1 लाख के करीब पहुंचा सोना… 10 ग्राम की कीमत 98000 के पार, चेक करें आपके शहर में आज कितना है गोल्ड रेट

Gold-Silver Price Today: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ वॉर ने ग्लोबल मार्केट को हिलाकर रख दिया है. इस दौरान लोग सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की खरीदारी कर अपने पोर्टफोलियो को सिक्योर कर रहे हैं. यही वजह है कि इस साल अब तक सोने की कीमत में 25 परसेंट तक की बढ़ोतरी हुई है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी, कमजोर होते डॉलर, आर्थिक मंदी की आशंकाओं के चलते सोने की कीमतें आसमान छूने पर मजबूर हैं. 

इतनी है आज MCX पर सोने-चांदी की कीमत

22 अप्रैल को सुबह 7 बजे एमसीएक्स पर सोने की कीमत 73 रुपये प्रति 10 ग्राम बढ़कर 97,352 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई, जो अब तक का नया हाई लेवल है. इसी तरह से एमसीएक्स पर चांदी की कीमत भी 238 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़कर 97,275 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. इंडियन बुलियन एसोसिएशन (IBA) के आंकड़ों के मुताबिक, आज 24 कैरेट सोने की कीमत 97,560 रुपये प्रति 10 ग्राम है. इसके अलावा, 22 कैरेट सोने की कीमत 89,430 रुपये प्रति 10 ग्राम है. IBA की वेबसाइट के अनुसार, 22 अप्रैल को सुबह 7 बजे चांदी की कीमत 95,720 रुपये प्रति किलोग्राम थी. 

सोने-चांदी का लेटेस्ट प्राइस

मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत आज 98,360 रुपये है. वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यह 98,510 रुपये प्रति 10 ग्राम है. मुंबई में 22 कैरेट सोने की 10  ग्राम की कीमत कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद के बराबर 90,160 रुपये है. वहीं, दिल्ली में 10 ग्राम 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 90,310 रुपये है. दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में एक किलोग्राम चांदी की कीमत 1,01,100 रुपये है. चेन्नई में एक किलोग्राम चांदी की कीमत 1,11,100 रुपये है. 

अमेरिका में भी सोने की कीमत में तेजी

अमेरिका में भी मंगलवार को सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी रही. ट्रंप के फेड रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल की आलोचना किए जाने और व्यापार को लेकर बढ़ते तनाव के बीच आर्थिक विकास में रुकावट आने की आशंकाओं से सुरक्षित निवेश के रूप से सोने की डिमांड बढ़ी है. शुरुआती कारोबार में हाजिर सोना 0.1 परसेंट की उछाल के साथ 3,443.79 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड लेवल को छूने के बाद हाजिर सोना 0.1 परसेंट की बढ़त के साथ 3,429.03 डॉलर प्रति औंस रहा. 

ये भी पढ़ें:

अमेरिका के खिलाफ TikTok बना चीन का नया हथियार…बड़े ब्रांड्स की लंका लगा रहे ड्रैगन के ‘सोशल सिपाही’

Continue Reading

अमेरिकी बाजार के धराशायी होने के बाद अब एशियाई मार्केट में आई गिरावट, ट्रंप-फेड विवाद का दिख रहा असर

Share Market: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल की आलोचना किए जाने के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों का भरोसा डगमगा गया है. इसके चलते अमेरिकी शेयरों और डॉलर में भारी गिरावट आई है. बेंचमार्क S&P 500 इंडेक्स में सोमवार को 2.36 परसेंट तक की गिरावट आई, जो इस साल एक दिन में हुई अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. 

तीन साल के निचले स्तर पर पहुंचा डॉलर

इस बीच, टेक-हैवी नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्‍स में भी 2.55 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई. इसी के साथ यह इंडेक्स इस साल की शुरुआत से अपने पोजीशन से लगभग 18 परसेंट नीचे फिसल गया है. सोमवार को डॉलर तीन साल के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. यूरो, येन, फ्रैंक जैसी प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले यह 97.92 तक गिर गया. सोमवार को सरकारी बॉन्ड में भी गिरावट आई क्योंकि निवेशकों ने आमतौर पर सुरक्षित मानी जाने वाली परिसंपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया. अमेरिका में 10-वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल बढ़कर 4.4 परसेंट के पार जा रहा है. 

एशियाई बाजार में भी सुस्ती

मंगलवार को एशियाई मार्केट की शुरुआत भी सुस्ती के साथ हुई. जापान का निक्केई 225, हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स और ताइवान का taiex इंडेक्स में कारोबार की शुरुआत में क्रमशः 0.8 परसेंट, 0.6 परसेंट और 0.5 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई. ट्रंप ब्याज दरों में कटौती करने से इनकार करने पर फेड रिजर्व के अध्यक्ष पावेल पर भड़के हुए हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पावेल को ‘Major Loser’ और ‘Mr Too Late’करार दिया है. उन्होंने पावेल को पद से हटाने की भी धमकी दी है. अब वह उन्हें कानूनी रूप से हटाए जाने के तरीकों पर अपनी टीम के साथ विचार कर रहे हैं. 

 

ये भी पढ़ें:

1 लाख के करीब पहुंचा सोना… 10 ग्राम की कीमत 98000 के पार, चेक करें आपके शहर में आज कितना है गोल्ड रेट

Continue Reading

ट्रेड वॉर, ट्रंप और Tesla की गिरती साख…एलन मस्क के लिए अब एक तरफ कुआं एक तरफ खाई वाली स्थिति

इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता Tesla इन दिनों बड़ी मुसीबत में फंसी हुई है, जहां राजनीति, व्यापार और कंपनी की छवि सब एक साथ उलझ गए हैं. इस बार कंपनी की परेशानी का केंद्र बना है, अमेरिका-चीन के बीच छिड़ा ट्रेड वॉर और Tesla के CEO एलन मस्क की अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से नजदीकी.

मंगलवार को Tesla के नतीजे आने वाले हैं और Musk को निवेशकों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ेगा. सवाल होंगे, ट्रंप के 25 फीसदी टैरिफ का Tesla पर असर क्या पड़ा? Musk अब “Department of Government Efficiency” यानी DOGE से किनारा कब करेंगे? और क्या Robotaxi और सस्ते Tesla मॉडल्स के वादे हकीकत में बदलेंगे या सिर्फ बातों में ही रहेंगे?

Tesla की बिक्री में बड़ी गिरावट

Tesla की बिक्री में इस साल की पहली तिमाही में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है. लगातार डबल-डिजिट ग्रोथ के बाद ये गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई है. Tesla के शेयर दिसंबर से अब तक आधे हो चुके हैं और यह सिलसिला अभी थमता नहीं दिख रहा.

