इन लार्ज कैप म्यूचुअल फंड ने दिया निवेशकों को तगड़ा रिटर्न, आप भी उठा सकते हैं लॉन्ग टर्म में लाभ

अगर आप लार्ज कैप कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं और लंबे समय तक अच्छे रिटर्न की उम्मीद रखते हैं, तो लार्ज कैप इंडेक्स फंड्स आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं. ये फंड्स निफ्टी 50, निफ्टी नेक्स्ट 50, निफ्टी 100 और बीएसई सेंसेक्स जैसे इंडेक्स को फॉलो करते हैं. इन फंड्स का एक्सपेंस रेश्यो कम होता है और ये भारत की टॉप 100 कंपनियों में निवेश करते हैं.

आज हम आपको ऐसे ही टॉप 5 लार्ज कैप इंडेक्स फंड्स के बारे में बताएंगे, जिन्होंने पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा रिटर्न दिया है. साथ ही, यह भी जानेंगे कि अगर आपने इन फंड्स में 1,50,000 रुपये का एकमुश्त निवेश किया होता, तो आज यह रकम कितनी हो जाती.

1. UTI Nifty Next 50 Index Fund Direct – Growth

5 साल का एनुअलाइज्ड रिटर्न: 22.25 फीसदी

एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM): 4,239 करोड़ रुपये

नेट एसेट वैल्यू (NAV): 21.7 रुपये (13 मार्च 2025 तक)

एक्सपेंस रेश्यो: 0.35 फीसदी

न्यूनतम SIP: 500 रुपये

न्यूनतम लम्प सम निवेश: 5,000 रुपये

निवेश का नतीजा:

1,50,000 रुपये का एकमुश्त निवेश 5 साल में बढ़कर 4,09,577 रुपये हो गया.

2. DSP Nifty Next 50 Index Fund Direct – Growth

5 साल का एनुअलाइज्ड रिटर्न: 22.03 फीसदी

एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM): 807 करोड़ रुपये

नेट एसेट वैल्यू (NAV): 23.15 रुपये

एक्सपेंस रेश्यो: 0.26 फीसदी

न्यूनतम SIP और लम्प सम निवेश: 105 रुपये

निवेश का नतीजा:

1,50,000 रुपये का एकमुश्त निवेश 5 साल में बढ़कर 4,05,905 रुपये हो गया.

3. ICICI Prudential Nifty Next 50 Index Direct-Growth

5 साल का एनुअलाइज्ड रिटर्न: 21.98 फीसदी

एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM): 6,083 करोड़ रुपये

नेट एसेट वैल्यू (NAV): 54.47 रुपये

एक्सपेंस रेश्यो: 0.31 फीसदी

न्यूनतम SIP और लम्प सम निवेश: 105 रुपये

निवेश का नतीजा:

1,50,000 रुपये का एकमुश्त निवेश 5 साल में बढ़कर 4,05,074 रुपये हो गया.

4. Motilal Oswal Nifty Next 50 Index Fund Direct – Growth

5 साल का एनुअलाइज्ड रिटर्न: 21.92 फीसदी

एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM): 270 करोड़ रुपये

नेट एसेट वैल्यू (NAV): 21.02 रुपये

एक्सपेंस रेश्यो: 0.36 फीसदी

न्यूनतम SIP: 500 रुपये

न्यूनतम लम्प सम निवेश: 510 रुपये

निवेश का नतीजा:

1,50,000 रुपये का एकमुश्त निवेश 5 साल में बढ़कर 4,04,079 रुपये हो गया.

5. Bandhan Nifty 50 Index Fund Direct Plan-Growth

5 साल का एनुअलाइज्ड रिटर्न: 21.21 फीसदी

एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM): 1,604 करोड़ रुपये

नेट एसेट वैल्यू (NAV): 49.34 रुपये

एक्सपेंस रेश्यो: 0.10 फीसदी

न्यूनतम SIP: 500 रुपये

न्यूनतम लम्प सम निवेश: 1,000 रुपये

निवेश का नतीजा:

1,50,000 रुपये का एकमुश्त निवेश 5 साल में बढ़कर 3,92,449 रुपये हो गया.

क्यों चुनें लार्ज कैप इंडेक्स फंड्स?

कम जोखिम: लार्ज कैप कंपनियां मार्केट में स्थिर होती हैं, इसलिए इन फंड्स में निवेश करना सुरक्षित माना जाता है.

कम एक्सपेंस रेश्यो: ये फंड्स पैसिव होते हैं, इसलिए इनका एक्सपेंस रेश्यो कम होता है.

लंबी अवधि के लिए उपयुक्त: अगर आप 5 साल या उससे ज्यादा समय तक निवेश कर सकते हैं, तो ये फंड्स आपके लिए बेहतरीन विकल्प हैं.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

ये भी पढ़ें: 8th Pay Commission: फिटमेंट फैक्टर से ही नहीं…8वें वेतन आयोग में इन तरीकों से भी बढ़ेगी सरकारी कर्मचारियों की सैलरी

Continue Reading

Onion Export Duty: खुशखबरी! मोदी सरकार ने प्याज पर लिया बड़ा फैसला, हट गया 20 फीसदी टैक्स

Onion Export Duty: केंद्र सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर लगाए गए 20 फीसदी ड्यूटी को आधिकारिक तौर पर हटा दिया है. यह फैसला 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा. राजस्व विभाग ने यह नोटिफिकेशन उपभोक्ता मामलों के विभाग की सिफारिश पर जारी किया है. इस कदम से प्याज एक्सपोर्टरों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है.

क्यों लगाई गई थी ड्यूटी?

पिछले कुछ समय से घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बनाए रखने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाए थे. इनमें एक्सपोर्ट ड्यूटी, न्यूनतम एक्सपोर्ट मूल्य (MEP) और कुछ समय के लिए पूरी तरह से एक्सपोर्ट प्रतिबंध शामिल थे. यह प्रतिबंध 8 दिसंबर 2023 से 3 मई 2024 तक लगभग 5 महीने तक लागू रहा. 20 फीसदी की एक्सपोर्ट ड्यूटी 13 सितंबर 2024 को लगाई गई थी, जिसे अब हटा दिया गया है.

प्रतिबंधों के बावजूद एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी

हालांकि, प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने प्याज का अच्छा-खासा एक्सपोर्ट किया. वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 17.17 लाख मीट्रिक टन (LMT) प्याज का एक्सपोर्ट हुआ, जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 (18 मार्च 2025 तक) में 11.65 लाख मीट्रिक टन प्याज एक्सपोर्ट किया गया.

