Air India: एयर इंडिया के पायलट्स और केबिन क्रू को वेतन बढ़ोतरी की सौगात, सैलेरी स्ट्रक्चर में किया बड़ा बदलाव का फैसला!

Air India Update: एयर इंडिया ने अपने पायलट्स और क्रेबिन-क्रू मेबर्स के वेतन में बढ़ोतरी करना का फैसला किया है. 5 साल के ट्रांसफॉर्मेशन प्लान के तहत एयर इंडिया अपने 2700 पायलट्स के वेतन में बढ़ोतरी करेगी जिसमें एयर एशिया इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलट्स भी शामिल हैं. इसके अलावा 5600 केबिन क्रू के वेतन में भी बढ़ोतरी की जाएगी. टाटा समूह की एयर इंडिया ने पायलट्स और केबिन क्रू मेबर्स के कम्पंसेशन स्ट्रक्चर में बदलाव करने का फैसला किया है पायलट्स के प्रति घंटे फ्लाइंग रेट्स में भी बढ़ोतरी का फैसला किया गया है. 
एयर इंडिया गारंटीड फ्लाइंग अलाउंट कॉम्पोनेंट को दोगुना कर 20 घंटे से 40 घंटे करने जा रही है. इसके अलावा ट्रेनिंग में जाने वाले पायलट्स के एडिशनल भत्ते में भी बढ़ोतरी की जाएगी. एयर इंडिया पायलट्स के प्रति घंटे फ्लाइंग रेट्स और फ्लाइंग अलाउंस में भी बढ़ोतरी करेगी. 
एयर इंडिया अपन ट्रेनी स्टॉफ के स्टाईपेंड को डबल करेगी साथ ही लंबी अवधि तक सेवा देने वाले स्टॉफ को एडिशनल रिवॉर्ड देगी. फिक्स्ड टर्म कॉंट्रैक्ट वाले 800 पायलट्स जिनके कॉंट्रैक्ट को 5 साल के लिए रिन्यू किया गया था उसे पायलट्स के 58 वर्ष की उम्र के पूरा होने तक के लिए एक्सटेंड किया जाएगा.  एयर इंडिया के 4700  फिक्स्ड टर्म कॉंट्रैक्ट वाले केबिन क्रू मेबर्स हैं तो 100 स्थाई केबिन क्रू मौजूद हैं. इसके अलावा एयर इंडिया यूनियर फर्स्ट ऑफिसर और सीनियर कमांडर लेवल वाले दो पद को शुरू करेगी. 
एयर इंडिया ने फैसला किया है कि जिन पायलट्स ने कमांडर के तौर पर 4 या उससे ज्यादा वर्ष तक उड़ान भरा है  उन्हें सीनियर कमांडर के पद पर प्रमोट किया जाएगा.  उन्हें मैनेजमेंट कैडर में शामिल करने के साथ एग्जीक्यूटिव ड्यूटी के लिए अलग से अलाउंस दिया जाएगा. 
केबिन क्रू आर्गनाईजेशन के भी स्ट्रक्चरिंग करने का फैसला किया गया है. स्ठाई और फिक्स्ड टर्म कॉंट्रैक्ट केबिन क्रू को चार सेगमेंट में बांटा गया है. जिसमें ट्रेनी केबिन क्रू, केबिन क्रू, केबिन सीनियर और केबिन एग्जीक्यूटिव शामिल है. फरवरी में एयर इंडिया ने 4200 केबिन क्रू ट्रेनी और 900 पायलट्स की हायरिंग करने का एलान किया था. 
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IT Stocks Crash: 10 फीसदी की बड़ी गिरावट के साथ खुला इंफोसिस का स्टॉक, निफ्टी आईटी इंडेक्स 2000 अंक फिसला

IT Stocks Crash: हफ्ते के पहले कारोबारी दिन आईटी सेक्टर के स्टॉक्स बड़ी गिरावट के साथ खुले हैं. देश की दूसरी बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस 10 फीसदी की बड़ी गिरावट के साथ खुला है. इंफोसिस के शेयर में लोअर सर्किट लग गया. केवल इंफोसिस ही नहीं बल्कि टीसीएस , टेक महिंद्रा जैसे आईटी स्टॉक्स भी बड़ी गिरावट के साथ खुला है. आईटी शेयरों में गिरावट के चलते निफ्टी आईटी इंडेक्स  2100 अंक नीचे जा लुढ़का. फिलहाल निफ्टी आईटी इंडेक्स 6.67 फीसदी या 1883 अंकों की गिरावट के साथ 26,459 अंकों पर ट्रेड कर रहा है. बीएसई का आईटी इंडेक्स भी बड़ी गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. बीएसई आईटी इंडेक्स फिलहाल 6.37 फीसदी या 1800 नीचे गिरकर 26429 अंकों पर कारोबार कर रहा है. 
क्यों गिरा इंफोसिस का शेयर
वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही के लिए इंफोसिस के तिमाही नतीजों से बाजार को निराशा हुई है. वहीं कंपनी ने नए वित्त वर्ष के लिए गाइडेंस भी कम किया है. जिसके चलते इंफोसिस के शेयर में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. इंफोसिस का शेयर 10 फीसदी गिरकर 1250 रुपये पर खुला. शेयर फिलहाल 12 फीसदी नीचे गिरकर 1222 पर ट्रेड कर रहा है. पिछले ट्रेडिंग सेशन में 1389 रुपये पर शेयर क्लोज हुआ था. इंफोसिस के खराब नतीजों के बाद कई ब्रोकरेज हाउस ने इंफोसिस के शेयर को डाउनग्रेड कर दिया है और निवेशकों को शेयर बेचने की सलाह दी है. इंफोसिस के एडीआर में बड़ी गिरावट देखी गई थी जिसके बाद तीन दिनों के बाद बाजार के खुलने पर इंफोसिस के शेयर में गिरावट आई है.   
दूसरे आईटी स्टॉक्स भी गिरे 
इंफोसिस में गिरावट के चलते एलटीआई माइंडट्री में 8.76 फीसदी की गिरावट, टेक महिंद्रा 6.46 फीसदी, एलएंडटी टेक्नोलॉजी 5.86 फीसदी, कोफॉर्ज 4.88 फीसदी, टीसीएस 3.42 फीसदी नीचे गिरकर कारोबार कर रहा है. पर्सिसटेंट 7.75 फीसदी, केपीआईटी टेक 4.49 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. HCL Tech 4.59 फीसदी, विप्रो 2.50 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. आईटी इंडेक्स और शेयरों में भारी गिरावट का असर शेयर बाजार पर पड़ा है. सेंसेक्स 900 से ज्यादा तो निफ्टी 230 अंकों की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहा है. 
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Buying Vs Renting: घर खरीदना बेहतर या किराये पर रहना? जानें वित्तीय लिहाज से क्या है फायदेमंद!