ट्रंप के गले में फंसी टैरिफ की हड्डी

अब Musk के सामने दोहरी मुश्किल है, अगर वो ट्रंप के करीब रहते हैं, तो अमेरिका और चीन में उनकी ब्रांड वैल्यू को नुकसान हो सकता है. वहीं, अगर वो दूरी बनाते हैं, तो ट्रंप प्रशासन की नाराजगी झेलनी पड़ेगी. यानी न उगलते बन रहा है, न निगलते.

चीन में Tesla ने अपने महंगे Model S और Model X की बुकिंग बंद कर दी है, क्योंकि इन पर चीन ने 125 फीसदी का जवाबी टैक्स लगा दिया है. हालांकि ये मॉडल कंपनी की कुल बिक्री का छोटा हिस्सा हैं, लेकिन चीन Tesla के लिए दूसरा सबसे बड़ा मार्केट है, जहां से कंपनी ने 2024 में 20.9 बिलियन डॉलर की कमाई की थी.

एलन मस्क से जवाब मांग रहे निवेशक

निवेशकों को अब Musk से जवाब चाहिए कि क्या वो Tesla की गिरती ब्रांड इमेज को सुधारने के लिए सरकार के कामकाज से दूरी बनाएंगे? सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की साइट पर हजारों निवेशक ऐसे सवाल पूछ चुके हैं, “क्या Tesla ने ऑर्डर रेट में कोई बदलाव महसूस किया है?” या “क्या Elon को अब पूरी तरह Tesla पर फोकस करना चाहिए और पॉलिटिक्स से दूरी बना लेनी चाहिए?”

हाल ही में जब Musk ने Tesla कर्मचारियों के साथ एक मीटिंग की, तो कंपनी के शेयरों में थोड़ी उछाल आई, लेकिन जैसे ही पहली तिमाही की गिरती बिक्री की रिपोर्ट आई, शेयर फिर धड़ाम हो गए. उसी दिन एक खबर आई कि Musk सरकार की भूमिका से हटने वाले हैं और शेयर चढ़ गए. लेकिन Musk ने खुद उस खबर को झूठा बताया.

Musk के तमाम वादे, जैसे कि self-driving Robotaxi, Austin में ड्राइवरलेस राइड सर्विस और इंसानी जैसे रोबोट्स अभी भी अधूरे हैं. वहीं, Uber और Google की Waymo कंपनी पहले ही ड्राइवरलेस टैक्सी सर्विस शुरू कर चुकी हैं.

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर Musk ने Robotaxi प्लान को फिर टाल दिया, तो Tesla के शेयरों के लिए ये बहुत ही बुरी खबर होगी. क्योंकि वित्तीय मोर्चे पर तो कोई अच्छी खबर आने की उम्मीद नहीं है. Tesla फिलहाल एक ऐसी स्थिति में फंसी है जहां हर रास्ता जोखिम से भरा है, ट्रंप से नजदीकी बनाए रखो तो ब्रांड डैमेज, दूरी बनाओ तो राजनीतिक नुकसान.

ये भी पढ़ें: इन स्टॉक्स ने बरसाया निवेशकों पर पैसा…सप्ताह के पहले दिन शेयर बाजार ने लगाई 6 लाख करोड़ की छलांग

Continue Reading

‘अंजाम भुगतना पड़ेगा’…चीन ने डोनाल्ड ट्रंप के दोस्तों को दी धमकी, भारत भी निशाने पर!

US China Trade War: अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर अब और भी पेचीदा मोड़ ले रही है. ताज़ा मामला बीजिंग से आया है, जहां चीन ने साफ-साफ बोल दिया है कि अगर कोई देश अमेरिका से ऐसी ट्रेड डील करता है जो चीन के हितों को चोट पहुंचाए, तो जवाब कड़ा मिलेगा.

क्यों गुस्से में है चीन

दरअसल, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमेरिका अब दूसरे देशों को “लुभा” रहा है, मतलब, अगर वो चीन से अपनी ट्रेड डील घटाएंगे, तो उन्हें टैरिफ में छूट मिलेगी. इसे सुनकर चीन भड़क गया है. चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “अगर ऐसा हुआ तो हम बिलकुल भी चुप नहीं बैठेंगे. ज़रूरी हुआ तो हम भी जवाब देंगे.”

इशारा किन देशों की ओर है?

अब चीन ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उसका इशारा साफ था कि यूरोपीय यूनियन, जापान, ASEAN देश और यहां तक कि भारत भी उसके रडार पर हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका कई देशों पर दबाव बना रहा है कि वे चीन से दूरी बनाएं और बदले में अमेरिका से बाज़ार में एक्सेस पाएं.

चीन ने लगाए आरोप

चीन ने अमेरिका की इस चाल को “हेजेमोनिक पॉलिटिक्स” यानी दबदबे की राजनीति और “यूनिलैटरल बुलीइंग” कहा है. चीन का कहना है कि अमेरिका अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहा है और दूसरे देशों को धमका रहा है.

दबाव में है चीन

चीन पहले से ही अमेरिका के 245 फीसदी तक के टैरिफ झेल रहा है. चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी सामानों पर 125 फीसदी तक टैक्स लगा दिया है. लेकिन अब जब चीन की खुद की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही है और ग्लोबल डिमांड भी कम है, तो बीजिंग और सतर्क हो गया है.

ASEAN देशों की स्थिति क्या है?

बड़ी बात ये है कि ASEAN देश इस मुद्दे पर बहुत संतुलित नजर आ रहे हैं. मलेशिया, जो अभी ASEAN का अध्यक्ष है, ने साफ कहा है, “हम किसी एक को नहीं चुन सकते और ना ही चुनेंगे.” मतलब अमेरिका और चीन के बीच बैलेंस बनाकर चलना है.

भारत क्या करेगा?

अब सबसे बड़ा सवाल भारत को लेकर है. भारत के लिए दोनों देशों के साथ रिश्ते अहम हैं. एक तरफ अमेरिका के साथ टेक्नोलॉजी और डिफेंस में मजबूत सहयोग और दूसरी ओर चीन के साथ बड़ा व्यापारिक संबंध. ऐसे में भारत जैसे देशों के लिए यह एक टाइटरोप वॉक बन गया है, यानी किसे नाराज़ किया जाए और किसे मनाया जाए?

अब आगे क्या होगा?

इस पूरी कहानी से इतना तो साफ है कि ग्लोबल ट्रेड एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है. अमेरिका जहां अपने हित साधने की कोशिश कर रहा है, वहीं चीन अब सीधे धमकी की भाषा पर उतर आया है और बीच में फंसे हैं भारत जैसे देश, जिनकी रणनीति अब सबसे ज्यादा मायने रखेगी.

