च 2024 तक के पिछले 12 महीनों में कुल 4.3 लाख गाड़ियां बेची थीं, जिनमें से करीब 25 फीसदी अकेले नॉर्थ अमेरिका में बिकी थीं. जनवरी 2024 में कंपनी ने बताया था कि उसकी तिमाही प्री-टैक्स प्रॉफिट में 17 फीसदी की गिरावट आई है. यानी कंपनी पहले से ही प्रेशर में है.

Tata Motors ने खरीद ली है कंपनी

Tata Motors ने 2008 में Jaguar Land Rover को अमेरिकी कंपनी Ford से खरीदा था. अब जब अमेरिका के ट्रेड पॉलिसीज़ फिर से सख्त हो रही हैं, तो Tata के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है और इस झटके की गूंज सिर्फ UK या US तक सीमित नहीं है, इससे भारत की साख और रणनीतिक निवेश पर भी असर पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें: डोनाल्ड ट्रंप की वजह से जाने वाली है इन कंपनियों में काम करने वालों की नौकरी! लिस्ट में ये नाम सबसे ऊपर

Continue Reading

‘ट्रंप जो कर रहे हैं वह बेहद खतरनाक…’, सोशल मीडिया पर ट्रंप की आलोचनाओं का समर्थकों ने दिया जवाब- ‘मार्केट की हो रही रिकवरी’

Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाड ट्रंप की टैरिफ घोषणा के बाद शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार में भी भारी गिरावट दर्ज की गई. वॉल स्ट्रीट को अभी और नुकसान होने की संभावना है क्योंकि 2 अप्रैल को ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के बाद 4 अप्रैल को चीन ने इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी सामानों के आयात पर 34 परसेंट का टैरिफ लगा दिया है. एसएंडपी 500 कंपनियों का वैल्यूएशन 2.4 ट्रिलियन डॉलर घट गया. 

भारतीय शेयर बाजार का भी हाल बुरा

भारत में भी एनएसई निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स में गिरावट देखी गई क्योंकि ट्रेड वॉर की आशंकाओं के बीच निवेशक घबराए हुए हैं. सोशल मीडिया पर इस पर खूब चर्चाएं हो रही हैं. एक तरफ ट्रंप की नीतियों की आलोचना की जा रही है, वहीं ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (MAGA) के समर्थकों से भी जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है. 

स्टॉक मार्केट का एक्सपीरियंस सबसे बुरा

हिलेरी क्लिंटन और बराक ओबामा के साथ काम कर चुके हार्वर्ड के प्रोफेसर लॉरेंस एच. समर्स ने कहा कि आज शेयर बाजार में गिरावट शायद पिछले पांच सालों का सबसे बुरा अनुभव है. उन्होंने एक्स पर लिखा, ”आज स्टॉक मार्केट का एक्सपीरियंस बीते पांच सालों में सबसे बुरा रहा. आमतौर ऐसा तब होता है जब कोई बैंक दिवालिया हो जाता है या कोई महामारी आती है, कोई तूफान आता है या कोई देश कुछ करता है.” उन्होंने कहा, ”अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी जिन नीतियों पर गर्व करते हैं, उसी का जवाब है कि हमारे पास शेयर मार्केट का इस तरह का रेस्पॉन्स नहीं रहा है. यह हैरान कर देने वाला है, बेहद खतरनाक है.” 

ओबामा के लॉन्ग आइलैंड कैम्पेन के पूर्व अध्यक्ष जॉन कूपर ने कहा, बुधवार रात को ट्रंप के घोषित टैरिफ को लेकर चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद मार्केट में और गिरावट आ रही है. उन्होंने कहा कि ट्रंप का यह टैरिफ जितने लंबे समय तक प्रभावी रहेगा, अमेरिकी अर्थव्यवस्था को उतना ही अधिक नुकसान होगा और चीजों की कीमतें भी बढ़ेंगी. 

