सिर्फ 2 साल में इस कंपनी की लंगी लका, 2390 रुपये से टूटकर 59 पर आया शेयर, अब होगी दिवालिया

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Insolvency Plea Against Gensol: पैसे की हेरा-फेरी में फंसी जेनसोल अब दिवालिया की कगार पर पहुंच चुकी है. भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) ने इस बारे में बुधवार को कहा कि उसने संकट में फंसी जेनसोल इंजीनियरिंग के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में दिवालियापन (Insolveny) के लिए याचिका दायर की है.

ऐसा पहली बार देखा जा रहा है जब किसी कर्जदाता की ओर से जेनसोल के खिलाफ इस तरह की कानूनी कार्रवाई को लेकर एक्शन लिया है. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली IREDA ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया है कि 14 मई, 2025 को जेनसोल इंजीनियरिंग लि. के खिलाफ दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा सात के तहत एक आवेदन दायर किया गया है.

दिवालिया होगी जेनसोल!

इस कंपनी का शेयर 2023 में रिकॉर्ड 2390 रुपये था, जो दो साल में टूककर 59 रुपये पर आ पहुंचा है. इस कंपनी के दिवालियपन की खबर के बाद इसके शेयर में और गिरावट आ सकती है. जेनसोल इंजीनियरिंग सूचीबद्ध कंपनी है और उसे करीब 510 करोड़ रुपये की चूक की है. IREDA ने बताया है कि कंपनी के खिलाफ 510 करोड़ रुपये का अभी बकाया है. इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद के लिए ये पैसा दिया गया था. सेबी की तरफ से जांच में पता चला कि जेनसोल इंजीनियरिंग के जग्गी बंधुओं ने कर्ज के इन पैसों को अपनी शौक सुविधाओं के ऊपर खर्च किया.  

इसके बाद बाजार नियामक सेबी ने पिछले महीने एक अंतरिम आदेश में, फंड की हेराफेरी और ऑपरेशन में चूक मामले में जेनसोल इंजीनियरिंग और प्रवर्तकों… अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी… को अगले आदेश तक प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया था. शेयर बाजार को दी गयी सूचना के अनुसार, 12 मई को सेबी के अंतरिम आदेश के बाद जग्गी भाइयों ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया. इस बीच, जेनसोल इंजीनियरिंग ने बुधवार को कहा कि प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने उसकी अपील का निपटान कर दिया है. 

हेराफेरी के बाद हुआ एक्शन

हालांकि, कंपनी को सेबी के अंतरिम आदेश पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दे दी है, जिसमें कंपनी और उसके प्रवर्तकों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित किया गया था. कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि सैट के समक्ष उसके द्वारा दायर अपील का निपटारा कर दिया गया है. उसे दो सप्ताह के भीतर सेबी के अंतरिम आदेश पर अपना जवाब दाखिल करने का अवसर मिल गया है.

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