ये भी पढ़ें: ट्रेड वॉर, ट्रंप और Tesla की गिरती साख…एलन मस्क के लिए अब एक तरफ कुआं एक तरफ खाई वाली स्थिति

Continue Reading

Gold Price Today: सोना 21 अप्रैल को हुआ कितना सस्ता? क्या ये खरीदने का सही मौका? जानें आपके शहर के नए रेट्स

Gold Price Today 21 April: बीते हफ्ते के मुकाबले पहले कारोबारी दिन सोमवार को सोना की कीमत में मामूली गिरावट आयी है. देश के ज्यादातर भाग में सोना 97,700 रुपये के ऊपर है. जबकि चांदी का भाव 99,900 के पार है. आइये जानते हैं आपके शहर में सोना किस रेट पर मिल रहा है.

21 अप्रैल को 22 कैरेट सोना दिल्ली में 89,590 रुपये और 24 कैरेट 97,720 रुपये की दर से मिल रहा है. चेन्नई में 22 कैरेट सोना 89,440 और 24 कैरेट सोना 97,5570 रुपये पर कारोबार कर रहा है. इसी तरह से मुंबई में 22 कैरेट सोना 89,440 रुपये और 24 कैरेट सोना 97,570 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर पर बिक रहा है. कोलकाता में 22 कैरेट सोना 89,440 रुपये और 24 कैरेट सोना 97,570 रुपये के दर से मिल रहा है.

निवेशकों की पहली पसंद

सोने की कीमत गुरुवार को दूसरी बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुचंने के बाद सोमवार को भी इसमें उछाल देखने को मिला है. कॉमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में गोल्ड फ्यूचर्स शुरुआती कारोबार में 1196 रुपये यानी 1.26 प्रतिशत की बढ़त के साथ 96,450 रुपये पर पहुंच गया. इससे पहले तीन दिनों तक बाजार बंद रहा. शुक्रवार को गुड फ्राइडे और उसके बाद वीकेंड यानी शनिवार और रविवार पड़ गया.

सोमवार की सुबह 6.53 के मुताबिक, सोना 95,440 रुपये पर कारोबार कर रहा है. इंडियन बुलियन एसोसिएशन के मुताबिक, 17 अप्रैल को सोने के दाम में करीब 2000 रुपये का इजाफा हुआ था और ये 95,880 रुपये से बढ़कर 96,450 रुपये तक पहुंच गया. 

एसोसिएशन के मुताबिक, दिल्ली में सोना प्रति 10 ग्राम 95,100 रुपये की तरफ से बिक रहा है. मुंबई में दिल्ली के मुकाबले सोना महंगा बिक रहा है. वहां पर सोना 95,260 रुपये, जबकि कोलकाता में सोना की कीमत बढ़कर 95,140 रुपये हो गई है. बेंगलुरू में सोना 95,340 रुपये तो वहीं चेन्नई में सबसे ज्यादा 95,540 रुपये पर कारोबार कर रहा है.

सुरक्षित निवेश है सोना

मल्टी कॉमोडिटी एक्सचेंज पर सोने की कीमत में करीब 0.44 प्रतिशत की कमी आयी है और ये 95,239 पर कारोबार कर रहा है. जबकि वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर सोने की कीमत में करीब 1.44 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 3,374 डॉलर पर कारोबार कर रहा है.

14 मार्च को पहली बार सोने की कीमत 3,000 डॉलर के पार कर गई थी और उसके बाद से इसकी कीमत में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. जब से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाया, उसके बाद से जहां एक तरफ ग्लोबल शेयर मार्केट में गिरावट है तो वहीं दूसरी तरफ सोने के दाम आसमान छू रहा है. बाजार में जारी अनिश्चितताओं के बीच निवेशकों के लिए निवेश का सबसे सुरक्षित विकल्प माना जा रहा है.  हालांकि, ट्रंप की तरफ से चीन को छोड़कर बाकी देशों पर टैरिफ के ऊपर 90 दिनों का ब्रेक लगाया गया. इससे बाजार में फिर वापसी का दौर दिखा और ग्लोबल मार्केट में सुधार के संकेत हैं. सोमवार को चांदी की कीमत भी बढ़कर प्रति किलो 95,430 पर कारोबार कर रही है. 

ये भी पढ़ें: ट्रंप के टैरिफ ने मचाया पूरी दुनिया में कोहराम लेकिन कैसे नहीं हिला पाया भारतीय बाजार!

Continue Reading

बैंकिंग स्टॉक्स में तेजी से गुलजार भारतीय शेयर बाजार, 540 अंक उछला सेंसेक्स, 24000 के करीब निफ्टी

Stock Market Updates: बैंकिंग स्टॉक्स में मजबूती की वजह से भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान बढ़त देखने को मिली है. 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स तीन सौ अंक ऊपर चढ़कर 78,903.09 पर खुला और फिर इसमें शानदार उछाल देखने को मिली. सुबह करीब 9 बजकर 20 मिनट पर सेंसेक्स 0.60 प्रतिशत यानी 472 अंक चढ़कर 79,025.56 पर था. इसी तरह से एनएसई 50 में भी इसी तरह की तेजी दिखी. सुबह करीब सवा नौ बजे 0.40 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 23,969.40 पर पहुंच गया. 

शेयर बाजार में उछाल

सबसे ज्यादा फायदे में बीएसई पर आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, महिन्द्र एंड महिन्द्र, सन फार्मा और इंडसंड बैंक रहा. इन्फोसिस, आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंकिंग स्टॉक्स में मजबूती से बाजार को पूरा समर्थन मिल रहा है. इससे पहले, गुरुवार को स्टॉक मार्केट दो दिनों की तेजी के बाद कमजोर शुरुआत के साथ कारोबार किया. सेंसेक्स में करीब 320 अंक की गिरावट आयी तो वहीं निफ्टी गिरकर 23350 के नीचे चला गया. मार्केट खुलते ही सेंसेक्स 181.39 प्वाइंट यानी 0.24 % की नीचे चला गया और ये 76862.90 पर पहुंच गया. जबकि, निफ्टी करीब 100 अंक टूटकर 23,300 के स्तर पर कारोबार कर रहा था.

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले हफ्ते घरेलू शेयर बाजारों में करीब 8,500 करोड़ रुपये डाले. इस महीने की शुरुआत में FPI ने घरेलू बाजार में बिकवाली की थी. इसके बाद ग्लोबल ट्रेड के मोर्चे पर कुछ राहत की उम्मीद और मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था से इन्वेस्टर्स का भरोसा बढ़ा. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक,, कम कारोबारी सत्रों वाले 18 अप्रैल को खत्म हुआ हफ्ते के दौरान FPI ने शेयरों में शुद्ध रूप से 8,472 करोड़ रुपये का निवेश किया.  इसमें 15 अप्रैल को 2,352 करोड़ रुपये की निकासी भी शामिल है.

FPI की होने लगी वापसी!

हालांकि, इसके अगले दो सत्रों में उन्होंने 10,824 करोड़ रुपये का इन्वेस्ट किया. मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि FPI गतिविधियों में हालिया तेजी से धारणा में संभावित बदलाव का संकेत मिलता है, लेकिन इस प्रवाह की स्थिरता वैश्विक वृहद आर्थिक स्थिति, अमेरिकी व्यापार नीति में स्थिरता और भारत की घरेलू वृद्धि के परिदृश्य पर निर्भर करेगी.