हर किसी के जीवन में अपना घर एक अहम मील का पत्थर है. बार-बार घर बदलने की किचकिच से लेकर तमाम परेशानियों से यह मुक्ति दिलाता है और स्थाई मानसिक शांति का बंदोबस्त करता है. अपना घर दरअसल मानसिक और मनोवैज्ञानिक सुरक्षा का भाव प्रदान करता है. हालांकि ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो यह वकालत करते हैं कि वित्तीय लिहाज से घर खरीदने से बेहतर किराये के घर में रहना होता है. ऐसे लोग तर्क देते हैं कि ईएमआई के बजाय किराया सस्ता पड़ता है और इसमें बची रकम को सही से इन्वेस्ट कर मोटा फंड जमा किया जा सकता है… इस तरह से लंबी अवधि के हिसाब से किराये के घर में रहना वित्तीय तौर पर फायदेमंद साबित होता है.
दोनों के अपने फायदे-नुकसान
अपना घर खरीदें या किराये के घर में रहें… दोनों में से क्या ज्यादा फायदेमंद है… ये सब लंबी बहस के विषय हैं. दोनों विकल्पों के पैरोकार खूब फायदे गिनाते हैं. सिंपल बात है कि हर कदम के अपने फायदे होते हैं, लेकिन इनके अपने नुकसान भी होते हैं. अपना घर लेने का फायदा भी है, तो इसके नुकसान भी हैं. वैसे ही किराये के घर के बारे में भी है… इसके अपने फायदे और नुकसान दोनों हैं. आज हम इसी पर बात करने वाले हैं, जहां आप जानेंगे कि दोनों विकल्पों के क्या-क्या फायदे हैं और इनके क्या-क्या नुकसान हैं…
महंगा है अभी होम लोन
सबसे पहले घर खरीदने की बात. ऐसे लोगों की संख्या मामूली है, जिनके पास नया घर खरीदने का पूरा पैसा होता है. ज्यादातर लोग कर्ज लेकर ही अपना घर खरीदते हैं. होम लोन का सीधा कनेक्शन रेपो रेट से है. रेपो रेट बढ़ने से कर्ज की लागत बढ़ती है. मई 2022 से रिजर्व बैंक रेपो रेट में ढाई फीसदी वृद्धि कर चुका है, जिसके चलते होम लोन की दरें जो करीब 6.5 फीसदी पर थीं अब 9 फीसदी से ऊपर हैं. हालांकि, RBI ने अप्रैल 2023 की मॉनिटिरी पॉलिसी में रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है, जिसके चलते कयास लग रहे हैं कि अब ब्याज दरों में शायद और वृद्धि न हो.
घर खरीदने की असल लागत
सबसे बड़े बैंक SBI की होम लोन दरें अभी 9.15 फीसदी से शुरू हो रही हैं. आप जो घर खरीदना चाह रहे हैं, उसकी कीमत 50 लाख रुपये मान लेते हैं. किसी भी शहर में ठीक-ठाक लोकेशन पर 3बीएचके अपार्टमेंट की कीमत इसी के आस-पास रहती है. अब मान लेते हैं कि आप 20 फीसदी डाउनपेमेंट जेब से करने वाले हैं और 80 फीसदी यानी 40 लाख रुपये का होम लोन लेने वाले हैं. 9.15 फीसदी की दर पर 40 लाख रुपये का लोन 20 साल के लिए लेने पर उसकी मंथली EMI 36,376 रुपये बनेगी. इस हिसाब से आपको 20 साल में बैंक को 87 लाख 30 हजार 197 रुपये चुकाने होंगे, जिसमें 40 लाख रुपये मूलधन और बाकी 47 लाख रुपये ब्याज है. यानी ये घर 20 साल बाद आपको करीब एक करोड़ रुपये का पड़ेगा. रियल एस्टेट सेक्टर की सालाना ग्रोथ रेट 5-6 फीसदी है. इस लिहाज से जो घर आज 50 लाख रुपये का है, वो 20 साल बाद 1.3 से 1.6 करोड़ रुपये का होगा.
किराये पर रहने का गणित
अब किराये की स्थिति की बात करते हैं. 50 लाख के वैसे ही घर में रहने के लिए आपको 20,000 रुपये महीने के आस-पास किराया देना पड़ेगा. ऐसे में किराए पर रहते हैं तो हर महीने 16,376 रुपये बचते हैं. इन पैसों को SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में लगाने पर 12 फीसदी अनुमानित रिटर्न के हिसाब से 20 साल बाद 1 करोड़ 58 लाख रुपये मिलेंगे. डाउनपेमेंट की 10 लाख रुपये की रकम को अलग से एकमुश्त निवेश करने पर कुल 96 लाख 46 हजार 293 रुपये मिलेंगे. यानी इस सूरत में 20 साल बाद आपके पास ढाई करोड़ रुपये से ज्यादा होंगे. इस लिहाज से किराये पर रहना बेहतर विकल्प साबित होता है.
रेंट पर रहने के फायदे
रेंट पर रहना EMI के मुकाबले सस्ता है. डाउन पेमेंट का कोई झंझट नहीं है. नौकरी बदलने या लोकेशन पसंद नहीं आने पर आसानी से घर बदल सकते हैं. 
घर खरीदने के फायदे
EMI भरकर आप एक एसेट यानी संपत्ति बना रहे हैं. होम लोन के प्रिंसिपल रिपेमेंट पर 80C के तहत डेढ़ लाख रुपये और सेक्शन 24 के तहत ब्याज पर 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है. शिफ्टिंग और मकान मालिक का झंझट नहीं होता है.
रेंट पर रहने के नुकसान
किराए में जो पैसा भर रहे हैं उस पर कोई रिटर्न नहीं है. हर साल किराया 8 से 10 फीसदी बढ़ता है. बिना मकान मालिक के मर्जी के आप घर में कोई काम नहीं करा सकते हैं.
घर खरीदने के नुकसान
डाउनपेमेंट, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज जैसे खर्च और EMI का बोझ उठाना पड़ता है. पैसों की जरूरत पड़ने पर घर तुरंत बिक नहीं सकता है.
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CBIC Exchange Rates: विनिमय दरों की नई व्यवस्था पर हो रहा है काम, जल्द ही मिलने लगेगा डेली अपडेट

