RCB vs PBKS: 3 जून को फाइनल में किसके सिर सजेगा IPL 2025 का ताज? ज्योतिष की भविष्यवाणी से जानें

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न हि कर्मणामानारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते. न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति” गीता का यह श्लोक बताता है कि सफलता केवल कर्म से ही प्राप्त होती है, लेकिन जब ग्रह और नक्षत्र अनुकूल हों, तब यही सफलता चमत्कार बन जाती है.

3 जून 2025 को IPL 2025 का फाइनल मुकाबला रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) और पंजाब किंग्स (PBKS) के बीच होना है. क्रिकेट प्रेमियों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार है, लेकिन कौन जीतेगा खिताब? इसका उत्तर ढूंढने के लिए सितारों की चाल को देखते हैं, जो बड़े ही रोचक संकेत दे रहे हैं.

3 जून 2025 का पंचांग
धार्मिक दृष्टि से कल का दिन विशेष है. 3 जून को ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रात 9:26 बजे तक रहेगी इसके बाद नवमी तिथि आरंभ होगी. विशेष बात ये है कि इस दिन मंगलवार है और चौथा बड़ा मंगल भी है. इस दिन नक्षत्र पूर्वा फाल्गुनी होगा और वज्र योग रहेगा. चंद्रमा को गोचर सिंह राशि में होगा.

मुकाबला: RCB बनाम PBKS, ज्योतिषीय विश्लेषण

मुकाबला: RCB बनाम PBKS
तारीख: 3 जून 2025
समय: शाम 7:30 से
स्थान: अहमदाबाद

ग्रहों की स्थिति से PBKS अधिक मजबूत नजर आ रही है, लेकिन अप्रत्याशित घटनाएं निर्णायक रहेंगी. कप्तानों की कुंडली के अनुसार RCB के कप्तान रजत पाटीदार की राशि तुला है. इस फाइनल में रजत का सितारा बुलंद है. राशि का स्वामी शुक्र ग्रह , मंगल की राशि मेष में गोचर कर रहा है, जिसका संबंध खेल से है. यहां पर यह संयोग नेम और फेम दोनों देते दिख रहे हैं.

वहीं PBKS के कप्तान श्रेयस अय्यर, जिनका जन्म 6 दिसंबर 1994, मुंबई में हुआ है उनकी राशि धनु है. गुरु और राहु के प्रभाव के कारण मानसिक दबाव लेकिन अप्रत्याशित फैसले लेने वाला बना रहा है. उलझाव और अस्थिरता से बचना होगा. लेकिन सामूहिक प्रयास और टीम भावना के चलते बाजी पलटने के भी योग बन रहे हैं. क्योंकि गुरु अच्छी लीडरशिप का भी कारक है.

टीमों की स्थापना और गोचर प्रभाव को देखें तो RCB जिसकी शुरुआत 20 मार्च 2008 हुआ. ये टीम गुरू के प्रभाव में है. वर्तमान में गुरु का गोचर मिथुन में हो रहा है. वहीं PBKS जिसकी डेट 25 फरवरी 2008 है और ये शनि के प्रभाव में है. लेकिन वर्तमान में शनि की ढैय्या के प्रभाव से मुक्त है.

ज्योतिष ग्रंथ फलदीपिका के अनुसार ‘गुरौ स्थिते कर्मसु सिद्धिरिष्टा, शनौ स्थिते दुःखमुपैति मानवः.’ अर्थात जब गुरु शुभ भाव में हो और शनि पीड़ा कारक भाव में हो, तो सफलता गुरु के ही पक्ष में जाती है. लेकिन यहां देखने वाली बात ये हैं कि वर्तमान में शनि गुरु की ही राशि मीन में गोचर कर रहे हैं.

ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार ‘शिष्यः शनैश्चरः प्रोक्तो गुरोः प्रियकरः सदा’ अर्थात शनि को गुरु का शिष्य कहा गया है और वे सदैव गुरु के प्रति विनीत रहते हैं. वहीं गुरु ज्ञान, धर्म, नीति और आस्था के कारक हैं और शनि तप, न्याय, संयम और करुणा के कारक माने जाते हैं.

बृहत पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार ‘गुरौ च शनिना युक्ते स्वगृहे वा सुवर्चसा, धनप्रदः सदा ज्ञेयः शुभदृश्यः सुखावहः’ यानि जब गुरु और शनि एक ही राशि में हों, विशेषकर गुरु की राशि में, तो यह योग धर्म, धन और शुभ फलों को जन्म देता है.

ऐसी ही कुछ स्थिति फाइनल मैच के दिन बनती दिख रही है. दोनों ही टीमें अपना बेस्ट करने के लिए मैदान में उतरेंगी. ग्रहों की चाल कैसी भी हो लेकिन अंततः मैदान पर प्रदर्शन ही निर्णायक रहेगा. कर्म की शक्ति, भाग्य से बड़ी मानी गई है. इसे भी ध्यान में रखना चाहिए.

Disclaimer: यह विश्लेषण मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत है. इसमें किए गए निष्कर्ष संभावित हैं, निश्चित नहीं.

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