गौरतलब है कि बीते हफ्ते बाजार में तेजी के चलते सेंसेक्स की टॉप 10 कंपनियों का मार्केट कैपिटल कंबाइंड 3.84 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया है. इससे निवेशकों की जबरदस्त कमाई हुई है. मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज की बाजार वैल्यू 74,766.36 रुपये बढ़ी. इसके साथ ही, भारती एयरटेल की मार्केट वैल्यू 75,210.77 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ था.

ये भी पढ़ें: सोना खरीदने का क्या 21 अप्रैल सोमवार को बढ़िया मौका? जानें आज आपके शहर के नए रेट्स

Continue Reading

Dividend Stocks: पोर्टफोलियो में नहीं हैं तो तुरंत कर लीजिए शामिल…इन 6 बड़ी कंपनियों के शेयर बरसाने वाले हैं पैसा

शेयर बाजार में एक बार फिर डिविडेंड का दौर शुरू हो गया है. देश की कई दिग्गज कंपनियों ने अपने निवेशकों को मुनाफा बांटते हुए फाइनल डिविडेंड का ऐलान कर दिया है. इनमें टेक्नोलॉजी सेक्टर से लेकर मैन्युफैक्चरिंग और बैंकिंग तक की बड़ी कंपनियां शामिल हैं. अगर आप पहले से इन कंपनियों में निवेश कर चुके हैं या निवेश की योजना बना रहे हैं, तो उनके डिविडेंड अमाउंट और रिकॉर्ड डेट पर नजर रखना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है.

TCS का बड़ा ऐलान

टाटा ग्रुप की प्रमुख आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने 30 रुपये प्रति शेयर का फाइनल डिविडेंड देने की घोषणा की है. हालांकि कंपनी ने अभी तक इस डिविडेंड के लिए रिकॉर्ड डेट का खुलासा नहीं किया है.

इससे पहले दिसंबर 2023 की तिमाही में TCS ने 10 रुपये का अंतरिम डिविडेंड और 66 रुपये का स्पेशल डिविडेंड घोषित किया था, जो निवेशकों के लिए एक बड़ा रिटर्न साबित हुआ.

Infosys की मजबूत पेशकश

दूसरी प्रमुख आईटी कंपनी Infosys ने भी 22 रुपये प्रति शेयर का फाइनल डिविडेंड घोषित किया है. कंपनी पहले ही इस वित्त वर्ष में 21 रुपये का अंतरिम डिविडेंड दे चुकी है. अगर पिछले साल की बात करें, तो Infosys ने कुल मिलाकर 46 रुपये का डिविडेंड दिया था जिसमें 18 रुपये का अंतरिम, 8 रुपये का स्पेशल और 20 रुपये का फाइनल डिविडेंड शामिल था.

Swaraj Engines ने सबको चौंकाया

महिंद्रा एंड महिंद्रा की सहायक कंपनी Swaraj Engines ने निवेशकों को जबरदस्त तोहफा दिया है. कंपनी ने 104.50 रुपये प्रति शेयर का फाइनल डिविडेंड घोषित किया है, जो इस लिस्ट की सबसे बड़ी रकम है. रिकॉर्ड डेट 27 जून 2025 तय की गई है. कंपनी में M&M की 52.1 फीसदी हिस्सेदारी है.

HDFC Bank की सिफारिश

देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC Bank ने भी 22 रुपये प्रति शेयर के डिविडेंड की सिफारिश की है. हालांकि इसे अभी शेयरहोल्डर्स की मंजूरी मिलनी बाकी है. डिविडेंड के लिए रिकॉर्ड डेट 27 जून 2025 निर्धारित की गई है. इससे पहले बैंक ने पिछले दो वित्त वर्षों में क्रमशः 19.50 रुपये और 19 रुपये का फाइनल डिविडेंड दिया था.

Angel One और ICICI Bank की स्थिति

Angel One ने भी निवेशकों को लुभाने के लिए 26 रुपये प्रति शेयर के फाइनल डिविडेंड की सिफारिश की है. कंपनी पहले ही दो बार 11 रुपये का अंतरिम डिविडेंड दे चुकी है. वहीं, ICICI Bank ने 11 रुपये प्रति शेयर का फाइनल डिविडेंड देने की बात कही है. यह प्रस्ताव भी शेयरधारकों की मंजूरी के अधीन है. बैंक का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है.

निवेशकों के लिए जरूरी बात

डिविडेंड उन निवेशकों के लिए खास होता है जो लॉन्ग टर्म में कंपनियों में बने रहना चाहते हैं और नियमित आय चाहते हैं. इस साल जिन कंपनियों ने डिविडेंड का ऐलान किया है, वे सभी अपने-अपने सेक्टर्स की मजबूत खिलाड़ी हैं. ऐसे में इन कंपनियों की रिकॉर्ड डेट और डिविडेंड अमाउंट को ट्रैक करना स्मार्ट इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी का हिस्सा हो सकता है.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

Continue Reading

72, 114 और 144 का नियम… आसान फॉर्मूले से जानिए कब कितनी गुना बढ़ेगा आपका निवेश किया हुआ पैसा

Best Investment Plan: अगर आप भी अपने पैसे को निवेश के जरिए दोगुना, तीन गुना या चार गुना करने का सपना देख रहे हैं, तो आपके लिए सिर्फ पैसा लगाना ही काफी नहीं है, बल्कि समझदारी से निवेश करना और उसका गणित समझना भी जरूरी है.

निवेश की दुनिया में कुछ ऐसे आसान नियम हैं, जो आपको यह अनुमान लगाने में मदद कर सकते हैं कि किसी खास रिटर्न के साथ आपका पैसा कितने समय में कितनी गुना बढ़ेगा. इन्हीं में से हैं 72 का नियम, 114 का नियम और 144 का नियम.

72 के नियम से पैसा कब होगा डबल?

यह सबसे लोकप्रिय नियम है जो बताता है कि किसी निवेश में आपके पैसे को दोगुना होने में कितने साल लगेंगे. इस नियम का फार्मूला बेहद आसान है. 72 को सालाना ब्याज दर से भाग दें. यानी अगर आप 1 लाख रुपये 8 फीसदी सालाना रिटर्न देने वाले निवेश में लगाते हैं, तो 72 ÷ 8 = 9 साल. यानि 1 लाख रुपये को दोगुना यानी 2 लाख बनने में 9 साल लगेंगे.

114 का नियम समझिए

अगर आप जानना चाहते हैं कि आपका पैसा कब तीन गुना होगा, तो 72 की जगह 114 का इस्तेमाल करें. यह नियम आपको एक कदम आगे की प्लानिंग करने में मदद करता है. इसे ऐसे समझिए कि अगर सालाना रिटर्न 10 फीसदी है, तो 114 ÷ 10 = 11.4 साल. इसका मतलब 1 लाख रुपये को 3 लाख बनने में 11.4 साल लगेंगे.