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा-शुल्क बोर्ड (CBIC) भारतीय रुपये के साथ प्रमुख विदेशी मुद्राओं की विनिमय दरों (Exchange Rates) को लेकर व्यवस्था में एक बड़े बदलाव की तैयारी में है. जल्दी ही यह बदलाव लागू हो सकता है और अगर ऐसा हुआ तो उसके बाद अन्य मुद्राओं के साथ रुपये की विनिमय दर का प्रकाशन हर रोज होगा.
इन लोगों की होगी मदद
पीटीआई की एक खबर के अनुसार, सीबीआई अपने एकीकृत सीमा शुल्क पोर्टल पर मुद्रा विनिमय की दरों को पखवाड़े के बजाय दैनिक आधार पर जारी करने की व्यवस्था जल्द ही शुरू करने वाला है. दैनिक आधार पर मुद्रा विनिमय दर सीमा शुल्क या कस्टम पोर्टल पर जारी होने से विनिमय दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर नजर रखने में मदद मिलेगी. इससे आयातकों एवं निर्यातकों को दैनिक दरों के आधार पर सीमा-शुल्क दरों का हिसाब लगाने में मदद मिलेगी.
अभी है ये व्यवस्था
फिलहाल सीबीआईसी हर पखवाड़े 22 प्रमुख मुद्राओं की विनिमय दरों को अधिसूचित करता है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से हासिल दरों के आधार पर सीबीआईसी यह काम हर महीने के पहले और तीसरे गुरुवार को करता है. उसके अगले दिन से ही नई दरें लागू हो जाती हैं.
ऐसे होगा बदलाव
एक अधिकारी ने कहा कि विनिमय दरों की अधिसूचना की समूची प्रक्रिया को अब ऑटोमैटिक बनाया जाएगा. एसबीआई से मिलने वाली दरों को हर दिन निकटतम पांच अंक तक एडजस्ट किया जाएगा और उसे भारतीय सीमा-शुल्क ईडीआई प्रणाली के साथ एकीकृत करने के बाद शाम छह बजे तक ‘इंडियन कस्टम्स नेशनल ट्रेड पोर्टल’ (आईसगेट) पर डाला जाएगा.
जारी है विचार-विमर्श
अधिकारी ने कहा, मुद्राओं की विनिमय दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर अधिक करीब से नजर रखने के लिए सीबीआईसी ने आईसगेट पोर्टल पर हर दिन 22 मुद्राओं की विनिमय दरें प्रकाशित करने का फैसला किया है. इस बारे में सभी संबंधित पक्षों के साथ सलाह-मशविरा चल रहा है. नई प्रणाली को जल्द ही लागू कर दिया जाएगा.
योजना पर एक्सपर्ट की राय
इस योजना के मुताबिक, अवकाश के दिनों पर एसबीआई की तरफ से विनिमय दरें जारी नहीं होने की स्थिति में एक दिन पहले की दरें ही लागू होंगी. इस प्रस्तावित बदलाव को एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि इससे विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव की वजह से सीमा-शुल्क की गणना में होने वाली गलतियों को दूर करने में मदद मिलेगी.
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India Trade Data: पीछे छूटा चीन, पिछले वित्त वर्ष में इतना बढ़ा भारत और अमेरिका का व्यापार

वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों में पिछले कुछ सालों में आए बदलाव का असर दुनिया भर के देशों के व्यापारिक संबंधों पर भी हो रहा है. भारत भी इससे अप्रभावित नहीं है. परिस्थितियों के हिसाब से भारत का अन्य देशों के साथ होने वाला व्यापार भी करवट ले रहा है. यही कारण है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार (India US Trade) भागीदार बनकर उभरा है, जबकि लंबे समय से चीन (India China Trade) इस स्थान पर काबिज रहता आया है.
मजबूत हो रहे आर्थिक संबंध
वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है. दोनों देशों के बीच इस दौरान 128.55 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. इससे पता चलता है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध और मजबूत हो रहे हैं.
डेढ़ गुणा बढ़ा व्यापार
आंकड़ों के अनुसार, मार्च में समाप्त हुए पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 128.55 अरब डॉलर का हो गया. इससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 119.5 अरब डॉलर रहा था. इस तरह साल भर में दोनों देशों के व्यापार में 7.65 फीसदी के आस-पास की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वहीं 2020-21 में यह सिर्फ 80.51 अरब डॉलर था. इसका मतलब हुआ कि बीते दो साल के दौरान भारत और अमेरिका का आपसी व्यापार डेढ़ गुणा बढ़ा है.
भारत के पक्ष में संतुलन
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने अमेरिका को 78.31 अरब डॉलर का निर्यात किया. यह साल भर पहले यानी 2021-22 में 76.18 अरब डॉलर था. इस तरह बीते एक साल में अमेरिका को भारत का निर्यात 2.81 फीसदी से बढ़ा. वहीं दूसरी ओर भारत में अमेरिका से आयात इस दौरान 16 फीसदी की वृद्धि के साथ 50.24 अरब डॉलर हो गया. हालांकि निर्यात की तुलना में आयात की तेज बढ़ोतरी के बाद भी अभी व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में ही है.
चीन के साथ कम हुआ व्यापार
कई सालों से भारत के सबसे बड़ा व्यापार भागीदार रहे चीन की बात करें तो पिछले वित्त वर्ष में इस पड़ोसी देश के साथ द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट दर्ज की गई. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत और चीन का आपसी व्यापार 1.5 फीसदी की गिरावट के साथ 113.83 अरब डॉलर रह गया. यह साल भर पहले यानी वर्ष 2021-22 में 115.42 अरब डॉलर रहा था.
सिरदर्द बढ़ाने वाले ये आंकड़े
इस दौरान भारत से चीन के लिए निर्यात में 28 फीसदी की गिरावट आई और यह 15.32 अरब डॉलर रह गया, जबकि आयात 4.16 फीसदी की वृद्धि के साथ 98.51 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इसका मतलब हुआ कि भले ही दोनों देशों का कुल व्यापार कम हुआ हो, लेकिन इसे भारत के लिए परेशानियां बढ़ाई है. निर्यात कम होने और आयात बढ़ने से भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 2022-23 में बढ़कर 83.2 अरब डॉलर हो गया, जो इससे पिछले साल 72.91 अरब डॉलर था.
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Pakistan Inflation: वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान में रिकॉर्ड महंगाई का लगाया अनुमान, FY23 में इतनी बढ़ जाएगी मुद्रास्फीति दर