दिलचस्प बात यह है कि सितंबर 2024 में 0.72 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले जनवरी 2025 तक मंथली एक्सपोर्ट 1.85 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो भारी वैश्विक मांग को दिखाता है.

किसानों और उपभोक्ताओं को राहत

एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाने का फैसला किसानों को उचित दाम दिलाने और उपभोक्ताओं के लिए प्याज की कीमतों को स्थिर रखने के सरकार के प्रयासों को दिखाता है. हाल के बाजार आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में प्याज के भारित औसत मूल्य में 39 फीसदी की गिरावट आई है. साथ ही, पिछले एक महीने में खुदरा बाजार में प्याज की कीमतों में 10 फीसदी की कमी आई है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली है.

रबी फसल का रिकॉर्ड उत्पादन

कृषि और किसान कल्याण विभाग के मुताबिक, इस साल रबी प्याज का उत्पादन 227 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल के 192 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 18 फीसदी ज्यादा है. रबी प्याज, जो भारत के कुल प्याज उत्पादन का 70-75 फीसदी हिस्सा होता है, अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल आने तक कीमतों को स्थिर रखने में अहम भूमिका निभाता है.

इस साल रबी फसल का रिकॉर्ड उत्पादन आने वाले महीनों में बाजार में प्याज की कीमतों को और स्थिर करने में मददगार साबित होगा. यह खबर देश के लिए राहत भरी है, क्योंकि अगस्त 2023 से ही घरेलू उत्पादन में कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमतों की वजह से चुनौतियां बनी हुई थीं. एक्सपोर्ट ड्यूटी हटने से प्याज एक्सपोर्टरों को वैश्विक बाजार में कंपटीशन बढ़ाने में मदद मिलेगी.

ये भी पढ़ें: 8th Pay Commission: फिटमेंट फैक्टर से ही नहीं…8वें वेतन आयोग में इन तरीकों से भी बढ़ेगी सरकारी कर्मचारियों की सैलरी

Continue Reading

SEBI Update: सेबी ने कसा अनरजिस्टर्ड फिन-फ्लूएंसर्स पर शिंकजा, हटाये दिए 70 हजार भ्रामक सोशल मीडिया पोस्ट

FinFluencers Menace: शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी ने शेयर बाजार में निवेश को लेकर भ्रामक सोशल मीडिया पोस्ट और हैंडल्स पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इसी का नतीजा है कि अक्तूबर 2024 के बाद से अनरजिस्टर्ड फिन-फ्लूएंसर्स पर सख्त कार्रवाई करते हुए हाल के दिनों में सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर 70000 से ज्यादा भाम्रक पोस्ट्स और हैंडल्स को ब्लाक किया है. 

पिछले वर्ष से सेबी ने अनरजिस्टर्ड फिन-फ्लूएंसर्स पर शिंकजा कसने का ढांचा तैयार किया था. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने शुक्रवार को कहा कि पिछले साल ‘फिन-इन्फ्लुएंसर’ ढांचे के क्रियान्वयन के बाद से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ परामर्श कर 70,000 भ्रामक खाते और ‘पोस्ट’ हटाए गए हैं. उन्होंने कहा, अनरजिस्टर्ड इँवेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट्स बाजार में निवेशकों की बढ़ती रुचि और उनके बढ़ते निवेश को भूनाने में जुटे हैं जो सेबी के बड़ा सिरदर्द है. नारायण ने कहा कि अनरजिस्टर्ड निवेश सलाहकार और रिसर्च एनालिस्ट्स एक ‘‘खतरा’’ हैं, जो निवेश में बढ़ती रुचि का फायदा उठा रहे हैं. सोशल मीडिया पर वित्तीय मामलों में लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखने वालों को फिन-इन्फ्लुएंसर कहते हैं. 

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य ने अनुपालन सुनिश्चित करने में सलाहकारों की मदद मांगी. उन्होंने साथ ही सेबी-पंजीकृत संस्थाओं की पहचान करने में मदद के लिए यूपीआई ‘पेराइट’ खाते और इस दिशा में सेबी के प्रयासों के रूप में वैकल्पिक केंद्रीकृत शुल्क संग्रह तंत्र का उल्लेख किया. अनंत नारायण ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) की निकासी पर कहा कि स्थिति उतनी बुरी नहीं है, लेकिन हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत को विदेशी बचत की आवश्यकता है. नारायण ने बताया कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा शेयर बेचने की चिंताओं के बीच कुल मिलाकर निवेश प्रवाह उतना बुरा नहीं है, जितना सोचा गया था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत में एफआईआई का निवेश जारी है. 

अनंत नारायण ने कहा, फरवरी 2025 तक एफपीआई के पास भारतीय शेयर में 62 लाख करोड़ रुपये या 700 अरब डॉलर से अधिक और ऋण के रूप में करीब 5.9 लाख करोड़ रुपये या 68 अरब डॉलर थे. नारायण ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में शेयर और ऋण में 54 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी प्रवाह देखा गया है, जो पिछले पांच वर्षों के 19 अरब अमेरिकी डॉलर से बहुत अधिक है. उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशकों की रुचि बनाए रखने के लिए निरंतर वृद्धि, व्यापक आर्थिक स्थिरता और कामकाज का उचित माहौल देने की जरूरत है. 

ये भी पढ़ें

Investors Wealth: शेयर बाजार में लौटी रौनक तो 5 दिनों में 22 लाख करोड़ से ज्यादा बढ़ गई निवेशकों की संपत्ति

Continue Reading

अब पेंशन संबंधी किसी भी शिकायत का झटपट होगा समाधान, सरकार उठाने जा रही है बड़ा कदम

Pension Scheme: रिटायरमेंट के बाद गुजारे के लिए या तो सेविंग्स या पेंशन पर निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में लोगों को पेंशन मिलने में कोई दिक्कत न हो या पेंशन संबंधी किसी भी समस्या का समाधान सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एक फोरम का गठन किए जाने का फैसला लिया है. सरकार इसके लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर काम कर रही है, जिसमें शिकायतों के निवारण के लिए ग्रिवियांस रिड्रेसल मैकेनिज्म को भी शामिल किया जाएगा. द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी गई है. 

फोरम में कई पेंशन योजनाओं को किया जाएगा शामिल

मामले से परिचित एक अधिकारी ने कहा, सभी के लिए एक कॉमन रेगुलेटरी स्टैंडर्ड की जरूरत है ताकि पेंशन से संबंधित शिकायतों का निपटारा झटपट हो. उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि सरकार की इस पहल में केंद्र सरकार की अलग-अलग एजेंसियों की देखरेख में चल रहीं विभिन्न पेंशन योजनाओं को भी शामिल किए जाने पर विचार किया जा रहा है. 