144 का नियम समझिए

अब बात करते हैं पैसे को चार गुना करने की. इसके लिए 144 का नियम सबसे उपयुक्त है. आप इसमें अपनी स्कीम का रिटर्न डालकर पता कर सकते हैं कि निवेश कितने साल में चार गुना होगा. यानी अगर सालाना रिटर्न 12 फीसदी है तो 144 ÷ 12 = 12 साल. यानि 1 लाख रुपये को 4 लाख बनने में 12 साल लगेंगे.

कैसे करें इन नियमों का इस्तेमाल?

इन तीनों नियमों का इस्तेमाल सिर्फ फ्यूचर वैल्यू का अनुमान लगाने के लिए ही नहीं, बल्कि निवेश योजना तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है. यानी अगर आपके पास कोई विशेष लक्ष्य है, जैसे बच्चों की पढ़ाई, घर खरीदना या रिटायरमेंट, तो आप इन नियमों के जरिए ये तय कर सकते हैं कि कितने समय में उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आपको कितने प्रतिशत रिटर्न वाली योजना में निवेश करना चाहिए.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

ये भी पढ़ें: Dividend Stocks: पोर्टफोलियो में नहीं हैं तो तुरंत कर लीजिए शामिल…इन 6 बड़ी कंपनियों के शेयर बरसाने वाले हैं पैसा

Continue Reading

सिर्फ एक हफ्ते में 1910 रुपया महंगा हुआ सोना, चेक करें देश के इन बड़े शहरों में लेटेस्ट गोल्ड रेट

Gold Prices in India: सोने की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. पिछले एक हफ्ते में 24 कैरेट सोना 1910 रुपया महंगा हुआ है. वहीं, अगर 22 कैरेट गोल्ड की बात करें, तो इसकी कीमत एक हफ्ते में 1750 रुपये बढ़ी है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का भाव इस वक्त 97,730 रुपये है. आज हम आपको देश के कुछ बड़े शहरों में 24 कैरेट और 22 कैरेट सोने की कीमत की जानकारी देने जा रहे हैं- 

  • दिल्ली में 24 कैरेट सोने की कीमत 97,730 रुपये प्रति 10 ग्राम है. वहीं, इतने ही ग्राम के 22 कैरेट सोने का भाव 89,600 रुपये है. 
  • कोलकाता, मुंबई और चेन्नई देश के इन तीन महानगरों में 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत 97,580 रुपये है. जबकि 22 कैरेट सोने की कीमत 89,450 रुपये है. 
  • हैदराबाद में 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 97,580 रुपये है. यहां 22 कैरेट सोने की कीमत  89,450 रुपये है. वहीं, अहमदाबाद में 24 कैरेट सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 97,630 रुपये है और 22 कैरेट सोने की कीमत 89,500 रुपये है. इसी तरह से भोपाल में भी 24 कैरेट सोना 97,630 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर बिक रहा है और इतने ही ग्राम के 22 कैरेट सोने की कीमत 89,500 रुपये है.
  • जयपुर, लखनऊ और चंडीगढ़ इन तीनों शहरों में 10 ग्राम के 24 और 22 कैरेट सोने की कीमत क्रमश: 97,730 रुपये और 89,600 रुपये है.

चांदी की कीमत

सिर्फ सोने की ही नहीं बल्कि हफ्तेभर में चांदी की भी कीमत में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. चांदी का भाव इस वक्त 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पर ही बरकरार है. 

देश में सोने का आयात 192 परसेंट बढ़ा

मार्च 2025 में भारत में सोने का आयात 192.13 परसेंट बढ़कर 4.47 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. वित्त वर्ष 2024-25 में सोने का टोटल इम्पोर्ट  27.27 परसेंट बढ़कर 58 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि 2023-24 में यह 45.54 अरब डॉलर था.

वहीं, मार्च में चांदी के आयात में गिरावट आई है. यह मार्च में 85.4 परसेंट घटकर 11.93 करोड़ डॉलर रह गया है. वित्त वर्ष 2024-25 में 11.24 परसेंट गिरावट के साथ चांदी का आयात 4.82 अरब डॉलर पर आ गया है.

भारत के लिए सोने का सबसे बड़ा सप्लायर देश स्विट्जरलैंड रहा, जिसकी हिस्सेदारी 40 परसेंट रही. इसके बाद क्रमश: 16 परसेंट और 10 परसेंट की हिस्सेदारी के साथ UAE और दक्षिण अफ्रीका दूसरे और तीसरे स्थान पर है.

 

ये भी पढ़ें:

ICICI Bank ने किया डिविडेंड का ऐलान, निवेशकों को हर शेयर पर मिलेगा 11 रुपये का फायदा

Continue Reading

इस कंपनी में अपनी 18.8 परसेंट हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में ICICI Bank, मिलेंगे इतने करोड़ रुपये

ICICI Bank: प्राइवेट सेक्टर के बैंक आईसीआईसीआई ने शनिवार को घोषणा की कि बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने उसकी सहयोगी कंपनी NIIT Institute of Finance Banking and Insurance Training Limited (NIIT-IFBI) में अपनी पूरी 18.8 परसेंट हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दे दी है. 

बिक्री से बैंक को मिलेंगे इतने करोड़ रुपये

यह सौदा ICICI ग्रुप के बाहर की एक दूसरी लिस्टेड कंपनी के साथ किया जाएगा. लेन-देन के इस प्रक्रिया की 30 सितंबर, 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है. NIIT-IFBI एक बैंकिंग, फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर के लिए प्रोफेश्नल ट्रेनिंग देने वाली एक संस्था है, जिसका वित्त वर्ष 2024 में ऑपरेश्नल रेवेन्यू 56.67 करोड़ रुपये रहा. 31 मार्च, 2024 तक कंपनी का टोटल नेट वर्थ 21.93 करोड़ रुपये था.

आईसीआईसीआई बैंक को इस बिक्री से 4.7 करोड़ से लेकर 6.58 करोड़ रुपये तक मिलने की उम्मीद है. शेयरों का खरीदार ग्लोबल टैलेंट डेवलपमेंट कंपनी NIIT है. यानी कि बिक्री के बाद इस इकाई पर NIIT लिमिटेड का मालिकाना हक होगा. बता दें कि NIIT लिमिटेड आईसीआईसीआई बैंक के प्रमोटर या समूह कंपनियों से संबद्ध नहीं है. 