World Bank on Pakistan Inflation: वित्त वर्ष 2023-24 में भी पाकिस्तान में मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार अब वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान की महंगाई को लेकर ऐसा अनुमान किया है जिसके बाद वहां की आम जनता को बड़ा झटका लग सकता है. आर्थिक बदहाली से गुजर रहे देश को हाल फिलहाल में महंगाई से छुटकारा नहीं मिलने वाला है. विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अनुमान जताया है कि पाकिस्तान में महंगाई दर (Pakistan Inflation Rate in 2023-24) 29.5 फीसदी रहने की संभावना है. एनर्जी की कमी और खाने पीने की चीजों के बढ़ते दाम के कारण इस देश में महंगाई आसमान छू सकती है.
पाकिस्तान में एक बार फिर बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम-
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार रमजान के महीने में आम लोगों को झटका देते हुए शनिवार को वित्त मंत्री इशाक डार ने ऐलान किया कि पेट्रोल के दाम में 10 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया जा रहा (Pakistan Petrol Price Hike) है. इस बढ़त के बाद पाकिस्तान में पेट्रोल के दाम बढ़कर 282 रुपये लीटर तक पहुंच गया है. इसके साथ ही विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान में महंगाई दर 29.5 फीसदी रहेगी. ऐसे में आम लोगों को महंगाई का झटका पूरे साल लगता रहेगा.
वित्त वर्ष 2023-24 में 0.4 फीसदी की दर बढ़ती GDP
इससे पहले विश्व बैंक ने पाकिस्तान की जीडीपी पर आशंका जताते (World Bank on Pakistan GDP)  हुए कहा था कि देश की आर्थिक विकास दर वित्त वर्ष 2023 में केवल 0.4 फीसदी की दर से बढ़ेगी. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 में पाकिस्तान की जीडीपी का अनुमान 3 फीसदी से घटाकर 0.5 फीसदी कर दिया है. वहीं एशियाई बैंक (Asian Bank on Pakistan GDP) के मुताबिक इस वित्त वर्ष में पाकिस्तान की जीडीपी 0.6 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.
कृषि पर पड़ा बुरा असर
पाकिस्तान में पिछले 20 सालों में पहली बार कृषि उत्पादन में कमी देखी जा सकती है. साल 2023 में आए बाढ़, बढ़ती महंगाई और फ्यूल के दाम में इजाफे का असर कृषि क्षेत्र पर भी पड़ा है. ऐसे में बढ़ती महंगाई और कृषि उत्पादन में कमी के कारण देश में गरीबी भी बढ़ने का अनुमान है. द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार देश में गरीबी वित्त वर्ष 2022 में 36.2 फीसदी के मुकाबले वित्त 2023 में 37.2 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है. ऐसे में देश में 39 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे.
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Tech Layoffs: क्या गूगल और अमेजन में आगे भी जारी रहेगी छंटनी? जानिए कंपनी के CEO ने क्या दिया संकेत

Layoffs 2023: विश्व भर में मंदी के कारण कई दिग्गज टेक कंपनियां अपने कर्मचारियों की लगातार छंटनी कर रही हैं. इसमें मेटा, गूगल,माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, ट्विटर जैसी टेक कंपनियां शामिल हैं. हाल ही में अमेजन और गूगल के सीईओ ने कंपनी द्वारा की गई छंटनी पर अपनी सफाई पेश की है. इसके साथ ही इन कंपनियों के सीईओ ने कुछ ऐसी बात कह दी जिसके बाद यह कयास लगने लगे कि अमेजन और गूगल में अभी छंटनी का दौर खत्म नहीं हुआ है. आगे आने वाले वक्त में और इंप्लाइज को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है.
गूगल के सीईओ ने कही यह बात
हाल ही में गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई (Google CEO) ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से बात करते हुए कहा है कि गूगल अपने कार्य और खर्च को लेकर बहुत फोकस है. हम अपने काम और बेस को अधिक कुशल करना चाहते हैं. इसके लिए हमने अपने कामकाज के सिस्टम को पुननिर्माण करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ कंपनी अपनी कमाई और खर्च को रीस्ट्रक्चर करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि हम इस तरह की प्लानिंग कर रहे हैं जिससे हमारा काम भी न रुके और हम बेहतर ढंग से सेविंग भी कर सकें.
छंटनी के सवाल पर क्या बोले पिचाई
छंटनी पर पूछे गए सवाल पर सुंदर पिचाई ने कहा कि कर्मचारियों की छंटनी का फैसला कंपनी के लिए कठिन पर जरूरी था. उन्होंने कहा कि गूगल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) जैसी तकनीक पर ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च करना चाहता है. ऐसे में गूगल के कामकाज को 20 फीसदी तक अधिक कुशल बनाने की बात उन्होंने कही है. ऐसे में सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) ने आने वाले वक्त में कंपनी में और छंटनी का इशारा किया. गौरतलब है कि जनवरी में गूगल ने कुल 12,000 कर्मचारियों की छंटनी का फैसला किया था.
अमेजन के सीईओ एंडी ने क्या कहा?
दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एंडी जेसी (Amazon CEO Andy Jassy) ने अपने शेयर होल्डरों को लिखे गए सालाना पत्र में कहा है कि कंपनी के लिए 27,000 कर्मचारियों की छंटनी का फैसला मुश्किल था मगर आने वाले वक्त में इसका बेहतर असर कंपनी पर दिखने लगेगा. उन्होंने कहा कि कंपनी ने कई मुश्किल भरे वक्त को देखा है और इस बार भी वह आगे निकलेगी. छंटनी के मामले पर उन्होंने कहा कि कंपनी अपने खर्च को कम करने के लिए लगातार अपनी सभी टीमों के काम का मूल्यांकन करेगी और काम और रिजल्ट के हिसाब से ही आगे का फैसला लेगी. इस लेटर में एंडी जेसी ने यह भी कहा कि अमेजन अपनी जरूरत के हिसाब से आगे नई हायरिंग भी करेगा.
गूगल और अमेजन आगे भी कर सकता है छंटनी
भले ही सुंदर पिचाई और एंडी जेसी ने छंटनी के सवाल पर साफ-साफ कुछ नहीं कहा मगर यह इशारा दे दिया कि कंपनी आगे भी कर्मचारियों के काम का मूल्यांकन करती रहेगी. इसके साथ ही यह दोनों कंपनियां अपने खर्च में कटौती करके AI जैसी तकनीक पर ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च करने की कोशिश कर रहे हैं. ध्यान देने वाली बात ये है टेक सेक्टर फिलहाल अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. साल 2023 की शुरुआत से लेकर अब तक दुनिया भर की 500 से अधिक टेक कंपनियों ने लाखों की संख्या में इंप्लाइज की छंटनी की है.
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Pakistan Petrol Prices: पाकिस्तान में फटने वाला है महंगाई का एक और बम, अब इतना हो जाएगा पेट्रोल का दाम