इसलिए जरूरी है यूनिफाइड फोरम

एक दूसरे अधिकारी ने कहा, हमारे देश में पेंशन कवरेज सीमित हैं और नए प्रोडक्ट को डेवलप करने की जरूरत है. चूंकि नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) स्वैच्छिक है और ईपीएफओ के तहत कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में वेतन सीमा 15,000 रुपये प्रति माह है इसलिए कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा इससे वंचित रह जाता है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रस्तावित फोरम में कवरेज को बढ़ाने के साथ-साथ इनके क्रियान्वयन को सरल बनाने के लिए मौजूदा पेंशन स्कीम्स को एक यूनिफाइड बॉडी के तहत लाए जाने की जरूरत है. अधिकारियों ने इस बात की भी जानकारी दी कि सरकार सभी के लिए एक यूनिवर्सल पेंशन स्कीम लाने की संभावनाओं पर भी विचार कर रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कई और पेंशन प्रोडक्ट के विकास के साथ-साथ इनके बेहतर कोऑर्डिनेशन के लिए एक फोरम के गठन का ऐलान किया था. 

 

ये भी पढ़ें: 

SEBI Update: सेबी ने कसा अनरजिस्टर्ड फिन-फ्लूएंसर्स पर शिंकजा, हटाये दिए 70 हजार भ्रामक सोशल मीडिया पोस्ट

Continue Reading

क्या डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से महंगा हो जाएगा iPhone, 2 अप्रैल से लागू होगा फैसला

अमेरिका की नई ‘रिसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी’ iPhone की कीमतों पर बड़ा असर डाल सकती है. दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका यह नीति 2 अप्रैल 2025 से लागू करेगा. ट्रंप का कहना है कि इसका मकसद उन देशों पर टैरिफ लगाना है, जो अमेरिकी सामानों पर ज्यादा टैक्स लगाते हैं. भारत भी ऐसे ही देशों में शामिल है, क्योंकि वह लंबे समय से इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे सामानों पर भारी आयात शुल्क लगाता रहा है.

‘मेड-इन-इंडिया’ iPhone पर पड़ेगा असर

Apple ने भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग ऑपरेशन्स को तेजी से बढ़ाया है. भारत में आईफोन असेंबल करने वाली कंपनियां हैं, फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और टाटा ग्रुप. यहां iPhone 16 Pro और 16 Pro Max जैसे मॉडल्स असेंबल किए जाते हैं, जो घरेलू बाजार के साथ-साथ एक्सपोर्ट भी किए जाते हैं.

अभी तक भारत में बने iPhone अमेरिका में ड्यूटी-फ्री जाते हैं, जिससे Apple को कॉस्ट एडवांटेज मिलता है. लेकिन अमेरिका की नई नीति के तहत भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स पर 16.5 फीसदी टैरिफ लग सकता है, जो भारत द्वारा अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक्स पर लगाए गए टैक्स के बराबर होगा.

अगर ऐसा हुआ तो इस टैरिफ से Apple का एक्सपोर्ट कॉस्ट बढ़ सकता है, जिससे भारत का मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में फायदा कम हो सकता है. अगर Apple यह बढ़ा हुआ खर्च अमेरिकी ग्राहकों पर नहीं डालता, तो इससे कंपनी के ग्लोबल प्रॉफिट मार्जिन पर असर पड़ सकता है.

भारत में iPhone की कीमतों पर क्या होगा असर?

हालांकि यह टैरिफ सीधे तौर पर भारत से अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट को टारगेट करता है, लेकिन इसके इनडायरेक्ट इफेक्ट्स भारत में iPhone की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं. दरअसल, इससे मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ सकती है. अगर Apple को टैरिफ या सप्लाई चेन में दिक्कतों की वजह से ज्यादा खर्च उठाना पड़ता है, तो वह ग्लोबल प्रॉफिटेबिलिटी बनाए रखने के लिए कीमतें बढ़ा सकता है.

इसके अलावा, अगर भारत में बने iPhone का कॉस्ट एडवांटेज कम होता है, तो Apple यहां अपने निवेश को कम कर सकता है, जिससे लोकल प्रोडक्शन और कीमतें प्रभावित हो सकती हैं. वहीं, अगर Apple को कॉम्पोनेंट्स या फिनिश्ड डिवाइसेज दूसरे देशों से इंपोर्ट करने पड़ें, जहां अमेरिका ने टैरिफ बढ़ा दिया है, तो यह खर्च भारतीय ग्राहकों पर आ सकता है.

भारत में कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट

भारत Apple के लिए एक अहम मार्केट है, जहां मिडिल क्लास की बढ़ती ताकत से डिमांड बढ़ रही है. पिछले कुछ सालों में भारत सरकार ने मोबाइल फोन्स पर कस्टम ड्यूटी कम कर दी थी, जिससे iPhone की कीमतों में कमी आई थी. लेकिन अमेरिका की नई टैरिफ नीति से यह ट्रेंड उलट सकता है.

ये भी पढ़ें: डॉलर ने भर दी भारत की तिजोरी, फॉरेक्स रिजर्व में आया उछाल… RBI ने जारी किया आंकड़ा

Continue Reading

8वें वेतन आयोग का फिटमेंट फैक्टर तो बढ़ जाएगा…लेकिन सरकारी कर्मचारियों की सैलरी उतनी नहीं बढ़ेगी! जानिए क्यों

8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की जब से घोषणा हुई है, इसके बाद से ही केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन और पेंशन में संशोधन के आधार ‘फिटमेंट फैक्टर’ को लेकर चर्चा तेज हो गई है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.86 के बीच हो सकता है. दरअसल, फिटमेंट फैक्टर एक मल्टीप्लायर होता है, जिसका इस्तेमाल सरकार कर्मचारियों के वेतन और पेंशन को रिवाइज करने के लिए करती है. हालांकि, फिटमेंट फैक्टर को लेकर एक गलतफहमी भी है.

फिटमेंट फैक्टर का असली मतलब क्या है?

यह गलत धारणा है कि अगर 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 होता है, तो वेतन और पेंशन में भी उतनी ही गुना बढ़ोतरी होगी. असल में, फिटमेंट फैक्टर सिर्फ बेसिक सैलरी पर लागू होता है, न कि ग्रॉस सैलरी पर.

सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी फिटमेंट फैक्टर के अनुपात में क्यों नहीं होती?