मार्च तिमाही में बैंक का शानदार प्रदर्शन

बैंक ने NIIT-IFBI में अपनी हिस्सेदारी बेचने का ऐलान एक ऐसे समय में किया जब मार्च तिमाही में बैंक ने दमदार परफॉर्मेंस की घोषणा की. बैंक ने शनिवार को बताया कि मार्च तिमाही में उसका कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 15.7 परसेंट की उछाल के साथ 13,502 करोड़ रुपये रहा. स्टैंडअलोन बेसिस पर, जनवरी-मार्च तिमाही के लिए देश के इस दूसरे सबसे बड़े प्राइवेट बैंक का नेट प्रॉफिट 12,630 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 10,708 करोड़ से 18 परसेंट ज्यादा है. 

इंटरेस्ट से बैंक की कमाई 11 परसेंट बढ़कर 21,193 करोड़ रुपये हो गई है, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 19,093 करोड़ रुपये थी. ट्रेजरी को छोड़कर बैंक का नॉन-इंटरेस्ट इनकम 18.4 परसेंट बढ़कर 7,021 करोड़ रुपये हो गई. वहीं, ग्रॉस NPA रेश्यो भी सुधरकर 1.67 परसेंट रह गया, जो दिसंबर में 1.96 परसेंट था.  चौथी तिमाही में शानदार प्रदर्शन के बाद बैंक के बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 11 रुपये प्रति शेयर के डिविडेंड की सिफारिश की है.

ये भी पढ़ें:

सिर्फ एक हफ्ते में 1910 रुपया महंगा हो गया सोना, चेक करें देश के इन बड़े शहरों में सोने का लेटेस्ट रेट

Continue Reading

गुलाब शरबत: स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य और राष्ट्र सेवा का दावा भी करता है पतंजलि

Patanjali Business News: योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि का गुलाब शरबत आर्टिफिशियल रंग, प्रिजर्वेटिव्स और बहुत चीनी वाले पारंपरिक ड्रिंक्स को टक्कर दे रहा है. कंपनी का दावा है कि यह शरबत न केवल स्वादिष्ट और ताजगी भरा है, बल्कि यह आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित है. कंपनी का लक्ष्य है कि लोग कैफीन, सोडा और पानी आधारित हानिकारक पेय पदार्थों से दूर रहें और प्राकृतिक, स्वस्थ विकल्प अपनाएं. 

कंपनी का कहना है, ”पतंजलि का दृष्टिकोण सिर्फ उत्पाद बेचना नहीं है. यह कंपनी समाज के कमजोर वर्गों, खासकर गरीब और आदिवासी समुदायों की मदद करना चाहती है. इसके लिए पतंजलि शिक्षा के क्षेत्र में भी काम कर रही है.” कंपनी का मानना है कि स्वस्थ शरीर और शिक्षित दिमाग ही देश को मजबूत बनाते हैं. गुलाब शरबत जैसे उत्पादों से होने वाली आय का कुछ हिस्सा इन सामाजिक कार्यों में लगाया जाता है.

क्या है गुलाब शरबत की खासियत?

कंपनी ने अपने पेय पदार्थ गुलाब शरबत के बारे में बताया है, ”इसकी खासियत यह है कि यह पूरी तरह प्राकृतिक सामग्री से बनता है. इसमें गुलाब की पंखुड़ियों का अर्क होता है, जो न केवल स्वाद बढ़ाता है, बल्कि शरीर को ठंडक और ताजगी भी देता है. यह शरबत गर्मियों में विशेष रूप से लोकप्रिय है, क्योंकि यह प्यास बुझाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है.” पतंजलि का कहना है कि उनके उत्पाद आयुर्वेद की पुरानी परंपराओं को आधुनिक तरीके से लोगों तक पहुंचाते हैं.

राष्ट्र सेवा को लेकर कंपनी ने क्या कहा?

राष्ट्र सेवा को लेकर कंपनी ने कहा है, ”पतंजलि का यह प्रयास देश के हर कोने में पहुंच रहा है. हमारा मकसद है कि हर भारतीय तक आयुर्वेद की पहुंच हो और कोई भी अस्वस्थ पेय पदार्थों का शिकार न बने. गरीब बच्चों को शिक्षा और आदिवासी समुदायों को बेहतर जीवन देने की दिशा में कंपनी के कदम देश के विकास में योगदान दे रहे हैं. इस तरह पतंजलि का गुलाब शरबत सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक बड़े सामाजिक मिशन का हिस्सा है.”

यह भी पढ़ें-
 
Continue Reading

5 रुपये से कम कीमत का ये स्टॉक दे सकता है तगड़ा रिटर्न, कंपनी ने किया 12 नए रिटेल आउटलेट खोलने का ऐलान

स्टॉक मार्केट में निवेश करने वालों को हमेशा ऐसे स्टॉक की तलाश होती है जो कम कीमत पर मिल रहे हों और जिनमें प्रॉफिट की संभावना ज्यादा हो. आज हम आपके लिए एक ऐसा ही स्टॉक लेकर आए हैं, जिसकी कीमत 5 रुपये से कम है और जिसमें प्रॉफिट देने की संभावना है.  चलिए, इस स्टॉक के बारे में विस्तार से बताते हैं.

क्या है इस स्टॉक का नाम?

शेयर बाजार में अगर आप उन स्टॉक्स की तलाश में हैं जो कम दाम में बड़ी संभावनाएं लिए हुए हैं, तो आप Sellwin Traders Ltd. पर नजर डाल सकते हैं. द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, 5 रुपये से कम दाम वाला इस पेनी स्टॉक में प्रॉफिट देने की संभावना है. दरअसल, कंपनी ने जो एक्सपेंशन प्लान सामने रखा है, उससे निवेशकों में नई हलचल मच गई है.

कंपनी ने आधिकारिक बयान में बताया है कि वो आने वाले 12 महीनों में देश के बड़े शहरों में 12 नए रिटेल आउटलेट खोलने जा रही है. वो भी फ्रैंचाइज़ी मॉडल के तहत. इस विस्तार में कंपनी करीब 15 करोड़ का निवेश करने वाली है, जिससे उसे 23.5 करोड़ का अनुमानित रेवेन्यू आने की उम्मीद है. बढ़ती डिमांड और हेरिटेज-रिच, क्वालिटी फूड प्रोडक्ट्स के ट्रेंड को देखते हुए Sellwin अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है.

कंपनी ने क्या कहा?

कंपनी ने अपने बयान में कहा, “Sellwin Traders Ltd. अगले 12 महीनों में भारत के प्रमुख शहरों में 12 नए स्टोर्स खोलने की योजना बना रही है. 15 करोड़ के निवेश से यह विस्तार किया जाएगा, जिससे लगभग 23.5 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट होने की उम्मीद है.”

बड़ी बात ये है कि कंपनी भारत तक सीमित नहीं रहना चाहती. अब Sellwin अपने कारोबार को मिडल ईस्ट, अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक फैलाने की योजना भी बना रही है. अपने ग्लोबल पोर्टफोलियो में Sellwin फ्रेश वेजिटेबल्स, प्रोसेस्ड फूड्स, सीरियल्स, मैंगो पल्प और सल्फर-लेस गुड़ जैसे भारतीय स्वाद वाले हेल्दी प्रोडक्ट्स शामिल करेगी.