शेयर मार्केट की हो रही रिकवरी 

हालांकि, ट्रंप के समर्थक योर वॉयस स्टूडियो के सीईओ बिल मिशेल ने कहा कि शेयर इसलिए गिर रहे हैं क्योंकि दूसरे देशों को आर्थिक मदद देने में अमेरिकी टैक्सपेयर्स के पैसे का सहारा लिया गया था. उन्होंने एक्स पर लिखा, ”हकीकत यह है कि शेयर इसलिए गिर रहे हैं क्योंकि उन्हें यूक्रेन और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी)  के जरिए अमेरिकी टैक्सपेयर्स के पैसों से मदद दी गई थी. ट्रंप ने ‘New Money’ के इस टैप को काट दिया इसलिए ये ध्वस्त हो गए. बाइडेन अमेरिकी इकोनॉमी को बेहतर दिखाने की कोशिश में मार्केट को आर्टिफिशियली बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया. अब इसमें सुधार हो रहा है. दुनियाभर में लोग महंगाई का शेर मचा रहे हैं, जबकि अमेरिका को इसी कैंसर से बचाने के लिए यही कीमोथेरेपी जरूरी है.”

ये भी पढ़ें: 

ट्रंप के टैरिफ से वॉल स्ट्रीट में हड़कंप, 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट, डॉव जोन्स रिकॉर्ड 1600 अंक नीचे, 2 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान

Continue Reading

Ghibli से भरा मन तो अब AI से लोग बनाने लगे फेक आधार और पैन कार्ड, कैसे करें असली-नकली की पहचान?

ChatGPT: सोशल मीडिया पर Ghibli स्टाइल ईमेज बनाने का ट्रेंड अभी चल ही रहा है कि इस बीच एआई ऐप चैटजीपीटी पर बने फेक आधार और पैन कार्ड भी जबरदस्त तरीके से वायरल हो रहे हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि ये नकली पैन और आधार कार्ड दिखने में इतने असली लग रहे हैं कि इन्हें पहचानना मुश्किल हो रहा है. 

एआई ऐप चैटजीपीटी की मदद से बनाई गई ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्‍टमैन और टेस्‍ला व स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क के नकली पैन कार्ड की तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. और तो और लोगों ने प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ आर्यभट्ट तक को नहीं बख्शा, उनके भी पैन और आधार कार्ड बना डाले. इससे पता चलता है कि कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का किस कदर दुरुपयोग हो रहा है. भले ही लोग ट्रेंड को फॉलो करते हुए मजाक-मजाक में ऐसा कर रहे हैं, लेकिन ये चिंता करने वाली बात है. 

असली कार्ड जैसी दिख रही हैं तस्वीरें

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चैटजीपीटी आधार कार्ड जैसी तस्वीरें बना रहा है, जो असली कार्ड से काफी मिलती-जुलती है. हालांकि, कार्ड में कुछ टेक्स और नंबर में गड़बड़ी है. नकली कार्ड बनाने की एआई की कैपेसिटी ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है. इसी के साथ सिक्योरिटी रिस्क और एआई रेगुलेशन पर फोकस करने की जरूरत अब महसूस होने लगी है. सोशल मीडिया यूजर यशवंत साईं पलाघाट ने इस पर चिंता जताते हुए कहा, ”चैटजीपीटी फटाफट फेक आधार और पैन कार्ड बना रहा है, जो एक सीरियस सिक्योरिटी रिस्क है. एआई का इस्तेमाल एक हद तक होना चाहिए.” 

कैसे करें नकली और असली कार्ड की पहचान?

आधार कार्ड एक पहचान पत्र है, जो भारत सरकार द्वारा देश के हर नागरिक को जारी किया जाता है. इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है, जो व्यक्ति के biometric और demographic data से जुड़ा होता है. इसमें उसकी तस्वीर, नाम, जन्म तिथि, लिंग, पता और उंगलियों के निशान शामिल होते हैं.

इसी तरह से पैन कार्ड में भी 10-डिजीट का एक कोड होता है, जो हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है. आधार और पैन कार्ड का वेरिफिकेशन उसमें क्यूआर कोड की मदद से कर सकते हैं. एन्क्रिप्टेड डेटा होने की वजह से इसे सिर्फ सर्टिफाइड स्कैनर ही स्कैन कर सकेंगे. इससे यह सुनिश्चित होता है कि सिर्फ प्रामाणिक संस्थाएं ही पैन का वेरिफिकेशन कर सकेंगी.   

