कई रिसर्च में सामने आ चुका है कि 24 घंटे तक भोजन नहीं करने से शरीर में कई पॉजिटिव बदलाव देखने को मिलते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस पद्धति से कैंसर के खतरे को भी टाला जा सकता है?
24 घंटे तक कुछ नहीं खाने से क्या होता है फायदा?
24 घंटे तक कुछ नहीं खाने को अक्सर इंटरमिटेंट फास्टिंग के रूप में जाना जाता है. इस दौरान शरीर को तय वक्त के लिए खाने से दूर रखा जाता है. ऐसे में एनर्जी के लिए बॉडी में मौजूद ग्लूकोज और फैट इस्तेमाल होती है, जिससे कई जैविक और मेटाबॉलिक प्रक्रियाएं शुरू होती हैं. 24 घंटे तक कुछ भी नहीं खाने से शरीर में ऑटोफैजी नामक सेलुलर सफाई प्रक्रिया शुरू होती है. इस प्रोसेस में सेल्स शरीर में मौजूद डैमेज और गैरजरूरी घटकों को तोड़ती हैं और उन्हें दोबारा इस्तेमाल करती हैं. इससे नई सेल्स बनती हैं.
बता दें कि ऑटोफैजी पर जापानी वैज्ञानिक योशिनोरी ओसुमी ने रिसर्च की थी, जिसके लिए उन्हें 2016 में नोबेल पुरस्कार मिला था. उन्होंने दिखाया कि यह प्रक्रिया कैंसर-रोधी प्रभाव और न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारियों से बचाव में मददगार हो सकती है.
इन चीजों में मिलता है आराम
क्रॉनिक इंफ्लेमेशन (लंबे समय तक चलने वाली सूजन) हार्ट डिजीज, कैंसर और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का प्रमुख कारण है. 24 घंटे तक कुछ नहीं खाने से CRP और IL-6 जैसे सूजन मार्करों में कमी आती है, जिससे शरीर में सूजन का लेवल घटता है. वहीं, इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर का लेवल नियंत्रित रहता है. यह टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम करता है, जिसका कनेक्शन कैंसर के कुछ प्रकारों से होता है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान कैलोरी की मात्रा सीमित हो जाती है, जिससे बॉडी में मौजूद फैट का इस्तेमाल एनर्जी के लिए होता है. इससे वजन घटाने में मदद मिलती है. फास्टिंग से दिमाग का वर्कप्रोसेस भी अच्छा होता है, जिससे फोकस, एकाग्रता और याददाश्त बेहतर होती है.
फास्टिंग से कैंसर के खतरे पर असर
पूरी दुनिया में मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह कैंसर है. कई रिसर्च में फास्टिंग और कैंसर के बीच के कनेक्शन को दिखाया गया है. जर्मनी के शोध संस्थानों और इटली के वैज्ञानिक डॉ. वाल्टर लोंगो की स्टडी में सामने आया कि फास्टिंग से कैंसर कोशिकाओं का डिवेलपमेंट धीमा हो सकता है. द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में पब्लिश स्टडी के मुताबिक, इंटरमिटेंट फास्टिंग लिम्फोमा के डिवेलपमेंट को कम कर सकती है. वहीं, ऑटोफैजी प्रोसेस भी कैंसर सेल्स के डिवेलपमेंट को रोकने में अहम भूमिका निभाता है.
ये भी पढ़ें: दवा लेने के बाद भी बिगड़ रही तबीयत… चपेट में तो नहीं ले रहा AMR, जानें कितनी खतरनाक है यह स्थिति?
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.