शेयर का हाल कैसा रहा?

बीते गुरुवार यानी 18 अप्रैल को Sellwin Traders का शेयर 1.8 फीसदी की तेजी के साथ 3.39 पर बंद हुआ, जबकि पिछले सेशन में यह 3.33 रुपये था. शुक्रवार को गुड फ्राइडे की छुट्टी की वजह से मार्केट बंद रहा.

अगर हम स्टॉक की परफॉर्मेंस पर नजर डालें, तो इसने बीते तीन ट्रेडिंग सेशन्स में करीब 22 फीसदी का रिटर्न दिया है और पिछले पांच सेशन्स में 11.4 फीसदी की बढ़त दर्ज की है. हालांकि, साल 2025 की शुरुआत से अब तक (YTD) इस शेयर ने 26 फीसदी से ज़्यादा की गिरावट भी देखी है.

शेयर ने अपना 52-वीक हाई 5.89 (1 नवंबर 2024) पर और 52-वीक लो 2.71 (15 अप्रैल 2025) पर छुआ था. फिलहाल यह अपने लो लेवल से ऊपर ट्रेड कर रहा है और 76.24 करोड़ की मार्केट कैप के साथ छोटे निवेशकों के लिए एक दिलचस्प विकल्प बन चुका है.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

ये भी पढ़ें: अमेरिका-चीन सब हुए पीछे…भारत में यहां छिपा है सोने का साम्राज्य, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Continue Reading

दिल्ली से बेंगलुरू तक BluSmart कैब की सर्विस बंद, ओला-उबर की बल्ले-बल्ले, बढ़ सकता है निवेशकों को भरोसा

BluSmart Stops Cab Bookings: इलेक्ट्रिक कैब सर्विस देने वाली कंपनी ब्लूस्मार्ट की सेवा पर अब रोक लगा दी गई है. इसके बाद अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, से लेकर बेंगलुरु और मुंबई समेत देश के कई शहरों में लोग इसकी सेवाएं नहीं ले पाएंगे. लोन फर्जीवाड़ा केस में सेबी के एक्शन के बाद ब्लूस्मार्ट ने अपनी सेवाओं को बंद करने का ये फैसला किया है.

कंपनी की तरफ कहा गया कि बुधवार की शाम को बुकिंग लेनी बंद कर दी और गुरुवार को भी ये बुकिंग बंद रही. इसके बाद जहां एक तरफ ब्लूस्मार्ट कंपनी के हजारों ड्राइवरों की नौकरी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं तो वहीं इसके बाद लोग भी काफी परेशान होते रहे. सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे साझा भी किया. 

ब्लूस्मार्ट ने कस्टमर्स को भेजे अपनी ईमेल में कहा- हमने अस्थाई रुप से ब्लूस्मार्ट एप पर बुकिंग को बंद करने का फैसला किया है. गौरतलब है कि इसी हफ्ते सेबी ने अक्षय ऊर्जा कंपनी जेनसोल के खिलाफ फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए हैं और इसके प्रमोटर्स दोनों भाई अनमोल जग्गी और पुनीत जग्गी को शेयर बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है. हालांकि, ब्लूस्मार्ट के बंद होने का सीधा फायदा इसकी प्रतिस्पर्धी सर्विस देनेवाली कंपनी ओला, ऊपर, रेपिडो और इनड्राइव को होगा. 

हालांकि, ऐसा संकेत मिल रहा है कि इसका सबसे ज्यादा अगर किसी को फायदा मिलेगा तो वो कंपनी उबर है. निवेशकों का भी मानना है कि ये कंपनी अपनी दबदबा बढ़ाएगी, साथ ही अधिकतर यूजर्स ने भी इसी तरफ इशारा किया है. उबर के करीब एप्लीकेशन करीब 50 करोड़ लोगों ने डाउनलोड कर रखा है और ये इस मामले में 10 करोड़ डाउनलोड वाले रैपिडो, ओला या फिर इनड्राइव से काफी ज्यादा आगे है.

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल के जनवरी महीने में दिए एक आंकड़े के अनुसार, देश के टैक्सी मार्केट में औसत दैनिक सवारी और सक्रिय मासिक यूजर्स के मामले में अमेरिकी कंपनी उबर अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी से काफी ज्यादा आगे है.  उबर रोजना करीब 8 लाख 80 हजार सवारी के साथ बाजार में अन्य प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बहुत आगे है.

ये भी पढ़ें: यूपीआई से 2000 के ऊपर ट्रांजेक्शन पर क्या अब लगेगा जीएसटी? सरकार ने दिया जवाब

Continue Reading

US से ट्रेड टेंशन के बीच ठिकाने पर आयी चीन की अक्ल, भारत से गिड़गिड़ाकर बोला- अब बीजिंग है तैयार

China On US Tariffs: अमेरिका और चीन के बीच भारी व्यापारिक तनाव के बाद से जिस चीज की कयासबाजी हो रही थी आखिरकार वो सच साबित हो रही है. इस पूरे विवाद का फायदा अब भारत को मिलता हुआ दिख रहा है. बीजिंग ने नई दिल्ली से कहा कि वो भारत के ज्यादा से ज्यादा प्रीमियम सामानों के अपने यहां पर आयात के लिए तैयार है. इतना नहीं, उसने आगे ये भी कहा कि चीन के बाजार में भारतीय व्यवसाय की पूरी मदद के लिए भी तैयार है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा बढ़कर करीब रिकॉर्ड 99.2 बिलियन डॉलर का हो चुका है. टीओआई को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटव्यू के दौरान भारत में नियुक्त चीन के राजदूत Xu Feihong ने यह भी उम्मीद जताई है कि चीनी कंपनियों के लिए भारत सरकार किसी तरह का भेदभाव नहीं करेगी और कारोबार में पूरी तरह से पारदर्शिता अपनाएगी.

चीन को अब भारत का सहारा

उन्होंने पीएम मोदी के हाल के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी ने कहा था कि प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं तब्दील होने दिया जाएगा. शू फेहोंग ने आगे कहा कि स्थायी और सहयोगात्मक संबंध के लिए बातचीत जरूरी है और चीन इस साल होने वाले शंघाई सहयोग शिखर सम्मेलन (SCO) में पीएम मोदी के गर्मजोशी के स्वागत के लिए तैयार है.

अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ के सवाल पर चीन के राजदूत ने कहा कि चीन और भारत की ये जिम्मेदारी है कि एकात्मवाद और संरक्षणवाद के किसी भी तरीके का दोनों ही देश एकजुट होकर विरोध करे. इसके साथ ही, उन्होंने मैनपावर और इक्विटपमेंट पर चीन के एक्सपोर्ट कंट्रोल को लेकर भारत की चिंताएं, ब्रह्मपुत्र नदी के जल और मीडिया की भूमिका और आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए लोगों से लोगों के संपर्क पर भी जवाब दिया.