ऐतिहासिक आर्थिक संकट (Pakistan Economic Crisis) और कमरतोड़ महंगाई (Pakistan Record Inflation) से जूझ रहे पाकिस्तान के लोगों की दिक्कतें आसान होने का नाम नहीं ले रही हैं. एक तरफ खाने-पीने की जरूरी चीजों के भाव आसमान छू रहे हैं तो दूसरी ओर डीजल-पेट्रोल के भाव महंगाई और बढ़ा रहे हैं. ऐसे में अब खबर आ रही है कि पाकिस्तान की सरकार पेट्रोल की कीमतें (Pakistan Petrol Price Hike) फिर बढ़ाने पर विचार कर रही हैं.
इतना बढ़ सकता है भाव
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से इसकी जानकारी दी है. खबर के अनुसार, नकदी संकट से जूझ रही पाकिस्तान सरकार पेट्रोल की कीमतों में 10-14 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ोतरी करने जा रही है. यह पहले से ही आसमान छूती महंगाई से त्रस्त जनता की परेशानियां और बढ़ाने वाला कदम साबित होगा. हालांकि खराब आर्थिक स्थिति ने पाकिस्तान की सरकार के सामने अन्य विकल्पों को समाप्त कर दिया है.
हर पखवाड़े में होती है समीक्षा
पाकिस्तान अखबार ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने उद्योग जगत के सूत्रों के हवाले से पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने की आशंका जताई है. खबर के अनुसार, पाकिस्तान की सरकार वैश्विक बाजारों में बढ़ती तेल कीमतों के कारण पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ा सकती है. पाकिस्तान में सरकार हर पखवाड़े पेट्रोलियम कीमतों की समीक्षा करती है.
कमजोर हो रहा पाकिस्तानी रुपया
खबर के अनुसार, अगर पाकिस्तान सरकार पिछली समीक्षा के उलट विनिमय दर के घाटे को एडजस्ट करती है तो यह बढ़ोत्तरी 14 रुपये प्रति लीटर तक हो सकती है. पिछली बार की समीक्षा में सरकार ने डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये के कमजोर होने का बोझ जनता पर नहीं डाला था. इससे पाकिस्तानी जनता को थोड़ी राहत मिली थी.
अभी इतनी है पेट्रोल की कीमत
पाकिस्तान में पेट्रोल की तेल डिपो पर मौजूदा कीमत 272 रुपये प्रति लीटर है. अगर सरकार ने तेल की वैश्विक मूल्य वृद्धि का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला तो यह कीमत 286.77 रुपये प्रति लीटर तक जा सकती है. पाकिस्तान में सरकार पेट्रोल पर 50 रुपये प्रति लीटर का उपकर भी लगाती है.
डीजल के दाम रह सकते हैं स्थिर
हालांकि हाई-स्पीड डीजल के दाम में कोई बदलाव होने की आशंका कम है. अगर सरकार विनिमय दर घाटे को एडजस्ट नहीं करती है तो डीजल की कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर तक की गिरावट हो सकती है.
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GDP Growth Rate: वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन को यकीन, इतनी तेजी से वृद्धि करेगी अर्थव्यवस्था

वैश्विक स्तर पर आर्थिक वृद्धि की गति प्रभावित होने के बीच भारत उम्मीद की किरण बना हुआ है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) और विश्व बैंक (World Bank) के बाद अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन (FM Nirmala Sitharaman) ने भी देश की आर्थिक वृद्धि दर ठीक रहने का भरोसा व्यक्त किया है. उन्हें लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार (GDP Growth Rate) कायम रहेगी और वित्त वर्ष 2022-23 में इसकी वृद्धि दर सात फीसदी रह सकती है.
आईएमएफ के कार्यक्रम में टिप्पणी
वित्त मंत्री सीतारामन अमेरिकी समय के अनुसार शुक्रवार को आईएमएफ मुख्यालय में एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रही थीं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय समिति की पूर्ण बैठक में भाग लेते हुए कहा कि संरचनात्मक सुधारों पर सरकार के ध्यान के साथ-साथ अनुकूल घरेलू नीति के माहौल ने भारत में घरेलू आर्थिक गतिविधियों को मजबूत बनाए रखा है.
वित्त मंत्री ने जताई ये उम्मीद
उन्होंने कहा कि आईएमएफ और विश्व बैंक दोनों ने भारत के 2023 में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था होने का अनुमान लगाया है. भारतीय अर्थव्यवस्था की गति कायम रहेगी और आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार सात फीसदी रह सकती है.
डीपीआई की भी हुई चर्चा
वित्त मंत्रालय ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर इस बैठक में सीतारामन के संबोधन के बारे में जानकारी दी. वित्त मंत्री ने कहा कि डिजिटलीकरण, खासकर डिजिटल सार्वजनिक ढांचा (डीपीआई) वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक उत्प्रेरक रहा है. भारत के डीपीआई ने पहुंच के मामले में क्रांतिकारी बदलाव लाया है.
कमजोर देशों की मदद पर ये बात
वित्त मंत्री ने इस दौरान ग्लोबल सॉवरेन डेट राउंडटेबल का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि श्रीलंका और सूरीनाम के लिए समाधान प्रदान करने वाली टीम का हिस्सा बनकर भारत खुश है. उन्होंने वैश्विक चुनौतियों को कम करने के लिए एक साथ मिलकर समाधान तलाशने की बात दोहराई और कहा कि ये चुनौतियां सबसे गरीब व कमजोर देशों को ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं.
क्रिप्टो पर सख्ती की वकालत
वित्त मंत्री ने आईएमएफ मुख्यालय में जी20 देशों के वित्त मंत्रियों व केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों के एक सत्र को संबोधित करते हुए क्रिप्टोकरेंसीज के बारे में चर्चा की. उन्होंने कहा क्रिप्टोकरेंसी के बेहतर नियमन के लिए सभी देशों से साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के मामले में बेहतर व सख्त नियमन आवश्यक है. इसके लिए जी20 के सभी सदस्य देशों को एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाते हुए कदम उठाना होगा.
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Pakistan Economic Crisis: डूबते पाकिस्तान को तिनके का सहारा, यहां से मिला 1 बिलियन डॉलर का वादा

