Kanya Sankranti 2023: कन्या संक्रांति क्या होती है, पंचांग अनुसार ये कब है और क्या इसका महत्व है?

Kanya Sankranti 2023 Kab Hai: हिंदू धर्म में सूर्य के राशि परिवर्तन वाला दिन संक्रांति कहलाता है. साल में 12 संक्रांति मनाई जाती है. सूर्य हर राशि में एक माह तक विराजमान होता है और गोचर वाले दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते है उस दिन उस राशि के नाम पर संक्रांति मनाई जाती है.

संक्रांति वाले दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, और सूर्य की पूजा जीवन में भाग्य चमका देती है. अभी भाद्रपद माह चल रहा है, इस माह सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में जाएंगे. आइए जानते हैं सितंबर माह में कन्या संक्रांति की डेट, मुहूर्त और महत्व.

कन्या संक्रांति 2023 डेट (Kanya Sankranti 2023 Date)

इस साल कन्या संक्रांति 17 सितंबर 2023, रविवार को मनाई जाएगी. इस दिन विश्वकर्मा पूजा भी है, साथ ही वराह जयंती का पर्व भी मनाया जाएगा. कन्या संक्रांति के दिन सूर्य के मंत्रों का जाप करने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है.

कन्या संक्रांति 2023 मुहूर्त (Kanya Sankranti 2023 Muhurat)

  • कन्या संक्रांति पुण्य काल – दोपहर 01.43 – शाम 06.24
  • कन्या संक्रांति महा पुण्य काल – दोपहर 01.43 – दोपहर 03.46
  • सूर्य का कन्या राशि में प्रेवश – दोपहर 01.43
  • स्नान-दान समय – सुबह 04.33 – सुबह 05.20

कन्या संक्रांति महत्व (Kanya Sankranti Significance)

सूर्य ग्रहों के राजा होने का साथ, पंचदेव में भी शामिल है. कन्या संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है. आरोग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन जल में फूल, कुमकुम, अक्षत डालकर सूर्योदय होने पर सूरज को अर्घ्य दें. मान्यता है इससे तेज, यश,कीर्ति की प्राप्ति होती है. इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का भी जन्मोत्सव मनाया जाता है. भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति कार्य में कौशल, सफलता प्राप्त करता है.  संक्रांति के दिन पवित्र जलाशयों आदि में स्नान करने को भी काफी शुभ माना गया है. इसलिए लोग कोशिश करते हैं कि वे संक्रांति के दिन गंगा जी या किसी अन्य जलाशय में डुबकी जरूर लगाएं.

कन्या संक्रांति पर तर्पण के लाभ (Kanya Sankranti Tarpan benefit)

कन्या संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद घाट पर ही पूर्वजों का तर्पण करने का विधान है. कहते हैं जो इस दिन श्राद्ध कर्म करता है उसे कभी दुख नहीं झेलना पड़ता. पितरों के आशीर्वाद से उसके घर में खुशहाली आती है. नौकरी, व्यापार और भौतिक सुख-सुविधा में कोई कमी नहीं रहती.

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