Khatu Shyam: खाटू श्याम जी को अर्जी कैसे लगाई जाती है?

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Khatu Shyam: राजस्थान में खाटू श्याम बाबा की महीमा अपरंपार है. बाबा श्याम के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं. कहते हैं ना भगवान इंसान के आडंबर नहीं बल्कि भाव के भूखे हैं. जो सच्चे मन से खाटू नरेश की पूजा करता है उनकी मनोकामना जल्द पूरी होने की मान्यता है.

खाटू वाले श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है, मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की झोली कभी खाली नहीं रहती है. खाटू श्याम जी में अरदास लगाने का तरीका भी अनोखा है. आखिर कैसे लगाई जाती है खाटू श्याम जी से अर्जी.

खाटू श्याम जी से अर्जी कैसे लगाई जाती है ?

खाटू श्याम जी में कोई शीश झुकाकर, कोई मन्नत का धागा बांधकर तो कोई अपनी मुराद पर्ची पर लिखकर यहां बाबा को चढ़ाता है. सबसे अनोखा तरीका है पर्ची वाला. बाबा श्याम के नाम भक्तों के पत्र बड़ी संख्या में यहां आते हैं.

इसके लिए एक सफेद कोरा कागज लें. एक नए लाल रंग के पेन से श्रीश्याम लिखें और फिर नीचे अपनी अर्जी लिखें.
अर्जी पर श्‍याम भक्‍त अपना नाम जरुर लिखें.
अर्जी लिखने के बाद कलावा या मौली से इसे एक सूखे नारियल के साथ बांध दें. अब इस नारियल को खाटू श्याम के दरबार में चढ़ा दें.
अगर आप किसी कारणवश मंदिर नहीं जा पा रहे हैं, तो किसी दूसरे व्यक्ति से अर्जी भिजवा सकते हैं या फिर किसी श्याम मंदिर में चढ़ा दें.

खाटू श्याम जी को क्यों कहते हारे का सहारा

खाटू श्याम जी और कोई नहीं बल्कि भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे हैं. इनका नाम बर्बरीक है. जो वीर योद्धा थे. महाभारत युद्ध के समय वो युद्ध में शामिल होना चाहते थे.बर्बरीक ने मां से कहा कि वे युद्ध में उसी का साथ देंगे जो लड़ाई हार रहा होगा. यही वजह है कि उन्हें हारे का सहारा कहा जाता है. श्रीकृष्ण जानते थे कि बर्बरीक जिस पक्ष से लड़ेंगे उसकी जीत जरूर होगी. ऐसे में कृष्ण भगवान ने उन्हें रोकने के लिए साधू का भेष बनाकर उनसे दान में उनका शीश लेने की बात कही. बर्बरीक ने उन्हें शीश दे दिया, जिसके बाद श्री कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में तुम मेरे नाम से जाने और पूजे जाओगे.

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