Pakistan Economic Crisis: कंगाल हो चुका पाकिस्तान लंबे वक्त से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) से अपने बेलआउट पैकेज प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है, मगर यह रास्ता उसके लिए आसान नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान अपने ‘दोस्त’ मुल्कों से आर्थिक मदद की मांग कर रहा है. मुश्किल में फंसे पाकिस्तान के लिए अब एक राहत भरी खबर आई है. संयुक्त अरब अमीरात ने पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर की आर्थिक (UAE Give Loan to Pakistan) मदद देने की मंजूरी दे दी है और पैसे हासिल करने के लिए अब कागजी कार्रवाई चल रही है.
वित्त मंत्री ने दी जानकारी
इस मामले पर जानकारी देते हुए पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा कि यूएई के अधिकारियों से बातचीत के बाद पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद पर सहमति बन गई है और इसकी जानकारी आईएमएफ को भी दे दी गई है. अब स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (State Bank of Pakistan) और संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों के बीच कागजी कार्रवाई पूरी की जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि चीन पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर जो कि पहले पाकिस्तान ने अदा कर दिए हैं. उसमें से चीन 300 मिलियन डॉलर का लोन रोलओवर करेगा. ऐसे में इन पैसों से पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है.

IMF program — 9th Review Update:UAE authorities have confirmed to IMF for their bilateral support of US $ One billion to Pakistan.State Bank of Pakistan is now engaged for needful documentation for taking the said deposit from UAE authorities. AlhamdoLilah!
— Ishaq Dar (@MIshaqDar50) April 14, 2023

बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा देश
पाकिस्तान 75 सालों के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.1 बिलियन डॉलर का पैकेज प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान हर मुमकिन कोशिश कर रहा है. यह पैसे साल 2019 में आईएमएफ के 6.5 बिलियन डॉलर के बेलआउट का एक हिस्सा है. पाकिस्तान आईएमएफ के इस पैकेज का पिछले साल नवंबर के महीने से इंतजार कर रहा है. इस मामले पर वित्त मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा है कि हमने आईएमएफ की सभी मांगों को पूरा करने के लिए सहमत है.
UAE जनवरी में भी पाकिस्तान को दे चुका है आर्थिक मदद
गौरतलब है कि यूएई इससे पहले भी पाकिस्तान को साल 2023 में 2 बिलियन डॉलर के लोन को रोलओवर किया था. इसके लिए ‘कंगाल’ पाकिस्तान को बड़ी आर्थिक मदद मिली थी. जहां एक तरफ पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्ट करने का खतरा मंडरा रहा है, वहीं दूसरी तरफ देश की आम जनता का महंगाई से बुरा हाल है. रमजान के महीने में पाकिस्तान में महंगाई ने 50 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. सरकार द्वारा बांटी जा रही आटे के लिए लोगों के बीच मारामारी मची हुई है. कई जगह से मुफ्त का आटा लेने के लिए भगदड़ तक मच गई है. 
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Reliance Jio Cinema: अब जियो सिनेमा भी वसूलेगा चार्ज, IPL के अंत तक शुरू करने की है तैयारी 

Jiocinema Subscription Charge: जियो सिनेमा (Jio Cinema) रिलायंस इंडस्ट्री का ओटीटी प्लेटफॉर्म है और इसके पास इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के डिजिटल राइट्स हैं. अब इसके कंटेट के लिए आपको चार्ज देना पड़ सकता है. जियो सिनेमा IPL के अंत तक इसे शुरू करने की तैयारी कर रहा है. बता दें कि कई साल के सब्सक्रिप्शन प्रथा को तोड़ते हुए मुकेश अंबानी ने जियो सिनेमा पर फ्री में आईपीएल दिखाने की पेशकश की है और रिकॉर्ड व्यू हासिल किया है.
अब इस प्लेटफॉर्म पर 100 से ज्यादा फिल्म और टीवी सीरियल जोड़ने की भी योजना बनाई गई है, ताकि वॉल्ट डिजन्नी और नेटफ्लिक्स जैसे दिग्गजों को टक्कर दी जा सके. 
सिर्फ इस सीजन तक फ्री में देख सकेंगे आईपीएल
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस के मीडिया और सामग्री व्यवसाय की अध्यक्ष ज्योति देशपांडे ने एक इंटरव्यू में बताया कि जियो सिनेमा के विस्तार के बाद शुल्क भी लेना शुरू कर देगा. हालांकि प्राइस को लेकर रणनीति अभी तय नहीं हुई है, जल्द ही इसे तय किया जाएगा. उन्होने कहा कि अगले महीने इंडियन प्रीमियर लीग क्रिकेट खत्म होने से पहले नए टाइटल पेश किए जाएंगे और तब तक दर्शक मुफ्त में मैच देख सकेंगे. 
फिल्मों के लिए भी देना पड़ेगा चार्ज 
आईपीएल के बाद जियो सिनेमा पर सब्स​क्रिप्शन चार्ज पेश किया जा सकता है. ऐसे में फिल्म या टीवी सीरियल देखने के लिए आपको शुल्क देना होगा. कितना शुल्क लगेगा अभी इसपर जियो सिनेमा की ओर से विचार किया जा रहा है. 
ग्लोबल प्लेटफॉर्म बनाने की तैयारी 
मुकेश अंबानी इस प्लेटफॉर्म को ग्लोबल मीडिया और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग दिग्गज बनने की तैयारी में है. इसके मद्देनजर पिछले साल, वायकॉम18 मीडिया प्राइवेट ने आईपीएल के डिजिटल राइट्स खरीद लिए. इसके बाद अंबानी ने इसे फ्री में दिखाने की पेशकश की, जो  लोगों को लुभाने के लिए किसी भी मीडिया कंपनी के लिए यह महत्वपूर्ण तरीका है.
जियो सिनेमा पर रिकॉर्ड व्यू 
बढ़ते इंटरनेट एक्सेस के साथ भारत में संभावित दर्शकों की संख्या बहुत अधिक है. JioCinema ने अप्रैल में आईपीएल के शुरुआती में 1.47 बिलियन से अधिक वीडियो व्यूज प्राप्त किए और बुधवार को एक मैच के लिए 22 मिलियन दर्शक थे. 
कम रखे जाएंगे चार्ज 
देशपांडे ने कहा कि ​जियो सिनेमा पर विस्तार के बाद शुल्क लगाने की योजना है, लेकिन ग्राहकों के लिए कम से कम चार्ज लगाया जाएगा. बता दें कि जियो सिनेमा पर आईपीएल को हिंदी, मराठी, बंगाली, गुजराती और भोजपुरी जैसी भाषाओं में स्ट्रीम किया गया है. 
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Global Layoffs: दुनिया भर में हो रही छंटनी का असर, दो तिहाई लोगों को नौकरी जाने का डर