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रॉस सैलरी पर फिटमेंट फैक्टर का उतना असर नहीं दिखता, क्योंकि कुल वेतन में कई अन्य घटक भी शामिल होते हैं. वेतन और पेंशन को रिवाइज करते समय, पे पैनल कई अन्य पहलुओं को ध्यान में रखता है, जैसे DA को बेसिक पे के साथ मर्ज करना और कई भत्तों को जोड़ना या हटाना. इससे यह सुनिश्चित होता है कि फिटमेंट फैक्टर की गणना सिर्फ बेसिक पे पर लागू होगी.

आसान भाषा में इसे ऐसे समझिए कि, 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिससे बेसिक पे 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया. लेकिन, वास्तविक बढ़ोतरी की बात करें, तो लेवल 1-3 के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में औसतन 15 फीसदी की ही वृद्धि हुई. हालांकि, लेवल 4-10 के कर्मचारियों को इससे ज्यादा बढ़ोतरी मिली.

वहीं, 6वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, लेकिन वेतन और पेंशन में 54 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इससे साफ है कि फिटमेंट फैक्टर ज्यादा होने का मतलब यह नहीं है कि कुल वेतन में उतनी ही बढ़ोतरी होगी.

पिछले वेतन आयोगों में वास्तविक वेतन वृद्धि (फीसदी)

दूसरा वेतन आयोग: 14.2 फीसदी

तीसरा वेतन आयोग: 20.6 फीसदी

चौथा वेतन आयोग: 27.6 फीसदी

पांचवां वेतन आयोग: 31.0 फीसदी

छठा वेतन आयोग: 54.0 फीसदी

सातवां वेतन आयोग: 14.3 फीसदी

8वां वेतन आयोग कब गठित होगा?

अब जब 8वें वेतन आयोग के गठन की तारीख नजदीक आ रही है, तो सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स इस बार एक अच्छी वेतन वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि वे एक “सम्मानजनक और गरिमापूर्ण जीवन” जी सकें. आपको बता दें, 8वें वेतन आयोग के अप्रैल 2025 में औपचारिक रूप से गठित होने की उम्मीद है.

इससे पहले, नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मैकेनिज्म (NC-JCM) के कर्मचारी पक्ष ने सुझाव दिया था कि नए वेतन आयोग की शर्तों और शर्तों में वेतन, भत्तों, अन्य लाभों, पेंशन और ग्रेच्युटी जैसी सेवानिवृत्ति लाभों की समीक्षा भी शामिल होनी चाहिए. अब यह देखना बाकी है कि 8वां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों की उम्मीदों पर कितना खरा उतरता है.

ये भी पढ़ें: क्या डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से महंगा हो जाएगा iPhone, 2 अप्रैल से लागू होगा फैसला

Continue Reading

क्या ओल्ड से न्यू टैक्स रिजीम में स्विच करने वालों के लिए PPF SSY NPS में निवेश फायदेमंद? जानें एक्सपर्ट्स की राय

Income Tax: पुरानी कर व्यवस्था से नई कर व्यवस्था में स्विच करने वाले टैक्सपेयर्स के सामने एक नई मुश्किल आ गई है क्योंकि इसके तहत धारा 80C, 80D और 80CCD(1) के तहत दी जाने वाली छूट को खत्म कर दिया गया है. अब सवाल यह आता है कि न्यू टैक्स रिजीम चुनने वालों को पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई) और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में निवेश करना चाहिए या नहीं? आइए जानते हैं- 

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक सिरिल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर (कर प्रमुख) एसआर पटनायक ने कहा,  वेतनभोगी और गैर-व्यावसायिक आय वाले करदाताओं के पास हर साल नई और पुरानी कर व्यवस्थाओं के बीच चुनने का विकल्प होता है इसलिए हर साल रिटर्न भरते समय बिना किसी प्रतिबंध के दोनों में से किसी एक को चुन सकते हैं. 

1 अप्रैल, 2025 से लागू नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब इस प्रकार हैं: 

  • 4 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
  • 4 लाख रुपये से 8 लाख रुपये तक की आय पर 5 परसेंट टैक्स देना होगा. 
  • 8 लाख रुपये से 12 लाख रुपये तक की आय पर 10 परसेंट टैक्स देना होगा. 
  • 12 लाख रुपये से 16 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स अमाउंट 15 परसेंट है. 
  • 16 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक की आय पर 20 परसेंट टैक्स देना होगा. 
  • 20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये तक की आय पर 25 परसेंट टैक्स देना होगा. 
  • 24 लाख रुपये से अधिक की कमाई पर 30 परसेंट देना होगा.  

पुरानी कर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब

  • 2,50,000 रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं.
  • 2,50,001 रुपये से 5,00,000 रुपये तक की आय पर 5 परसेंट टैक्स देना होगा. 
  • 5,00,001 रुपये से 10,00,000 रुपये तक की कमाई पर टैक्स अमाउंट 20 परसेंट. 
  • 10,00,000 रुपये से अधिक की आय पर 30 परसेंट टैक्स देना होगा. 

पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत मिलने वाली कटौतियां

पुरानी कर व्यवस्था के तहत करदाताओं को  विभिन्न कटौतियों और छूटों का लाभ मिलता है. धारा 80C, 80D, 24B, 80CCD(1), 80CCD(2), 80CCD(1B), 80G, 80TTA, 80TTB के तहत PPF, ELSS और LIC प्रीमियम पर 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं.  धारा 80D के तहत स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर कटौती का दावा कर सकते हैं. धारा 24(b) के तहत होम लोन पर 2,00,000 रुपये तक के ब्याज पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. इनके अलावा भी टैक्स बचाने के कुछ दूसरे ऑप्शंस भी हैं जैसे कि HRA और LTA.

टैक्स छूट के अलावा भी निवेश के कई लाभ

बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए क्लियरटैक्स की टैक्स एक्सपर्ट शेफाली मुंद्रा कहती हैं, ”सिर्फ टैक्स पर छूट पाने के लिए ही निवेश नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका मकसद आपको फाइनेंशियली सिक्योर बनाना है और लॉन्ग टर्म में फाइनेंशियल फ्रीडम हासिल करना है. हालांकि नई कर व्यवस्था में पीपीएफ, एसएसवाई और एनपीएस जैसे निवेशों पर टैक्स पर मिलने वाली छूट को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है, लेकिन इनके जरिए आपकी नियमित सेविंग्स बनी रहती है, रिटायरमेंट पर बेनिफिट मिलता है और रिक्स-फ्री रिटर्न दाखिल कर सकते हैं.” 

