Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत में क्या एक लोटा जल चढ़ाने से ही भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं?

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Pradosh Vrat 2025: देवों के देव महादेव शिवजी बहुत ही दयालु और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं. इसलिए इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है. भोलेनाथ की पूजा के लिए कई दिनों में त्रयोदशी तिथि भी एक है, जिसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत कहते हैं.

मार्च महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज 11 मार्च 2025 को है. इसलिए आज के दिन प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है. अगर त्रयोदशी तिथि मंगलवार को पड़े तो इसे भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

क्या सच में एक लोटा जल चढ़ाने से महादेव प्रसन्न होते हैं

शिवजी ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा सरल और कठिन विधि से भी होती है. लेकिन महादेव उन्हीं भक्तों की पूजा से प्रसन्न होते हैं जो सच्चे मन और श्रद्धाभाव से पूजन करते हैं. इसलिए कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से एक लोटा शुद्ध जल भी महादेव को अर्पित कर देता है, उससे वे प्रसन्न हो जाते हैं.

आखिरी क्यों शिव को प्रिय है जल

भगवान शिव को आप चाहे कितनी भी पूजा सामग्री क्यों न चढ़ा दें, जल के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शिवजी को जल इतना प्रिय क्यों है. इसके पीछे समुद्र मंथन की पौराणिक कथा जुड़ी है. जिसके मुताबिक, जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया गया तब समुद्र से 14 बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए, जिसमें हलाहल विष भी एक था, जिसका पान शिवजी ने कर लिया, जिससे कि सृष्टि की रक्षा हो सके.

हलाहल विष का पान करने के बाद शिवजी के शरीर में जलन होने लगी. ताप को कम करने के लिए देवताों ने उनपर निरंतर जल चढ़ाया, जिससे ताप कम हुआ. इसके बाद से ही शिव जी को जल अतिप्रिय है और कहा जाता है कि महादेव एक लौटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं.

इन 5 तरीकों से चढ़ाएं शिवलिंग पर जल

पहला तरीका
एक लोटा शुद्ध जल लेकर शिवलिंग के शीश पर धीरे-धीरे चढ़ाएं.

दूसरा तरीका
उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.

तीसरा तरीका
अशोक सुंदरी से लेकर शिवलिंग के शीश तक जल चढ़ाएं.

चौथा तरीका
पहले गणेश जी, कार्तिकेय, अशोक सुंदरी, जलाधारी में जल चढ़ाने के साथ शिवलिंग के कटी भाग में पूरा गोल घुमाकर शीश में जल चढ़ाएं.

पांचवा तरीका
ऊपर जलाधारी भाग से लेकर शिवलिंग तक जल चढ़ाएं.

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