पिछले एक साल से ज्यादा समय से पूरी दुनिया छंटनी (Global Layoffs) की मार से परेशान है. नई स्टार्टअप कंपनियां हों या नामी-गिरामी व पुराने कॉरपोरेट, हर कोई छंटनी की इस लहर से प्रभावित है. हाल ऐसा है कि दुनिया की दिग्गज कंपनियां भी छंटनी का सहारा ले रही हैं. स्वाभाविक है कि ऐसे माहौल में किसी को अपनी नौकरी जाने का डर सताए. एक ताजा सर्वेक्षण ने भी इसकी पुष्टि की है.
सर्वे में सामने आई ये बातें
एचआर समाधान प्रदान करने वाली कंपनी जीनियस कंसल्टेंट्स (Genius Consultants) ने इस बारे में लोगों की राय जानने के लिए एक सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण में चौंकाने वाले आंकड़े निकल कर आए. जीनियस कंसल्टेंट्स के इस सर्वेक्षण में 71 फीसदी से ज्यादा लोगों ने बताया कि उन्हें अपनी नौकरी जाने का डर सता रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें बाजार में महंगाई के असर के चलते नौकरी से निकाले जाने का डर है. इसी तरह 36 फीसदी लोगों ने माना कि जरूरत से ज्यादा भर्तियां करने के चलते कर्मचारी नौकरी छोड़कर चले जाते हैं.
इन कारणों से हो रही छंटनी
सर्वेक्षण में लोगों से छंटनी के मौजूदा दौर के प्रमुख कारणों के बारे में भी पूछा गया. इसके जवाब में सर्वेक्षण में शामिल 30 फीसदी लोगों ने कंपनियों के द्वारा लागत कम करने के प्रयासों को जिम्मेदार माना. वहीं 23 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि बड़े पैमाने पर आर्थिक स्थिति में आई गिरावट छंटनी के इस दौर के लिए जिम्मेदार है.
इस तरह से तैयार हुई रिपोर्ट
जीनियस कंसल्टेंट्स ने सर्वे के बाद Layoffs to Gauge the Present Work and Mental Scenario of Organisations and Employees नाम से रिपोर्ट जारी की. इसके लिए कंपनी ने बैंकिंग व फाइनेंस से लेकर निर्माण व इंजीनियरिंग, एजुकेशन, एफएमसीजी और हॉस्पिटलिटी जैसे सेक्टरों के 1,537 एक्सीक्सूटिव्स से बात की. सभी उत्तरदाताओं से मिली प्रतिक्रियाओं के आधार पर कंपनी ने यह रिपोर्ट तैयार की.
कंपनियों के सामने ये चुनौती
सर्वे में शामिल सिर्फ 11 फीसदी उत्तरदाताओं ने माना कि तकनीकी प्रगति और मैनुअल लेबर पर निर्भरता छंटनी के लिए जिम्मेदार है. वहीं 57 फीसदी लोगों को मौजूदा स्थिति में अपनी कंपनी में जॉब की सुरक्षा की चिंताएं हैं. सर्वे के अनुसार, कंपनियां उपलब्ध संसाधनों और मौजूदा कार्यबल के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष कर रही हैं. उनके सामने खर्च को घटाकर मुनाफा कमाने की क्षमता को बढ़ाने में वित्तीय चुनौतियां आ रही हैं. 
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PSU Capital Infusion: घाटे वाली सरकारी बीमा कंपनियों को मदद, सरकार दे सकती है इतने हजार करोड़

घाटे में चल रहीं सरकारी बीमा कंपनियों (PSU Insurance Companies) के लिए जल्द राहत सामने आ सकती है. सरकार ऐसी बीमा कंपनियों की मदद करने की तैयारी कर रही है. इस तरह की तीन सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों (General Insurance Companies) को चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 के दौरान सरकार से फंडिंग मिल सकती है. इस फंडिंग से तीनों सरकारी कंपनियों को अपनी स्थिति सुधारने में जरूरी मदद मिलने की उम्मीद है.
कंपनियों को यहां मिलेगी मदद
पीटीआई की एक खबर के अनुसार, वित्त मंत्रालय घाटे में चल रहीं तीन सरकारी साधारण बीमा कंपनियों में चालू वित्त वर्ष के दौरान 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालने की योजना पर काम कर रहा है. यह जानकारी मामले से जुड़े सूत्रों ने दी है. सूत्रों के अनुसार, इस कैपिटल इंफ्यूजन से घाटे में चल रही तीनों सरकारी बीमा कंपनियों को अपनी हालत सुधारने में मदद मिलेगी.
इन तीनों को मिल सकती है पूंजी
सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में भी इन तीनों बीमा कंपनियों में 5,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई थी. ये तीन कंपनियां हैं कोलकाता मुख्यालय वाली नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (National Insurance Company Limited), दिल्ली मुख्यालय वाली ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (Oriental Insurance Company Limited) और चेन्नई मुख्यालय वाली यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (United India Insurance Company). नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को सबसे ज्यादा 3,700 करोड़ रुपये दिए गए थे. वहीं ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 1,200 करोड़ रुपये और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को 100 करोड़ रुपये मिले थे.
कंपनियों को मिला है ये काम
सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने इन कंपनियों को अपना सोल्वेंसी रेशियो बेहतर करने और 150 फीसदी की नियामकीय शर्त पूरा करने को कहा है. सोल्वेंसी रेशियो इस बात का पैमाना है कि अमुक कंपनी के पास कितनी पूंजी उपलब्ध है. यह अनुपात अधिक होने से किसी कंपनी की बेहतर वित्तीय स्थिति का संकेत मिलता है, जिसका मतलब होता है कि संबंधित बीमा कंपनी दावों का भुगतान करने की बेहतर स्थिति में है. ऐसी कंपनियां भविष्य में अचानक आने वाली देनदारियों का भुगतान कर पाने में सक्षम मानी जाती हैं.
पैमाने पर सभी कंपनियां पीछे
सरकारी बीमा कंपनियों के मामले में इस पैमाने की बात करें तो न्यू इंडिया एश्योरेंस को छोड़कर बाकी बीमा कंपनियों का सोल्वेंसी रेशियो 150 फीसदी की नियामकीय शर्त से काफी कम रही है. वित्त वर्ष 2021-22 में नेशनल इंश्योरेंस का सोल्वेंसी रेशियो 63 फीसदी, ओरिएंटल इंश्योरेंस का 15 फीसदी और यूनाइटेड इंडिया का 51 फीसदी रहा था.
इस बात पर मिलेगा पैसा
सूत्रों ने कहा कि इन सभी बीमा कंपनियों को मुनाफा कमाने की राह पर चलने के लिए कहा गया था. इन कंपनियों को सरकार से मिलने वाली अतिरिक्त पूंजी में कितना हिस्सा मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उनका प्रदर्शन कैसा रहता है. सुधार के संकेत दिखाने वाली बीमा कंपनियों को सरकार से ज्यादा पूंजी मिलेगी, जबकि पिछड़ने वाली कंपनियां फंडिंग में भी पीछे रह जाएंगी.
पहले भी मिल चुकी है मदद
सरकार लगातार इन बीमा कंपनियों को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करती आ रही है. वित्त वर्ष 2019-20 में भी सरकार ने इन सरकारी बीमा कंपनियों में 2,500 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई थी. उसके बाद वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सरकार ने इन कंपनियों में 9,950 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी.
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World 100 Most Influential People: दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में एलन मस्क, इन भारतीयों ने भी बनाई जगह 