मुंद्रा आगे कहती हैं, ”टैक्स प्लानिंग आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग का एक हिस्सा होना चाहिए. इंवेस्टमेंट की स्ट्रैटेजी ऐसी होनी चाहिए, जो सिर्फ टैक्स पर छूट मिलने पर ही बेस्ड न हो, बल्कि उसमें फाइनेंशियली फ्रीडम पर भी फोकस रखना चाहिए, जिसके लॉन्ग टर्म रिजल्ट्स होते हैं.”

ये भी पढ़ें:

टैक्स बचाने का गजब तरीका! परिवार के साथ खूब घूमो और 31 मार्च तक फटाफट जमा कराओ ये पेपर्स

Continue Reading

म्यूचुअल फंड के पास है एक खास फार्मूला, आज अपना लिया तो जवानी से बेहतर कटेगा बुढ़ापा

जब इंसान जवान रहता है और नौकरी करता है तो उसे खर्च करने से पहले सोचना नहीं पड़ता. लेकिन एक उम्र के बाद जब वह बूढ़ा हो जाता है और उसके पास पेंशन की कोई सुविधा नहीं होती तो उसे लगता है कि काश जवानी में किसी ऐसे स्कीम में पैसे डाल देता, जिससे बुढ़ापे तक ढेर सारा पैसा जमा हो जाता तो बुढ़ापा भी शान से कटता. अगर आप भी अपने बुढ़ापे के लिए ऐसी किसी स्कीम या निवेश की तलाश कर रहे हैं तो हमारे पास म्यूचुअल फंड का एक ऐसा फॉर्मूला है, जिससे आप लॉन्ग टर्म में तगड़ा पैसा बना सकते हैं.

SIP है सबसे बेस्ट

निवेश के लिए बाजार में कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन लंबी अवधि के निवेश में म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) सबसे लोकप्रिय विकल्पों में से एक है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, SIP एक व्यवस्थित और अनुशासित निवेश तरीका है, जिसमें निवेशक नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश कर सकता है. यह अंतराल मासिक, तिमाही या सालाना हो सकता है, जो निवेशक की सुविधा पर निर्भर करता है.

इसके फायदे

इस निवेश रणनीति में निवेशक अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार SIP को रोक सकता है, निकाल सकता है या निवेश राशि बढ़ा सकता है. SIP लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देने की क्षमता रखता है. वहीं, अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सोच रहे हैं और एक सही रणनीति ढूंढ रहे हैं, तो 15x15x15 SIP फॉर्मूला आपके लिए बहुत शानदार हो सकता है.

15x15x15 SIP फॉर्मूला क्या है?

यह फॉर्मूला निवेशकों को सिर्फ 15 साल में लगभग 1 करोड़ रुपये जमा करने में मदद करता है. आइए जानते हैं कि यह कैसे काम करता है. इस फॉर्मूले के तहत, पहला “15” यह दिखाता है कि आपको हर महीने 15,000 रुपये SIP में निवेश करना होगा. दूसरा “15” यह दिखाता है कि आपको 15 फीसदी का सालाना रिटर्न (अनुमानित) मिलेगा. तीसरा “15” यह दिखाता है कि आपको कम से कम 15 साल तक निवेश करना होगा.

अब इस फॉर्मूले को लागू करके देखते हैं कि 15 साल में कितना कॉर्पस जमा होगा-

मासिक निवेश: 15,000 रुपये

कुल निवेश: 15 साल में 27,00,000 रुपये

अनुमानित कैपिटल गेन: 74,52,946 रुपये

कुल राशि: 1,01,52,946 रुपये

SIP में जोखिम

हालांकि SIP लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देने की क्षमता रखता है, लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि यह मार्केट-लिंक्ड निवेश है. इसका मतलब है कि रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है. ऊपर बताया गया 15 फीसदी का सालाना रिटर्न एक अनुमान है और वास्तविक रिटर्न मार्केट स्थितियों के आधार पर अलग हो सकता है.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

ये भी पढ़ें: अब भारत से न्यूजीलैंड जाने में नहीं लगेंगे 17 घंटे, दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट चलाने की तैयारी जोरो पर

Continue Reading

सावधान! शेयर मार्केट फ्रॉड का नया तरीका, प्रॉफिट दिलाने के नाम पर ठग लिए 1.15 करोड़ रुपये

Share Market Fraud: शेयर मार्केट के नाम पर फ्रॉड होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. एक ऐसा ही मामला अब नोएडा से सामने आया है, जिसमें शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर एक बिजनेसमैन से 1.15 करोड़ की ठगी हो गई है. उन्हें शेयर मार्केट में निवेश पर हाई रिटर्न का लालच दिखाकर कुछ फर्जी वेबसाइट्स का लिंक दिया गया था. 

निवेश के लिए ये लिंक्स किए गए शेयर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नोएडा के सेक्टर 44 में रहने वाले शख्स को 27 जनवरी को एक महिला का कॉल आया, जिसने अपना नाम ऋषिता बताया. महिला ने जैसे-तैसे उन्हें catalystgroupstar.com और pe.catamarketss.com के जरिए निवेश करने के लिए मना लिया. दोनों लिंक ने उन्हें दूसरे पोर्टल m.catamarketss.com पर रीडायरेक्ट कर दिया.

लगातार करते रहे इंवेस्टमेंट

पीड़ित शख्स ने शुरुआत में 31 जनवरी को अपनी बहन के अकाउंट से 1 लाख रुपये का निवेश किया. एक दिन बाद उन्हें 15,040 रुपये प्रॉफिट होने की खबर मिली. उन्होंने ये पैसे निकाल लिए. अब स्कीम पर उनका भरोसा और बढ़ गया. वह इस प्रॉफिट से इतने उत्साहित हुए कि फरवरी तक लगातार इस स्कीम में लगातार निवेश करते रहे. ऋषिता के बताए गए निर्देशों के आधार पर उन्होंने अलग-अलग अकाउंट्स में कुल 65 लाख रुपये का निवेश किया. उन्हें भरोसा दिलाया गया कि उनका इंवेस्टमेंट बढ़कर 1.9 करोड़ रुपये हो गया है. 

हर बार बहाने से मांगे जाने लगे पैसे

हालांकि, इस पैसे को निकालने के लिए उन्हें पहले 31.6 लाख रुपये का भुगतान टैक्स के रूप में करने के लिए कहा गया. उन्होंने मार्च महीने की शुरुआत में ये पैसे भी जमा कर दिए. इसके बाद जालसाजों ने 24 घंटे के भीतर फंड रिलीज करने के नाम पर ‘कन्वर्जन चार्ज’ के रूप में अलग से 18.6 लाख रुपये मांगे. पेमेंट करने के बावजूद न ही उन्हें अपना इंवेस्टमेंट अमाउंट मिला और न ही प्रॉफिट अमाउंट मिला. इसके बदले, धोखेबाजों ने उनसे 40 लाख रुपये और मांगे. अब उन्हें शक होने लगा कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है. 

