Brain Alert: हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया है कि मुंह और आंत में पाए जाने वाले कुछ बैक्टीरिया पार्किंसंस रोग से जूझ रहे लोगों की याददाश्त और सोचने की क्षमता को और भी अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं. यह रिसर्च लंदन के किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया.
पार्किंसंस की पहचान में बैक्टीरिया कैसे मदद कर सकते हैं
शोधकर्ताओं का मानना है कि आंत में मौजूद बैक्टीरिया में बदलाव इस बीमारी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. क्योंकि पार्किंसंस की शुरुआत में इसका पता लगाना मुश्किल होता है, इसलिए माइक्रोबायोम में होने वाले ये बदलाव डॉक्टरों को समय पर बीमारी पहचानने और इलाज शुरू करने में मदद कर सकते हैं.
कैसे करते हैं बैक्टीरिया मस्तिष्क को नुकसान
डॉ. सईद शोए बताते हैं कि मुंह और आंत के बैक्टीरिया दिमागी बीमारियों को प्रभावित करते हैं. इन बैक्टीरिया के असंतुलन से शरीर में सूजन हो सकती है और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है.
रिसर्च में कैसे किया गया विश्लेषण
‘गट माइक्रोब्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस रिसर्च में 228 लोगों के लार और मल के नमूनों की जांच की गई. इनमें पार्किंसंस के दो समूह थे — एक में हल्की मानसिक समस्याएं थीं और दूसरे में डिमेंशिया था. तुलना करने पर पाया गया कि जिन मरीजों की मानसिक स्थिति अधिक बिगड़ चुकी थी, उनकी आंत में ज्यादा हानिकारक बैक्टीरिया मौजूद थे, जो संभवतः मुंह से आंत में पहुंचे थे. इस प्रक्रिया को ‘ओरल-गट ट्रांसलोकेशन’ कहा जाता है.
AI की मदद से पहचान और इलाज
रिसर्च में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर इन बैक्टीरिया और उनके द्वारा बनाए गए जहरीले पदार्थों की पहचान की गई. डॉ. फ्रेडरिक क्लासेन के अनुसार, यह अभी साफ नहीं है कि बैक्टीरिया रोग का कारण हैं या उसका परिणाम, लेकिन इतना निश्चित है कि वे लक्षणों को और अधिक गंभीर बना सकते हैं. यह खोज भविष्य में इलाज के नए रास्ते खोल सकती है.
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