Chaitra Navratri 2025: क्या नवरात्रि में उपवास रखने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है?

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Chaitra Navratri Vrat 2025: सत्य सनातन धर्म में व्रत का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान होता है, व्रत से मनुष्य की अन्तरात्मा शुद्ध होती है. इससे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रता की वृद्धि होती है; अकेला एक उपवास सैकड़ों रोगों का संहार करता है, नियमतः व्रत तथा उपवासों के पालन से उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घजीवन की प्राप्ति होती है- यह सर्वथा निर्विवाद है.

‘व्रियते स्वर्गं व्रजन्ति स्वर्गमनेन वा’ – जिससे स्वर्गमें गमन अथवा स्वर्गका वरण होता हो (पृषोदरादि) – इस अर्थ में ‘व्रत’ शब्दकी निरुक्ति होती है. ‘निरुक्त’ में व्रत का अर्थ सत्कर्मानुष्ठान तथा उस क्रिया से निवृत्ति कहा गया है. अमरसिंह आदि कोषनिर्माताओं, निबन्धकारों तथा दूसरे व्याख्याताओं ने व्रत का अर्थ उपवासादि पुण्य नियमों का ग्रहण बतलाया है.

‘नियमो व्रतमस्त्री तच्चोपवासादि पुण्यकम्’ (Source – व्रत परिचय)

‘शब्दरत्नावली’ कार संयम और नियम को व्रत का समानार्थक मानते हैं. वाराह पुराण में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और सरलता को मानसिक व्रत; एकभुक्त, नक्तव्रत, निराहारादि को कायिक व्रत तथा मौन एवं हित, मित, सत्य, मृदु भाषण को वाचिक व्रत कहा गया है.

व्रत रखने का वैज्ञानिक पक्ष:–

चलिए अब वैज्ञानिक पक्ष पर दृष्टि डालते हैं. हम आज के युग के अनुसार सोचते हैं. हम प्रत्येक माह के 30 दिनों तक तामसिक भोजन का ही आहार ग्रहण करते हैं, जिसके कारण शारीर रोग ग्रस्त होता है और हमारी आयु भी कम होती है. हर माह में दो एकादशी आती है, मासिक शिवरात्रि आती है, और भी कई पर्व हर माह में जुड़े होते हैं.

इसके अलावा वर्ष में ४ प्रमुख नवरात्र आती हैं –चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ माह में आती हैं।इसलिए ऋषियों ने बहुत ही अच्छा और सरल उपाय बताया है अपनी आयु में वृद्धि लाने का और अध्यात्म की ओर रुचि बढ़ाने का. आप जितने व्रत रखेंगे उतना ही आपका शरीर सात्विक होगा.

क्योंकि व्रत के समय हम कंद-मूल आदि ही खाते हैं जोकि हमारे शरीर के लिए पौष्टिक होते हैं, वह तामसिक भोजन नहीं होता है. जितने भी पर्व है उसमें व्रत रख लिया तो आपके लिए वास्तव में एक तरह से आपकी शुद्ध हो जाती है. शरीर को भी Detoxify (विषहरण) करना जरूरी है, व्रत उसके लिए सबसे अच्छा उपाय है. व्रत रखने से आपकी आयु भी बढ़ती है और तो और आपके अध्यात्म दर्शन की भी वृद्धि होती है.

इसलिए आप 9 दिवस आवश्य व्रत रखें ताकी आपका धार्मिक पक्ष के साथ ही साथ आपका शारीरिक पक्ष भी मजबूत होगा.

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