आगे की जांच जारी

इसके बाद उन्होंने बिना एक मिनट देर किए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318(4) (फ्रॉड) और 319(2) (पहचान बताकर फ्रॉड) और आईटी एक्ट की धारा 66डी के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. अधिकारी अब मामले की जांच कर रहे हैं. 

ये भी पढ़ें:

अब भारत से न्यूजीलैंड जाने में नहीं लगेंगे 17 घंटे, दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट चलाने की तैयारी जोरो पर

Continue Reading

Adani Group: गौतम अडानी ने वायर एंड केबल बिजनेस में उतरने का किया एलान, Polycab और KEI Ind. का स्टॉक औंधे मुंह गिरा

Adani Group: वायर एंड केबल्स सेक्टर (Wire & Cable Sector) में घमासान होने वाला है. आदित्य बिरला समूह (Aditya Birla Group) की कंपनी अल्ट्राटेक के बाद अडानी समूह ने भी वायर एंड केबल बिजनेस में कदम रखने का फैसला किया है. देश के दूसरे सबसे अमीर गौतम अडानी की अडानी समूह (Adani Group) ने ज्वाइंट वेंचर कंपनी प्रणीता इकोकेबल्स लिमिटेड (Praneetha Ecocables Limited) बनाने का फैसला किया है. 

कच्छ कॉपर लिमिटेड (Kutch Copper Kimited) ने प्रणीता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर प्रणीता इकोकेबल्स लिमिटेड नाम से वायर एंड केबल बिजनेस शुरू करने का फैसला किया है जिसमें दोनों ही कंपनी के पास 50-50 फीसदी की हिस्सेदारी होगी. स्टॉक एक्सचेंज को दी गई रेगुलेटरी फाइलिंग में अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) ने बताया कि नई कंपनी वायर एंड केबल्स और मेटल्स प्रोडेक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग, मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन में उतरेगी. 

अडानी समूह के वायर एंड केबल्स के बिजनेस में कदम रखने के इस एलान के बाद सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की उम्मीद है. तो अडानी समूह के इस एलान के बाद स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड वायर एंड केबल्स सेक्टर के शेयरों में जोरदार गिरावट देखने को मिली है. 

गुरुवार 20 मार्च के कारोबारी सेशन में पॉलीकैब इंडिया (Polycab India Ltd) से लेकर हैवल्स इँडिया लिमिटेड (Havells India Ltd), आरआर काबेल (RR Kabel) और फिनोलेक्स केबल्स (Finolex Cables  के शेयर 7 फीसदी तक नीचेजा लुढ़के. केईआई इंडस्ट्रीज (KEI Industries ) का शेयर भी 5 फीसदी से ज्यादा नीचे जा लुढ़का. इससे पहले जब अल्ट्राटेक सीमेंट ने वायर एंड केबल बिजनेस में कदम रखने का फैसला किया है तब भी इन कंपनियों के शेयरों में 20 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी. 

अडानी समूह के वायर एंड केबल बिजनेस में कदम रखने के एलान के बाद अडानी एंटरप्राइजेज के स्टॉक में तेजी देखी जा रही है और स्टॉक सुबह में पिछली क्लोजिंग 2318 के मुकाबले 2348 रुपये पर जा पहुंचा है. 

ये भी पढ़ें 

US Fed Rate Cut: अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेड ने ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव, पर 2025 में दो बार कटौती करने के दिए संकेत

 

Continue Reading

ITR Filing: 9 करोड़ टैक्सपेयर्स ने फाइल किया ITR, 4.69 लाख ने घोषित किया 1 करोड़ रुपये से ज्यादा इनकम

Income Tax Return: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अब तक 9 करोड़ से अधिक लोग इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) जमा कर चुके हैं. सीबीडीटी (Central Board Of Direct Taxes) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. डेटा के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में जमा किए गए आईटीआर में चार लाख से अधिक करदाताओं ने एक करोड़ रुपये से अधिक आय घोषित की है.

आंकड़ों से मुताबिक, लगभग 3.89 लाख करदाताओं ने 1 करोड़ रुपये से 5 करोड़ रुपये के बीच आय घोषित की है, जबकि लगभग 36,274 व्यक्तियों ने 5 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये के बीच आय की रिपोर्ट की है. इसके अलावा, 43,004 लोगों ने 10 करोड़ रुपये से अधिक की आय का खुलासा किया है. इससे उच्च आय वाले करदाताओं (1 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले) की कुल संख्या 4,68,658 हो गई. इन आंकड़ों में वृद्धि होने की उम्मीद है क्योंकि आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2025 है. 

सीबीडीटी के मुताबिक, अब तक 9.11 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपना आईटीआर दाखिल किया है. भारत में रजिस्टर्ड करदाताओं की कुल संख्या 13.96 करोड़ है. इसका मतलब है कि लगभग 65 प्रतिशत ने अपना रिटर्न दाखिल कर दिया है. इसके अलावा, लगभग 8.56 करोड़ कर रिटर्न ई-वेरिफाइड किए जा चुके हैं और आयकर विभाग द्वारा 3.92 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया है.

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 1.38 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए है. उत्तर प्रदेश में 90.68 लाख रिटर्न जमा किए गए, जबकि गुजरात में 87.90 लाख रिटर्न दाखिल किए गए हैं. दिल्ली में 44.45 लाख लोगों ने आईटीआर जमा किए हैं. वहीं, आंध्र प्रदेश और पंजाब में 30.76 लाख और 43.79 लाख रिटर्न दाखिल किए गए. इससे पहले इनकम टैक्स विभाग ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) की 1 अप्रैल, 2024 – 16 मार्च, 2025 की अवधि के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 24) की इसी अवधि की तुलना में 16.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के साथ 25.86 लाख करोड़ रुपये हो गया है.  

ये भी पढ़ें 

US Fed Rate Cut: अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेड ने ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव, पर 2025 में दो बार कटौती करने के दिए संकेत

Continue Reading

छोटे दुकानदारों के लिए सरकार का बड़ा फैसला! अब UPI से पेमेंट लेने पर होगी बंपर कमाई

UPI Incentive Scheme: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यूपीआई पेमेंट पर बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने 1,500 करोड़ रुपये के अनुमानित इंसेंटिव स्कीम को मंजूरी दे दी है. इससे छोटे दुकानदारों को बड़ी राहत मिलेगी, जो आमतौर यूपीआई पेमेंट लेने से बचते हैं. सरकार की इस स्कीम से छोटे दुकानदारों के बीच डिजिटल लेनदेन में तेजी आएगी. 