World 100 Most Influential People: टाइम मैगजीन की ओर से दुनिया के 100 सबसे प्रतिभावशाली लोगों की लिस्ट जारी की गई है. इसमें दुनिया के बिजनेसमैन से लेकर गायक, राष्ट्रध्यक्ष, कलाकारों और लेखकों को शामिल किया गया है. टाइम पत्रिका की इस लिस्ट में अभिनेता शाहरुख खान और निर्देशक एसएस राजामौली के साथ-साथ भारतीय-अमेरिकी लेखक सलमान रूशी का भी जिक्र किया गया है. 
टाइम मैगजीन 100 सबसे प्रतिभावशाली लोगों का चयन कई पैरामीटर पर किया जाता है. पत्रिका के मुताबिक, ये लिस्ट जलवायु और सार्वजनिक स्वास्थ्य से लेकर लोकतंत्र और समानता तक के आधार पर यह तय किया जाता है. टाइम मैगजीन ने कुछ और पैरामीटर समझाते हुए बताया है कि जिन लोगों को इस लिस्ट में शामिल किया जाता है, उनमें फेमस से लेकर शाब्दिक गुमनाम तक लोग शामिल हैं. 
किन-किन क्षेत्रों से किया गया शामिल 
टाइम की इस लिस्ट में ग्लोबल लीडर और स्थानीय कार्यकर्ता, कलाकार और एथलीट, वैज्ञानिक, मुगल और कई लोग इस लिस्ट में अलग-अलग क्षेत्रों से शामिल किए गए हैं. प्रभावशाली व्यक्तित्वों की नई लिस्ट में पर्यावरण की रक्षा करने वाले रिकॉर्ड 16 लोग शामिल हैं, जिसमें जलवायु-समर्थक वाले विश्व नेता शामिल हैं.

कई पत्रकार भी इस लिस्ट में शामिल 
ईरानी विरोध और रूस-यूक्रेन संघर्ष के 2023 के कारण पत्रकारों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया है. टाइम 100 की सूची में तीन पत्रकार शामिल हैं, जिसमें ईरानी पत्रकार एलाहे मोहम्मदी और निलोफ़र ​​हमीदी के साथ-साथ वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर इवान गेर्शकोविच, जो रूस पर रिपोर्टिं के लिए फर्जी रिपोर्ट के मुकदमें का सामना कर रहे हैं. 

एलन मस्क दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति 
टाइम मैगजीन में खास जगह बनाने वाले एलन मस्क अभी मौजूदा समय में दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं. फोर्ब्स की लिस्ट के मुताबिक इनकी कुल संपत्ति 188.5 अरब डॉलर है. ये टेस्ला और ट्विटर के सीईओ भी हैं और अपने ट्वीट और फैसले को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. 
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Stock Market: इस भारतीय कंपनी ने अपने नाम किया अनोखा रिकॉर्ड! शेयरहोल्डर्स की संख्या हुई 50 लाख के पार

Yes Bank Shareholders: बैंक यस बैंक ने अपने नाम एक अनोखा रिकॉर्ड बना लिया है. यस बैंक पहली ऐसी भारतीय कंपनी बन गई है, जिसके 50 लाख से अधिक शेयरधारक हैं. यह आंकड़े मार्च के डाटा के मुताबिक हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर टाटा पावर (Tata Power) है. इस कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 38.5 लाख है. वहीं इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) है. इसके शेयरधारकों की संख्या 33.6 लाख है. गौरतलब है कि टाटा पावर और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर धारकों की संख्या दिसंबर के तिमाही के अनुसार है.
यस बैंक के शेयरधारकों की संख्या 50 लाख के पार
दिसंबर तिमाही में यस बैंक के कुल शेयरहोल्डर्स की संख्या 48.1 लाख थी, जो अब बढ़कर 50.6 लाख हो गई है. बता दें कि यस बैंक के सभी शेयर्स पब्लिक हैं.साल 2020 में रिजर्व बैंक ने यस बैंक को डूबने से बचाने के लिए एक नई पुननिर्माण स्कीम को तैयार किया था. इसके तहत सभी निवेशकों को मार्च 2023 तक अपनी शेयरों बेचने पर रोक लगा दी गई थी. मगर मार्च 13 को यह लॉक इन पीरियड खत्म हो गया. इसके बाद शेयरों में लगातार बिकवाली का दौर देखा जा रहा है.
यस बैंक के शेयरों में गिरावट 
वहीं हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी 13 अप्रैल, 2023 को यस बैंक के शेयरों में गिरावट देखी गई. यह 0.97 फीसदी गिरकर 15.25 रुपये पर बंद हुए. वहीं पिछले महीने की बात करें तो कंपनी के शेयर्स में 1.93 फीसदी की कमी देखी गई थी. पिछले एक साल में कंपनी के शेयर्स का उच्चतम स्तर 24.8 रुपये रहा है. ऐसे में यह अपने सबसे उच्च स्तर से 38 फीसदी कम है. इसके साथ ही बैंक के शेयर ने निवेशकों को पिछले एक साल में 8.16 फीसदी का रिटर्न दिया है.  
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