उल्टा पड़ा ट्रंप का दांव

गौरतलब है कि इस महीने की 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया. उनके इस फैसले के बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों में दहशत दिखा और बुरी तरह से मार्केट क्रैश हुआ. इसमें निवेशकों के अरबों डॉलर डूब गए. अर्थव्यवस्था के इस नुकसान को देखते हुए ट्रंप की तरफ से 90 दिनों के लिए टैरिफ पर रोक लगाई गई. लेकिन इस राहत से चीन को बाहर रखा गया.

चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका के ऊपर टैरिफ को बढ़ा दिया तो वहीं अमेरिका ने भी बीजिंग पर टैरिफ को और बढ़ा दिया. हालांकि, अब ट्रंप ने कहा कि वे बीजिंग के साथ इस पूरे मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है. इस ट्रेड वॉर का सीधा असर अमेरिकी डॉलर पर दिख रहा है, जिसकी कीमत लगातार गिर रही है. ऐसे में निवेशको के डगमगाते भरोसे से ट्रंप के अपने कदम पर दोबारा सोचने को मजबूर कर दिया है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली से बेंगलुरू तक ब्लूस्मार्ट कैब की सर्विस बंद, ओला-उबर की बल्ले-बल्ले, बढ़ सकता है निवेशकों को भरोसा  

Continue Reading

TCS पर लगे गंभीर आरोप, कई अमेरिकी कर्मचारियों ने कहा- कंपनी हमारे साथ करती है भेदभाव, भारतीयों का लेती पक्ष

Tata Consultancy Services: भारत की सबसे बड़ी आईटी आउटसोर्सर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के खिलाफ नस्लीय भेदभाव के दर्जनों आरोपों के बाद अमेरिकी समान रोजगार अवसर आयोग (EEOC) ने जांच शुरू की है. अमेरिकी कर्मचारियों ने कंपनी पर आयु, नस्ल और राष्ट्रीय मूल के आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है. 

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी पर ये आरोप आमतौर पर 40 साल से अधिक उम्र के प्रोफेश्नल्स ने लगाए हैं. कई पूर्व कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी ने एच-1बी वीजा पर काम करने वाले व कई अन्य भारतीयों को काम पर रखा, जबकि गैर दक्षिण एशियाई कर्मचारियों की छंटनी कर दी. 

कंपनी ने खुद पर लगे आरोपों से किया इनकार

दुनियाभर में TCS में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 6,00,000 से ज्यादा है. कंपनी ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इन्हें बेबुनियाद और भ्रामक करार दिया है.

कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, टीसीएस का अमेरिका में समान अवसर प्रदान करने वाले नियोक्ता होने का एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है. कंपनी का कहना है कि वह किसी भी गलत काम में शामिल नहीं है और वीजा नियमों का भी उल्लंघन नहीं कर रही है. 

इधर, EEOC की जांच जारी है और शिकायतें गोपनीय रखी गई हैं, इनका सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है. हालांकि, ब्लूमबर्ग न्यूज के मुताबिक, ईईओसी की ये जांच पूर्व राष्ट्रपति बिडेन के प्रशासन के दौरान शुरू हुई थी और वर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप के अधीन जारी रही है. हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब टीसीएस जांच के दायरे में आया है. इससे पहले भी ब्रिटेन के तीन पूर्व कर्मचारियों ने कंपनी के खिलाफ भेदभाव के ऐसे ही आरोप लगाए थे. तब भी कंपनी ने इन आरोपों से इनकार किया था. 

कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस पर लग चुके आरोप

साल 2020 में आईईओसी ने एक दूसरी भारतीय आउटसोर्सिंग फर्म कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस कंपनी के खिलाफ जांच की थी. इस कंपनी के खिलाफ भी गैर भारतीय कर्मचारियों के साथ भेदभाव करने के आरोप लगे थे.

जांच में पाया गया कि कंपनी ने 2013 और 2022 के बीच 2,000 से अधिक गैर-भारतीय कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया था. इसके बाद कंपनी के खिलाफ सख्त एक्शन लिया गया. जनवरी में राष्ट्रपति ट्रंप ने एंड्रिया आर लुकास को ईईओसी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया. अब उनके नेतृत्व में एजेंसी अमेरिकी श्रमिकों के खिलाफ भेदभाव को दूर करने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिए हैं. 

ये भी पढ़ें:

PhonePe IPO: आईपीओ लाने से पहले PhonePe का बड़ा ऐलान, प्राइवेट से बनी पब्लिक लिमिटेड कंपनी

Continue Reading

लगातार छठे हफ्ते बढ़ा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, 1.57 अरब डॉलर बढ़कर 677.83 अरब डॉलर पर पहुंचा

India Foreign Exchange Reserve: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि 11 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.567 बिलियन डॉलर बढ़कर 677.835 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. यह लगातार छठवां हफ्ता है, जब देश के विदेशी मुद्रा भंडा में वृद्धि हुई है. इससे पहले 4 अप्रैल को समाप्त पिछले रिपोर्टिंग सप्ताह में कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 10.872 बिलियन डॉलर की वृद्धि देखी गई, जो 676.268 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया.

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में भी इजाफा

शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियां, जो भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, 892 मिलियन डॉलर बढ़कर 574.98 बिलियन डॉलर हो गईं. सितंबर 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार का उच्चतम स्तर 704.885 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया था. डॉलर के संदर्भ में व्यक्त विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं का घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है.

देश का गोल्ड रिजर्व भी बढ़ा

आरबीआई ने कहा कि इस दौरान देश का गोल्ड रिजर्व भी बढ़ा है, जो 638 मिलियन डॉलर बढ़कर 79.997 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. हालांकि, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 6 मिलियन डॉलर घटकर 18.356 बिलियन डॉलर रह गए हैं. आरबीआई के आंकड़ों में कहा गया है कि समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के साथ भारत की आरक्षित स्थिति 43 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.502 बिलियन डॉलर हो गई. 

जैसे कि आपको पता है कि विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है. इसके जरिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व अन्य लेनदेन के भुगतान के लिए किया जाता है. इसके अलावा, देश की आर्थिक स्थिरता और अपनी करेंसी के मूल्य को बनाए रखने के लिए भी इसका उपयोग होता है. विदेशी मुद्रा भंडार में दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी किए जाने वाले मुद्राओं के साथ बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, अन्य सरकारी प्रतिभूतियों, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास जमा राशि को शामिल किया जाता है. 

ये भी पढ़ें:

TCS पर लगे गंभीर आरोप, कई अमेरिकी कर्मचारियों ने कहा- कंपनी हमारे साथ करती है भेदभाव, भारतीयों का लेती पक्ष

Continue Reading