Chaitra Navratri 2025: मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र और व्रत नियम यहां जानिए

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Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना की जाती है. यह दिन साधकों के लिए अत्यंत शुभ होता है, क्योंकि माँ कात्यायनी शक्ति और पराक्रम की देवी मानी जाती हैं.  देवी दुर्गा के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को सभी तरह के भय और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. इस लेख में हम आपको मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र और व्रत नियम के बारे में बताएंगे. 

मां कात्यायनी का स्वरूप और महत्व

मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन की तपस्या से हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. ये चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके एक हाथ में तलवार और दूसरे में कमल होता है.  इनका वाहन सिंह है और इनका स्वरूप तेजस्वी तथा स्वर्ण के समान चमकता है. मां कात्यायनी की पूजा करने से दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है, साथ ही विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं. 

मां कात्यायनी की पूजा विधि

1. स्नान और संकल्प: प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और माँ कात्यायनी की पूजा करने का संकल्प लें. 

2. मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें: पूजास्थल को गंगाजल से शुद्ध कर माँ कात्यायनी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. 

3. आवाहित करें: माँ को आसन देकर जल, अक्षत (चावल), पुष्प और रोली चढ़ाएं. 

4. सिंदूर और वस्त्र अर्पित करें: माँ को लाल रंग प्रिय है, इसलिए उन्हें लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें. 

5. फूल-माला और प्रसाद अर्पण: देवी को गेंदा या गुलाब के फूल चढ़ाएं और गुड़ या शहद का भोग लगाएं. 

6. धूप-दीप जलाएं: धूप, दीप जलाकर माँ की आरती करें और मंत्रों का जाप करें. 

7. कथाओं का पाठ करें: माँ कात्यायनी से जुड़ी कथा पढ़ें या सुनें. 

8. भोग वितरण करें: पूजा के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित करें और व्रत का पारण करें. 

मां कात्यायनी के मंत्र

बीज मंत्र: ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा.

ध्यान मंत्र: चन्द्रहासोज्ज्वल कराऽशार्दूलवर वाहन

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानव घातिनी. . 

कात्यायनी महामंत्र: कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरी.

 नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः

व्रत और उपवास नियम

व्रतधारी को पूरे दिन निराहार रहना चाहिए या फलाहार करना चाहिए. 
सात्विक भोजन करें और तामसिक चीजों (लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा) से परहेज करें. 
मन, वाणी और कर्म से शुद्ध रहें. 
माँ कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें. 
कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लें. 

मां कात्यायनी की कृपा से मिलने वाले लाभ

विवाह में आ रही अड़चनों का समाधान होता है. 
भय और नकारात्मकता दूर होती है. 
रोगों से मुक्ति मिलती है. 
कार्यों में सफलता मिलती है. 
जीवन में सुख, समृद्धि और शक्ति प्राप्त होती है.

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