ये भी पढ़ें: 

क्या है वो लाइफटाइम स्मार्ट कार्ड, जिसे DTC में फ्री सफर के लिए दिल्ली की महिलाओं को अब लेना होगा

Continue Reading

जिसका था डर वही हुआ- अब चीन ने किया अमेरिका पर पलटवार, हर अमेरिकी सामान पर वसूलेगा 34 परसेंट टैरिफ

China Tariff on America: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ पर अब चीन ने भी पलटवार कर दिया है. अब चीन भी 10 अप्रैल से अमेरिका से आयात होने वाले सामानों पर 34 परसेंट टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है. इसी के साथ चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने 11 अमेरिकी कंपनियों को अपनी ‘अनरिलायबल एंटिटी’ की लिस्ट में शामिल किया है. यानी कि गैर भरोसेमंद करार दिया है. ये कंपनियां अब चीन में या चीनी कंपनी के साथ बिजनेस नहीं कर पाएंगी. 

इन चीजों के एक्सपोर्ट पर चीन ने लगाई रोक

इतना ही नहीं, मंत्रालय ने अमेरिका को सात ऐसे दुर्लभ और हैवी मैटेलिक एलिमेंट्स के एक्सपोर्ट को रोकने के लिए एक लाइसेंसिंग सिस्टम को भी लागू किया है. इन तत्वों की माइनिंग चीन में होती है और चीन में ही इसे प्रॉसेस करने का भी काम किया जाता है. इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्ट बमों तक हर चीज में किया जाता है.

वाणिज्य मंत्रालय ने यह भी घोषणा की कि चीन मेडिकल इमेजिंग इक्विपमेंट्स के अमेरिकी निर्यात को लेकर भी जांच शुरू कर दी है, यह उन कुछ मैन्युफक्चरिंग कैटेगरी में से है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका प्रतिस्पर्धी बना हुआ है. इसके अलावा, चीन अमेरिका से चिकन और ज्वार के आयात पर भी रोक लगा देगा. 

किसे होगा ज्यादा नुकसान?

हालांकि, चीन के इस नए टैरिफ का असर ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के मुकाबले कुछ कम होगा क्योंकि चीन खरीदने से ज्यादा अमेरिका को चीजें बेचता है. पिछले साल चीन ने 147.8 बिलियन डॉलर के अमेरिकी सेमीकंडक्टर, जीवाश्म ईंधन, कृषि उत्पाद और अन्य प्रोडक्ट्स खरीदे. अमेरिका को 426.9 बिलियन डॉलर के स्मार्टफोन, फर्नीचर, खिलौने जैसे कई और प्रोडक्ट बेचे. मेक्सिको के बाद चीन अमेरिका से सबसे ज्यादा चीजें मंगाता है. कनाडा और मेक्सिको के बाद चीन का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट अमेरिका है. हालांकि, ट्रंप ने जहां सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्री को टैरिफ से बाहर रखा है, चीन ने टैरिफ में कोई छूट नहीं दी है. 

ये भी पढ़ें:

अमेरिकी टैरिफ का मुकाबला करने के लिए भारत ने बनाया ये खास प्लान, ट्रंप भी जानकर रह जाएंगे हैरान

Continue Reading

Bank Holiday: कल बैंक खुला है या बंद? RBI ने कर दिया यह ऐलान, इस राज्य में दे दी छुट्टी

Bank Holiday: भारतीय रिजर्व बैंक देश के सभी राज्यों के लिए हर साल बैंक हॉलिडे लिस्ट जारी करता है, जिसमें बैंकों के लिए पूरी साल के आधिकारिक छुट्टियों का जिक्र होता है. अलग-अलग शहरों के लिए छुट्टियों की लिस्ट भी अलग हो सकती है. अब सवाल यह आता है कि क्या कल यानी कि 5 अप्रैल, 2025 को बैंकों की छुट्टी रहेगी या नहीं? ये कनफ्यूजन इसलिए हो रहा है क्योंकि कल महीने का पहला शनिवार है और अष्ठमी भी है. ऐसे में आपको बता दें कि कल बैंक बंद तो रहेंगे, लेकिन पूरे देश में नहीं, बल्कि सिर्फ एक राज्य में बैंकों की छुट्टी रहेगी. 

सिर्फ इस राज्य में कल बैंक रहेंगे बंद

कल तेलंगाना में बैंक बंद रहेंगे क्योंकि कल 5 अप्रैल को तेलंगाना में बाबू जगजीवन राम की जयंती मनाई जाएगी. इसके चलते तेलंगाना में बैंकों की छुट्टी रहेगी. दूसरे सभी राज्यों में बैंक खुले रहेंगे. बता दें कि भारत के पूर्व उप मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री रह चुके बाबू जगजीवन राम को दलितों, गरीबों व समाज के वंचित समुदाय का मसीहा माना जाता था. वह दलित समाज के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिन्होंने न केवल उनके लिए आवाज उठाई, बल्कि उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में भी शामिल किया. 