इतने रुपये तक लागू होगी इंसेन्टिव स्कीम

सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ‘व्यक्ति से व्यापारी’ (पी2एम) तक कम मूल्य के BHIM-UPI लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए इंसेन्टिव स्कीम को मंजूरी दी है. सरकार की इस योजना के तहत यूपीआई से पेमेंट लेने वाले छोटे दुकानदारों को प्रति लेनदेन 0.15 परसेंट इंसेन्टिव मिलेगा. यह योजना केवल 2,000 रुपये तक यूपीआई ट्रांजैक्शन पर लागू होगी.

मान लीजिए कि कोई ग्राहक अगर 1,000 रुपये का सामान खरीदता है और उसे यूपीआई के जरिए पेमेंट की जाती है, तो इस पर दुकानदार को 1.5 परसेंट इंसेन्टिव मिलेगा. इसमें बैंकों को भी इंसेन्टिव का भुगतान किया जाएगा. सरकार बैंकों के दावे की 80 परसेंट राशि तुरंत दे देगी, जबकि बाकी 20 परसेंट राशि तभी दी जाएगी जब बैंक टेक्निकल डिक्लाइन दर को 0.75 परसेंट से नीचे और सिस्टम अपटाइम 99.5 परसेंट से ऊपर बनाए रखेगी. 

यह है सरकार की इस स्कीम का मकसद

सरकार की इस स्कीम का मकसद 2024-25 में 20,000 करोड़ रुपये के यूपीआई लेनदेन के लक्ष्य को हासिल करना है. साथ ही सरकार देश के दूर-दराज के इलाकों में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए यह काम कर रही है क्योंकि आज के जमाने में यूपीआई पेमेंट का एक सुरक्षित और तेज मोड है. इससे पैसे सीधे बैंक अकाउंट में आते हैं. इसी के साथ-साथ डिजिटल पेमेंट का रिकॉर्ड बनेगा, तो आगे चलकर लोन लेने में भी आसानी होगी. 

ये भी पढ़ें:

स्टारलिंक की इंटरनेट स्पीड के बारे में जान घूम जाएगा सिर, क्यों सबसे अलग है एलन मस्क की यह कंपनी?

Continue Reading

आसमान छू रहा सोने का भाव, कैसे हो खरीदारी! 10 ग्राम गोल्ड पहुंचा 90 हजार के पार, आपके शहर का क्या है हाल?

Gold-Silver Price: भारत में सोने की कीमतों में लगातार तेजी के बावजूद इसमें निवेश लगातार बढ़ रहा है. अगर आप भी सोना खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसकी कीमत की बारे में सही जानकारी होना जरूरी है. बुधवार को सोने की कीमतों में मामूली वृद्धि देखी गई. भारत में आज 24 कैरेट सोने की कीमत 9018.3 रुपये प्रति ग्राम है, जो कल के मुकाबले 460.0 रुपये ज्यादा है. जबकि 22 कैरेट सोने की कीमत 8268.3 रुपये प्रति ग्राम है, जो 420.0 रुपये अधिक है. 

पिछले हफ्ते 24 कैरेट सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव -1.86 परसेंट उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया. जबकि पिछले महीने यह -3.37 परसेंट रहा. सोना खरीदने से पहले 24 और 22 कैरेट सोने के बीच अंतर पता होना चाहिए. 24 कैरेट सोना 100 परसेंट शुद्ध होता है. इसमें कोई मिलावट नहीं होती है. जबकि 22 कैरेट सोना 91.67 परसेंट शुद्ध होता है. इसमें चांदी और तांबे जैसे अलॉयड मेटल मिलाए जाते हैं.

हॉलमार्क चेक करना जरूरी

अगर आप शुद्ध सोना खरीदना चाहते हैं, तो हॉलमार्क देखे बगैर सोना नहीं खरीदे. सरकार ने 1 जुलाई, 2021 से हॉलमार्क को अनिवार्य कर दिया है. हॉलमार्क की पहचान करने के लिए BIS (Bureau of Indian Standards) का लोगो को चेक कर लें, जो इस बात की पुष्टि करता है कि सोना बीआईएस सर्टिफाइड है और असली है. 

सोने का भाव

दिल्ली में आज सोने का भाव 90183.0 रुपये प्रति 10 ग्राम है. जबकि जयपुर में आज 10 ग्राम सोना 90176.0 रुपये के भाव पर बिक रहा है. वहीं, अगर चंडीगढ़ की बात करें तो यहां के बाजारों में आज 10 ग्राम सोने की कीमत 90192.0 रुपये है. अमृतसर में आज 10 ग्राम सोने की कीमत 90060.0 रुपये हैं. वहीं, अगर लखनऊ की बात करें, तो यहां आज 10 ग्राम सोने की कीमत 90199.0 रुपये है. 

चांदी की कीमत

आज चांदी की कीमत 107200.0 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बिक रहा है, जो 1300.0 प्रति किलोग्राम की वृद्धि को दर्शाता है. दिल्ली में आज 1 किलो चांदी कीमत 107200.0 रुपये है. जबकि चंडीगढ़ में आज इतना ही सोना 106600.0 रुपये में बिक रहा है. लखनऊ में आज 1 किलो चांदी कीमत 108100.0 रुपये है. पटना में आज 1 किलो चांदी का भाव 107300.0 रुपये है. 

ये भी पढ़ें:

छोटे दुकानदारों के लिए सरकार का बड़ा फैसला! अब UPI से पेमेंट लेने पर होगी बंपर कमाई

Continue Reading

मुंबई से उड़ान भरने के लिए देना होगा ज्यादा चार्ज, MIAL ने यूडीएफ में बढ़ोतरी का दिया प्रस्ताव

UDF Hike: नए वित्त वर्ष 2025-26 में मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरना महंगा हो जाएगा. मुंहई एयरपोर्ट को ऑपरेट करने वाली प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) ने हवाई यात्रियों के यूजर डेवलपमेंट फीस (User Development Fee) को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. एमआईएएल ने इंटरनेशनल पैसेंजर्स के लिए यूडीएफ चार्ज को बढ़ाकर 65- रुपये और घरेलू हवाई यात्रियों के लिए इस फीस को बढ़ाकर 325 रुपये करने का प्रस्ताव दिया है. फिलहाल घरेलू यात्रियों को कोई यूडीएफ नहीं देना होता है. 

मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में 74 फीसदी हिस्सेदारी अडानी समूह के पास है जो देश के दूसरे सबसे अमीर अरबपति गौतम अडानी की कंपनी है. 26 फीसदी हिस्सेदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास है. मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने यूजर डेवलपमेंट फीसमें बढ़ोतरी का प्रस्ताव हवाई अड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण (एईआरए) के पास मंजूरी के लिए भेजा है. इस प्रस्ताव में एमआईएएल ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए यूडीएफ में 463 रुपये की भारी वृद्धि का प्रस्ताव दिया है. अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से वर्तमान में 187 रुपये यूडीएफ. लिया जाता है, जिसे बढ़ाकर 650 रुपये करने का प्रस्ताव है. जबकि घरेलू यात्रियों से 325 रुपये का शुल्क वसूला जाएगा. घरेलू यात्रियों को अभी ऐसा कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है. 

एक सूत्र ने‘पीटीआई से कहा, ‘‘ प्रस्तावित शुल्क कार्ड, जिसे हवाई अड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण (एईआरए) के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है, नियामक द्वारा एमआईएएल के लिए स्वीकृत किए गए शुल्क के अनुरूप है. एईआरए की वेबसाइट के अनुसार, इसके साथ ही विमानन कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए एमआईएएल ने चौथी नियंत्रण अवधि (वित्त वर्ष 2024-2029) के लिए अपनी सुविधा पर लैंडिंग व पार्किंग शुल्क में 35 प्रतिशत की कटौती का प्रस्ताव दिया है. मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा देश का दूसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है. 

इससे पहले दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट को ऑपरेट करने वाली जीएमआर समूह की अगुवाई वाली दिल्ली एयरपोर्ट के ऑपरेटर डायल  ने इकोनॉमी और बिजनेस क्लास के यात्रियों और व्यस्त एवं गैर-व्यस्त समय के लिए अलग-अलग उपयोगकर्ता शुल्क (User Fees) लगाने का प्रस्ताव रखा है. DIAL ने एक अप्रैल 2024 से मार्च 2029  तक की अवधि के लिए प्रस्तावित चौथे टैरिफ कंट्रोल पीरियड के लिए पेश किए अपने प्रस्ताव में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के इकनॉमी और बिजनेस श्रेणी के यात्रियों के लिए अलग-अलग उपयोगकर्ता यूजर डेवलपमेंट फीस लगाया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें

Gold Rate: सोने के दाम नए शिखर पर, 91000 रुपये के ऑलटाइम हाई के पार पहुंच गया भाव

Continue Reading

Income Tax Bill 2025: नए इनकम टैक्स नियमों-फॉर्म्स को लेकर आप भी दे सकते हैं सुझाव, सेलेक्ट कमिटी करेगी विचार

New Income Tax Rules: देश में नए इनकम टैक्स कानून बनाने की शुरुआत हो चुकी है. सद में इनकम टैक्स विधेयक 2025 को पेश किया जा चुका है जिसपर संसद की सेलेक्ट कमिटी विचार कर रही है. और टैक्सपेयर्स होने के नाते आप भी नए इनकम टैक्स कानून बनाने में योगदान दे सकते हैं. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने इनकम टैक्स रूल्स और उससे जुड़े फॉर्म्स को लेकर स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे हैं. जिसे कम्पाइल करने के बाद सेलेक्ट कमिटी के पास विचार के लिए भेजा जाएगा. 

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (Central Board Of Direct Tax) ने स्टेकहोल्डर्स से सुझाव लेने के लिए ई-फाइलिंग पोर्टल (e-filing portal) में यूटिलिटी को लॉन्च किया है जिसमें ओटीपी बेस्ड वैलिडेशन प्रोसेस के तहत स्टेकहोल्डर्स नए इनकम टैक्स विधेयक को लेकर अपने सुझाव सौंप सकते हैं. स्टेकहोल्डर्स नीचे दिए गए इस लिंक पर पर क्लिक कर सकते हैं. 

https://eportal.incometax.gov.in/iec/foservices/#/pre-login/ita-comprehensive-review

8 मार्च 2025 से सभी स्टेकहोल्डर्स इस लिंक को एक्सेस कर सकते हैं. स्टेकहोल्डर्स अपना नाम और मोबाइल लिखने के बाद ओटीपी वैलिडेशन के जरिए नए इनकम टैक्स विधेयक को लेकर अपने सुझाव दे सकते हैं. 

सीबीडीटी ने बयान में कहा, आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा के अनुरूप सुझाव एकत्र करने और संबंधित आयकर नियमों व विभिन्न प्रपत्रों (फॉर्म) के सरलीकरण पर काम करने का प्रयास जारी है. इस पहल का मकसद स्पष्टता बढ़ाना, अनुपालन बोझ को कम करना और अप्रचलित नियमों को समाप्त करना है जिससे करदाताओं तथा अन्य हितधारकों के लिए कर प्रक्रिया अधिक सुलभ हो सके. इसके अलावा, नियमों और प्रपत्रों को सुव्यवस्थित करने का उद्देश्य कर अनुपालन को सरल बनाना, करदाताओं की समझ में सुधार तथा दस्तावेज दाखिल करने की प्रक्रिया (फाइलिंग) को आसान बनाना, प्रशासनिक बोझ व त्रुटियों को कम करना और पारदर्शिता व दक्षता को बढ़ाना है. 

व्यापक परामर्श प्रक्रिया के तहत नियमों व प्रपत्रों की समीक्षा के लिए गठित समिति चार श्रेणियों में हितधारकों से सुझाव आमंत्रित करती है, जिनमें भाषा का सरलीकरण और मुकदमेबाजी व अनुपालन बोझ में कमी लाना शामिल है. 

ये भी पढ़ें

Gold Rate: सोने के दाम नए शिखर पर, 91000 रुपये के ऑलटाइम हाई के पार पहुंच गया भाव

 

Continue Reading

IPO ALERT: Arisinfra Solutions IPO में जाने Price Band, Allotment Status & Full Review | Paisa Live

इस Video में हम Arisinfra Solutions IPO के बारे में पूरी जानकारी देंगे, जिसमें IPO की GMP, Price Band, और Lot Size शामिल हैं। Arisinfra Solutions IPO के बारे में सभी Important Details जानें, जैसे इसके Launch Date, Subscription Dates और Expected Returns। हम इसके Risks और Benefits पर भी चर्चा करेंगे, ताकि आप सही निर्णय ले सकें। अगर आप Arisinfra Solutions IPO में निवेश करने की सोच रहे हैं तो इस Video को जरूर देखें। Arisinfra Solutions IPO के बारे में सब कुछ जानने के लिए Video अंत देखें और Video अच्छी लगे तो Like, Comment and Share करना ना भूलें!

Continue Reading