6 अप्रैल को बैंक हॉलिडे

6 अप्रैल को राम नवमी के त्योहार के चलते देश भर में सभी बैंक बंद रहेंगे. हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार होने के चलते इस दिन मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाएगी. रामनवमी के दिन मां सिद्धिदात्री के साथ भगवान राम की भी पूजा की जाती है. हालांकि, बैंक हॉलिडे होने के बाद भी आप बैंक के कामकाज के लिए ऑनलाइन बैंकिंग या नेट बैंकिंग की मदद ले सकते हैं. इसके अलावा, एटीएम या यूपीआई का भी इस्तेमाल पैसों के लेनदेन के लिए कर सकेंगे. 

ये भी पढ़ें:

जिसका था डर वही हुआ- अब चीन ने किया अमेरिका पर पलटवार, हर अमेरिकी सामान पर वसूलेगा 34 परसेंट टैरिफ

Continue Reading

ट्रंप के टैरिफ से वॉल स्ट्रीट में हड़कंप, 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट, डॉव जोन्स रिकॉर्ड 1600 अंक नीचे, 2 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान

अमरेकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से लगाए गए दुनियाभर के देशों पर टैरिफ का सीधा असर वॉल स्ट्रीट पर दिखा, जहां गुरुवार को जबरदस्त विकवाली दिखी. ट्रंप के इस फैसले से ट्रेड वॉर और आर्थिक मंदी के संकट का खतरा अब मंडराने लगे हैं. इसका सबसे बुरा असर खुद अमेरिकी शेयर बाजारों पर हुआ. वैश्विक वित्त बाजार में चिंताओं के बीच कोविड-19 के बाद ऐसे पहली बार हुआ जब अमरेकी शेयर बाजार का ये हाल हुआ है. 

एक तरफ जहां S&P 500 इंडेक्स करीब 4.8% गिर गया, जो जून 2020 के बाद एक दिन में इतनी बड़ी गिरावट है. इस गिरावट से बाजार को करीब 2.4 ट्रिलियन डॉलर यानी 200 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है.

इसके अलावा, डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज और नैस्डक कंपोजिट भी वही गिरवट देखी गई, जो कोरोना महामारी के वक्त 2020 में देखी गई थी. डॉउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 4% 1679 अंक और नैस्डेक कंपोजिट में 6% की गिरावट हुई.

लड़खड़ाया वॉल स्ट्रीट

 टैरिफ के बाद कमजोर आर्थिक रफ्तार और महंगाई के आशंका के बीच वॉल स्ट्रीट लड़खड़ाता हुआ नजर आया. बड़ी टेक कंपनियों और क्रूड ऑयल के लेकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले में अन्य करेंसी तक, सभी में गिरावट का दौर जारी रहा. एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, हालांकि सोना की कीमत में इजाफा हुआ और निवेशकों को इसमें पैसा लगाना सबसे बेहतर लगा. 

हालांकि, ये जरूर था कि वैश्विक निवेशक ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के पूरी तरह से भलीभांति वाकिफ थे. इसलिए S&P 500 इंडेक्स की सेहत पर इसका साफ असर दिखा और इसमें रिकॉर्ड 10% की गिरावट दर्ज हुई.

सेंचुरी वेल्थ में चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर मैरी एन बार्टल्स ने कहा कि ये गौर करने वाली बात है कि इन हालातों के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ने टैरिफ से गंभीर स्थिति पैदा करते हैरान कर दिया है. ट्रंप ने दुनिया के सभी देशों पर अमेरिका में आयातित सामानों पर कम से कम 10% का टैरिफ लगाया है. जबकि, चीन, यूरोपीय यूनियन, भारत और कंबोडिया समेत कई अन्य देशों के लिए ये टैरिफ की दरें बहुत ज्यादा है.

मंदी की आहट

एक्सपर्ट्स लगातार इस बात की आशंका जता रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम से दुनियाभर में मंदी छा सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर कोई देश प्रोडक्शन करेगा और अमेरिका एक्सपोर्ट करने पर वो सामान महंगा होगा, तो फिर उसकी डिमांड कम हो जाएगी. अमेरिका के टैरिफ के जवाब में दुनियाभर के दूसरे देश भी टैरिफ लगाएंगे. ऐसे में न सिर्फ उन सामानों का प्रोडक्शन रुकेगा, बल्कि महंगाई बढ़ जाएगी, मंदी आएगी और बेरोजगारी बढ़ जाएगी. 

ये भी पढ़ें: ट्रंप के टैरिफ पर RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की बड़ी भविष्यवाणी, बोले- यूएस ने कर लिया सेल्फ गोल

Continue Reading

यूएस स्टॉक में हाहाकार के बाद गिरा भारतीय बाजार, 800 अंक टूटा सेंसेक्स, निफ्टी में भी गिरावट

अमेरिका टैरिफ का असर दूसरे दिन भी भारतीय बाजारों पर दिख रहा है. लगातार दूसरे दिन और कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स करीब 800 अंक से ज्यादा नीचे फिसल गया. जबकि निफ्टी में भी करीब 300 प्वाइंट्स की गिरावट आयी है. इसी तरह से शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट दिखी. रुपये अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.99 पर पहुंच गया. इसे एक दिन पहले भी सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट दिखी थी.   

एक दिन पहले भारतीय बाजारों में भारी गिरावट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत समेत 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा के बाद सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) शेयरों में बिकवाली तथा वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख से बाजार नुकसान में रहा। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 322.08 अंक यानी 0.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76,295.36 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान एक समय यह 809.89 अंक तक लुढ़क गया था.

हालांकि, बाद में औषधि शेयरों में तेजी से बाजार नुकसान की कुछ हद तक भरपाई करने में सफल रहा. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 82.25 अंक यानी 0.35 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,250.10 अंक पर बंद हुआ. निफ्टी एक समय 186.55 अंक तक लुढ़क गया था. 

अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत उच्च आयात शुल्क वसूलता है, ऐसे में अब देश के व्यापार घाटे को कम करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क दरों का मुकाबला करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए लगभग 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है.

वॉल स्ट्रीट पर जबरस्त असर

दूसरी तरफ अमेरिकी बाजार पर भी टैरिफ का बड़ा असर दिख रहा है. ट्रंप के इस फैसले से ट्रेड वॉर और आर्थिक मंदी के संकट अब मंडराने लगे हैं और इसका सबसे बुरा असर खुद अमेरिकी शेयर बाजारों पर हुआ. वैश्विक वित्त बाजार में चिंताओं के बीच कोविड-19 के बाद ऐसे पहली बार हुआ जब अमरेकी शेयर बाजार का ये हाल हुआ है. 

एक तरफ जहां S&P 500 इंडेक्स करीब 4.8% गिर गया, जो जून 2020 के बाद एक दिन में इतनी बड़ी गिरावट है. इस गिरावट से बाजार को करीब 2.4 ट्रिलियन डॉलर यानी 200 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है. इसके अलावा, डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज और नैस्डक कंपोजिट भी वही गिरवट देखी गई, जो कोरोना महामारी के वक्त 2020 में देखी गई थी. डॉउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 4% 1679 अंक और नैस्डेक कंपोजिट में 6% की गिरावट हुई.

 टैरिफ के बाद कमजोर आर्थिक रफ्तार और महंगाई के आशंका के बीच वॉल स्ट्रीट लड़खड़ाता हुआ नजर आया. बड़ी टेक कंपनियों और क्रूड ऑयल के लेकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले में अन्य करेंसी तक, सभी में गिरावट का दौर जारी रहा. एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, हालांकि सोना की कीमत में इजाफा हुआ और निवेशकों को इसमें पैसा लगाना सबसे बेहतर लगा. 

हालांकि, ये जरूर था कि वैश्विक निवेशक ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के पूरी तरह से भलीभांति वाकिफ थे. इसलिए S&P 500 इंडेक्स की सेहत पर इसका साफ असर दिखा और इसमें रिकॉर्ड 10% की गिरावट दर्ज हुई.

ये भी पढ़ें: ट्रंप के टैरिफ पर RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की बड़ी भविष्यवाणी, बोले- यूएस ने कर लिया सेल्फ गोल

Continue Reading